Varanasi Gyanvapi Survey Case: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में शुक्रवार को कहा कि इस केस की सुनवाई उत्तर प्रदेश में ज्यादा 'अनुभवी' जज की ओर से किया जाना चाहिए. इसके साथ ही, इस मामले को वाराणसी के जिला कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की जटिलता और संवेदनशीलता को देखते हुए वाराणसी में दायर सिविल मुकदमे की सुनवाई यूपी न्यायिक सेवा के अनुभवी न्यायिक ऑफिसर की तरफ से किया जाना चाहिए.


इसके बाद, भारत के सबसे पुराने और धार्मिक शहरों में से एक वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के ठीक सामने स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में पांच हिन्दू महिलाओं की तरफ से पूजा मांगने की अर्जी पर  सीनियर जज की तरफ से मामले की सुनवाई की जाएगी.


गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी की तरफ से चुनौती दी गई थी. मुस्लिम पक्ष ने याचिका में बताया था कि सर्वे करना 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट ऑफ 1991' का उल्लंघन है, जो 15 अगस्त 1947 जैसी धार्मिक स्थलों को यथास्थिति रखने की इजाजत देता है. हिन्दू पक्ष ने कहा कि याचिका को खारिज किया जाना चाहिए. इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे को लेकर जो चीजें  प्रेस में लीक हुई, उसे भी काफी गंभीरता से लिया है और कहा कि इसे रोका जाना चाहिए.


सुनवाई के दौरान 2-3 बार अंजुमन इंतजामिया मस्ज़िद के वकील हुजेफा अहमदी की हिंदू पक्ष के लिए पेश वरिष्ठ वकील सी एस वैद्यनाथन और यूपी सरकार के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से हल्की झड़प हुई. वैद्यनाथन की मांग थी कि सबसे पहले ज़िला जज को सर्वे कमीशन की रिपोर्ट पर सुनवाई करनी चाहिए. वहीं तुषार मेहता ने वज़ू को लेकर अहमदी पर गलतबयानी का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि प्रशासन ने वज़ू के लिए ज़रूरी प्रबंध किया है. इससे पहले, जुमे की नमाज के लिए दोपहर करीब 12 बजे भारी संख्या में लोग ज्ञानवापी मस्जिद पहुंचे. इसके बाद, ज्यादा लोगों की वजह से कुछ लोगों को वापस भेज दिया गया और गेट बंद कर दिया गया था.


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