Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के लिए आज का दिन बेहद अहम है. वाराणसी की जिला अदालत अपना फैसला सुनाने वाली है जिसमें ये तय होगा कि केस की सुनवाई किस दिशा में आगे बढ़ाई जाए और सबसे पहले कौन सी याचिका पर सुनवाई की जाए. सोमवार को हुई सुनवाई में हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष ने अपनी-अपनी दलील दी.
हिंदू पक्ष ने मांग की है कि पहले कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर सुनवाई आगे बढ़ाई जाए. साथ ही ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की फोटो और वीडियोग्राफी देखे जाएं. जानकारी के मुताबिक, हिंदू पक्ष ने सर्वे कमीशन की रिपोर्ट पढ़ने को भी कहा है और ये भी कहा कि इस मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू नहीं होता.
मुस्लिम पक्ष की दलील
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मामले की सुनवाई आदेश 7 के नियम 11 के तहत होनी चाहिए साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक उनकी याचिका को प्राथमिकता दी जाए. उन्होंने ये भी कहा कि, ये केस सुनने लायक ही नहीं है.
मामले पर सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल
बता दें, बीते दिन कशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई. अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर मांग की है कि उनका पक्ष भी सुना जाए. उन्होंने कहा है कि ये मामला सीधे तौर पर उनकी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा है. सदियों से वहां भगवान आदि विशेश्वर की पूजा होती रही है. ये सम्पत्ति हमेशा से उनकी रही है. किसी सूरत में सम्पत्ति से उनका अधिकार नहीं छीना जा सकता.
उन्होंने कहा कि एक बार प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के बाद मन्दिर के कुछ हिस्सों को ध्वस्त करने और यहां तक कि नमाज पढ़ने से भी मन्दिर का धार्मिक स्वरूप नहीं बदलता, जब तक कि विसर्जन की प्रकिया द्वारा मूर्तियों को वहां से शिफ्ट न किया जाए. उन्होंने अपनी याचिका में यह भी दलील दी कि इस्लामिक सिद्धान्तों के मुताबिक भी मन्दिर तोड़कर बनाई गई कोई मस्जिद वैध मस्जिद नहीं है. 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट किसी धार्मिक स्थल के स्वरूप को निर्धारित करने से नहीं रोकता. उन्होंने अपनी याचिका में मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज करने की मांग की है.
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