Gyanvapi Masjid: ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Masjid) के सर्वे का आदेश देने वाले दीवानी जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर (Ravi Kumar Diwakar) को मंगलवार को एक धमकी भरा पत्र (Threatening Letter) मिला है. वाराणसी के पुलिस आयुक्त (Varanasi Police Commissioner) ने बताया कि जज की सुरक्षा में नौ पुलिसकर्मी लगाए गए हैं और इस मामले की जांच की जा रही है.


वाराणसी के दीवानी जज दिवाकर ने इस संबंध में अपर मुख्य सचिव (गृह), पुलिस महानिदेशक और पुलिस आयुक्त वाराणसी को पत्र लिखकर धमकी मिलने की जानकारी दी है. अधिकारियों को भेजे गये पत्र में दिवाकर ने लिखा कि उन्हें यह पत्र ‘इस्लामिक आगाज़ मूवमेंट’ की ओर से काशिफ अहमद सिद्दीकी ने भेजा है.


रजिस्टर्ड डाक से भेजा गया धमकी भरा पत्र


मामले में वाराणसी के पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश ने बताया कि जज दिवाकर को रजिस्टर्ड डाक द्वारा एक पत्र मिला है, जिसमें कुछ और कागज संलग्न है, इसकी जानकारी उनकी ओर से दी गयी है. उन्होंने कहा कि वाराणसी के पुलिस उपायुक्त वरुणा को इस मामले की जांच सौंपी गई है. जज की सुरक्षा में कुल नौ पुलिसकर्मी लगाए गए हैं और समय-समय पर उनकी सुरक्षा की समीक्षा की जा रही है.


जज को भेजा गया पत्र सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया है. पत्र में लिखा गया है, "अब जज भी भगवा रंग में सराबोर हो चुके हैं. फैसला उग्रवादी हिंदुओं और उनके तमाम संगठनों को प्रसन्न करने के लिए सुनाते हैं. इसके बाद ठीकरा विभाजित भारत के मुसलमानों पर फोड़ते हैं. आप न्यायिक कार्य कर रहे हैं, आपको सरकारी मशीनरी का संरक्षण प्राप्त है. फिर आपकी पत्नी और माता श्री को डर कैसा है...? आजकल न्यायिक अधिकारी हवा का रुख देख कर चालबाजी दिखा रहे हैं. आपने वक्तव्य दिया था कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का निरीक्षण एक सामान्य प्रक्रिया है. आप भी तो बुतपरस्त (मूर्तिपूजक) हैं. आप मस्जिद को मंदिर घोषित कर देंगे.”


जज ने दिए थे मस्जिद परिसर का निरीक्षण के आदेश


जज दिवाकर की अदालत ने 26 अप्रैल को ज्ञानवापी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वेक्षण कराने के आदेश दिए थे. इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट 19 मई को अदालत में पेश की गई थी. सर्वेक्षण के दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया था, जिसे मुस्लिम पक्ष ने खारिज करते हुए कहा था कि वह ”शिवलिंग’ नहीं, बल्कि ‘फव्वारा’ है.


इसी बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मुस्लिम पक्ष की एक याचिका पर मामले को जिला जज की अदालत में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत में अर्जी दायर कर कहा था कि यह मामला उपासना स्थल कानून (Place of Worship Act) के प्रावधानों के खिलाफ है, लिहाजा यह सुनवाई किए जाने योग्य ही नहीं है.


इसे भी पढ़ेंः
Corona Virus In Mumbai: मुंबई में कोरोना विस्फोट, आज 1242 नए मामले दर्ज, 10 मरीजों को पड़ी ऑक्सीजन की जरूरत


Chhattisgarh: हसदेव जंगल को लेकर आमने-सामने आए भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव, सीएम बोले- पेड़ क्या डंगाल तक नहीं कटेगा