(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में क्या चाहता है हिंदू पक्ष, जानें क्या है मुस्लिम पक्ष की दलीलें
Gyanvapi Masjid Case: कथित शिवलिंग को लेकर हिंदू पक्ष की दलील है कि ये एक प्रचीन शिवलिंग है, जिसे मंदिर में बनाया गया था. विवाद बढ़ने पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और इस जगह जाने पर रोक लग गई.
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. कोर्ट इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार हो गया और अब दोनों ही पक्षों की दलीलों को सुना जा रहा है. इस मामले में हिंदू और मुस्लिम पक्ष की अपनी कई दलीलें हैं. जिन्हें लेकर पिछले कई हफ्तों से विवाद चल रहा है. गुरुवार 17 नवंबर को भी मामला कोर्ट में सुना गया, जहां मुस्लिम पक्ष की उस आपत्ति को खारिज कर दिया गया जिसमें हिंदू पक्ष को मस्जिद के वजू खाने में मिले कथित शिवलिंग की पूजा पाठ की अनुमति नहीं देने की बात कही गई थी. कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई योग्य मानते हुए स्वीकार कर लिया.
इस पूरे मामले को लेकर तमाम तरह की जानकारी रोज सामने आती है, कोर्ट में सुनवाई होती है और कभी मामला एक पक्ष तो कभी दूसरे पक्ष की तरफ जाता दिखता है. आज हम आपको ये बताएंगे कि असल में हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष की ज्ञानवापी को लेकर क्या-क्या दलीलें हैं.
ज्ञानवापी पर हिंदू पक्ष की दलीलें
पांच हिंदू महिलाओं ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में मंदिर के प्रमाण हैं, इसीलिए इसका सर्वे कराया जाना चाहिए. बाद में मामला कोर्ट में सुना गया और कोर्ट के आदेश पर ही पूरी मस्जिद का सर्वे कराया गया. सर्वे में कुछ तस्वीरें सामने आईं, जिन्होंने विवाद को और बड़ा कर दिया. तस्वीरों को लेकर हिंदू पक्ष ने दावा किया कि ये मंदिर में बनी कलाकृतियां हैं. इसी बीच मस्जिद के वजूखाने से एक शिवलिंग की तस्वीर भी सामने आई. जिसे लेकर असली विवाद शुरू हुआ.
कथित शिवलिंग को लेकर हिंदू पक्ष की दलील है कि ये एक प्रचीन शिवलिंग है, जिसे मंदिर में बनाया गया था. विवाद बढ़ने पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और इस जगह जाने पर रोक लग गई. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर रोक नहीं लगाई. हिंदू पक्ष अब मांग कर रहा है कि उन्हें इस कथित शिवलिंग की पूजा करने दी जाए. जिसे लेकर कोर्ट में सुनवाई जारी है.
- हिंदू पक्ष ये मांग कर रहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद उन्हें पूरी तरह सौंप दी जाए. साथ ही यहां पर जल्द से जल्द पूजा की व्यवस्था भी की जाए.
- हिंदू पक्ष की एक मांग ये भी है कि मस्जिद नुमा गुंबद को तुरंत विध्वंस करने का कोर्ट आदेश दे और इस परिसर में मुस्लिमों का प्रवेश बंद कर दिया जाए.
- कथित शिवलिंग को लेकर हिंदू पक्ष का कहना है कि इसे वजूखाने में रखने से इसका अपमान हुआ है और जल्द से जल्द इसकी शुद्धि और पूजा की इजाजत दी जाए.
मुस्लिम पक्ष की क्या है दलील
ज्ञानवापी मामले को लेकर मुस्लिम पक्ष की दलील है कि ये मस्जिद काफी पुरानी है और इसके साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए. इसके लिए पूजा स्थल अधिनियम 1991 का हवाला दिया गया. हालांकि इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि मामला सुनने लायक है. फिलहाल अंजुमन इंजामिया मसाजिद कमेटी (Anjuman Intezamia Masjid Committee) परिसर की देखभाल करती है. जो इस मामले को लेकर अपना पक्ष रख रही है.
- मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. इसीलिए वक्फ कोर्ट में ही इसकी सुनवाई की जानी चाहिए.
- 1936 के दीन मोहम्मद बनाम भारत सरकार के मामले का हवाला देते हुए मुस्लिम पक्ष ने तर्क दिया है कि तब मुस्लिमों को ही मस्जिद में नमाज का अधिकार दिया गया था. इसीलिए उसे ही बरकरार रखा जाए.
- मुस्लिम पक्ष का तर्क है कि तमाम सरकारी दस्तावेजों में ज्ञानवापी को एक मस्जिद के तौर पर ही माना गया है. ये औरंगजेब के जमाने से चला आ रहा है, इसीलिए हिंदू पक्ष की दलीलों को खारिज किया जाना चाहिए.
फिलहाल इस पूरे मामले में दोनों ही पक्षों की दलीलों को कोर्ट में सुना जा रहा है. कथित शिवलिंग की पूजा करने वाली याचिका के खारिज नहीं होने पर मुस्लिम पक्ष अब हाईकोर्ट जाने की बात कर रहा है. वहीं पूजा-अर्चना को लेकर कोर्ट जल्द अपना फैसला सुना सकता है.
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