Gyanvapi Mosque Survey: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 30 लोगों की टीम सोमवार (24 अप्रैल) सुबह-सुबह काशी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में दाखिल हुई और वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद का ओना-कोना खंगालने में जुट गई. ये पता लगाने के लिए कि ज्ञानवापी को लेकर किस पक्ष का दावा मजबूत है? हिंदू पक्ष का या मुस्लिम पक्ष का?
वाराणसी की जिला अदालत के आदेश के बाद ये पता लगाया जाना है कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद हिंदू मंदिर के ढांचे के ऊपर है? क्या मस्जिद परिसर में कमल, डमरू, त्रिशूल जैसे निशान हैं? क्या मस्जिद की दीवार पर देवी-देवताओं की कलाकृति हैं? ज्ञानवापी मस्जिद में तीन गुंबद कितने पुराने हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी बुधवार तक रोक
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे चल ही रहा था, इधर दिल्ली में सर्वे को चैलेंज करती मुस्लिम पक्ष की याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुकी थी. सुबह 11.45 बजे सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे रोक दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल 26 जुलाई शाम 5 बजे तक सर्वे रोकने को कहा है. इस दौरान मुस्लिम पक्ष को हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल करने को कहा गया है.
सर्वे टीम ने क्या किया?
ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश वाराणसी की जिला अदालत ने दिया था, लेकिन अब आगे का आदेश हाईकोर्ट ही देगा. सुप्रीम कोर्ट से सर्वे पर अंतरिम रोक का आदेश आने से पहले करीब चार घंटे तक एएसआई की टीम ने मस्जिद परिसर में जगहों को चिह्नित किया. वीडियो और फोटोग्राफी की. सर्वे में रडार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया.
मस्जिद पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि सर्वे के दौरान खुदाई की थी लेकिन प्रशासन ने इससे इनकार किया. प्रशासन का कहना है कि मस्जिद परिसर में किसी भी तरह की कोई खुदाई नहीं की गई. फिलहाल 26 तारीख तक वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में पुरातत्व सर्वेक्षण नहीं होगा.
सर्वे से क्या पता चलेगा?
अब बड़ा सवाल ये है कि सर्वे से क्या होगा? और इसका जवाब ये है कि सर्वे से ये पता चलेगा कि किस पक्ष का दावा कितना मजबूत है. सर्वे से दोनों पक्षों के दावों पर पुख्ता सबूत मिल जाएंगे. यही नहीं, इस सर्वे से वैज्ञानिक सबूत मिल जाएंगे जो मामले को आगे ले जाएंगे. सर्वे के नतीजे किस पक्ष के अनुकूल होंगे, ये तो बाद में ही पता चल पाएगा लेकिन इससे ये पुष्टि भी हो जाएगी कि ज्ञानवापी मस्जिद, कभी मंदिर थी या नहीं..
बहरहाल, ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद करीब साढ़े तीन सौ बरस के बाद एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा दिख रहा है, लेकिन इससे न सिर्फ मंदिर-मस्जिद विवाद का सच मालूम होगा, बल्कि राजनीति का एक नया चैप्टर खुल जाएगा.
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