(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
ज्ञानवापी पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से हुई गलती, मस्जिद कमेटी के वकील ने कोर्ट को बताया, CJI बोले- भूल सुधार रहे हैं
Gyanvapi Masjid: मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में गलती से यह भी लिख दिया कि हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई योग्य न बताने वाली उनकी अपील का भी निपटारा कर दिया गया है
Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष अंजमुन इंतेजामिया बुधवार (26 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. कमेटी के वकील हुजैफा अहमदी चीफ जस्टिस ने 24 जुलाई वाले फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें सुप्रीम कोर्ट से गलती हुई है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि बीते सोमवार को उन्होंने सर्वे पर रोक के आवेदन पर बहस की थी. सुप्रीम कोर्ट ने उसका निपटारा किया, लेकिन आदेश में गलती से यह भी लिख दिया कि हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई योग्य न बताने वाली उनकी अपील का भी निपटारा कर दिया गया है. इससे हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पर असर पड़ेगा. चीफ जस्टिस ने कहा कि इस भूल को सुधारा जा रहा है.
24 जुलाई को सुनवाई को दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वे पर दो दिन के लिए रोक लगा दी थी और मुस्लिम पक्ष को वाराणसी जिला जज के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील करने को कहा था. एएसआई यह पता लगाने के लिए सर्वेक्षण कर रहा था कि क्या मस्जिद का निर्माण वहां पहले मौजूद किसी मंदिर पर किया गया है या नहीं.
क्या बोला मुस्लिम पक्ष
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतेजामिया प्रबंधन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुफेजा अहमदी के इन अभ्यावेदनों का संज्ञान लिया कि कोर्ट ने सुनवाई की आखिरी तारीख को एएसआई के काम पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली उसकी अंतरिम याचिका के बजाय मुख्य याचिका का निपटारा कर दिया था.
हिंदू पक्ष ने कहा, याचिका बहाल किए जाने पर आपत्ति नहीं
उत्तर प्रदेश सरकार और एएसआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें मस्जिद समिति की विशेष अनुमति याचिका को बहाल किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है. मस्जिद समिति ने मुख्य याचिका में वाराणसी जिला अदालत में हिंदू पक्ष के मुकदमे को बिना विधिवत मुहर एवं अधिकृत हस्ताक्षर वाले कागज पर दाखिल करने के लिए नागरिक प्रक्रिया संहिता के नियम आठ 11 (सी) के तहत खारिज करने का अनुरोध किया है.
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