Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में आज मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष के दावों पर जताई आपत्ति, 4 जुलाई तक टली सुनवाई
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में आज वाराणसी की जिला अदालत में सुनवाई हुई. अब 4 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई होगी.
Gyanvapi Mosque Dispute: ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Gyanvapi Case) को लेकर वाराणसी (Varanasi Court) के जिला जज की अदालत में सोमवार सुनवाई हुई. सुनवाई शुरू होते ही अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से दलीलें रखी गई. मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलों में पूरे मामले को खारिज करने की बात कहता रहा. मुस्लिम पक्ष ने हिंदुओं के दावे पर आपत्तियां दर्ज कराई. कोर्ट ने मामले की सुनवाई को 4 जुलाई तक टाल दिया है.
इसके अलावा ज्ञानवापी परिसर हिंदू पक्ष को सौंपने वाली याचिका पर भी आज वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट (Fast Track Court) में सुनवाई हुई. विश्व वैदिक सनातन संघ की तरफ से ये याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका में दावा किया गया है कि मन्दिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई है और मस्जिद कमेटी के अलावा यूपी सरकार को भी पक्षकार बनाया गया है. इस याचिका पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मूल वाद की कॉपी सारे वादियों को देने के लिए कहा. कोर्ट ने सुनवाई अगली तारीख तक टाल दी है.
26 मई को भी हुई थी सुनवाई
बता दें, इससे पहले 26 मई को भी मुस्लिम पक्ष की तरफ से कई दलीलें दी गई थीं जिसमें केस को रफा दफा किए जाने की बात की गई थी. इस दौरान मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष की याचिका खारिज करने की मांग की थी. साथ ही दावा किया था कि ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग नहीं, वुजूखाने का फव्वारा है. इसके अलावा अदालत में इस दौरान 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' (Places of Worship Act) पर भी चर्चा हुई थी.
कोर्ट ने दोनों पक्षों को वीडियो और फोटो देने के दिए थे आदेश
वहीं बीते शुक्रवार यानी 27 मई को वाराणसी जिला अदालत इस मुद्दे पर सुनवाई हुई थी कि क्या सर्वे की रिपोर्ट और वीडियोग्राफी (Gyanvapi Survey Video) को सार्वजनिक किया जाए. इस विषय पर हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों की राय अलग अलग थी. ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने अदालत से अनुरोध किया है कि सर्वेक्षण की तस्वीरें और वीडियो सार्वजनिक नहीं होने दें. वहीं हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष की दलील का विरोध किया था. जिसके बाद वाराणसी जिला अदालत ने आदेश दिया था कि 30 मई को दोनों पक्षों को वीडियो और फोटो दिए जाएंगे.
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि दिल्ली निवासी राखी सिंह और चार अन्य महिलाओं ने श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा अर्चना की अनुमति देने और परिसर में स्थित विभिन्न विग्रहों की सुरक्षा का आदेश देने के आग्रह संबंधी याचिका दाखिल की थी. इस पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने 26 अप्रैल को एक आदेश जारी कर ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे कराकर 10 मई तक रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे.
अदालत ने इसके लिए अजय मिश्र को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था. 6 मई को सर्वे की कार्यवाही शुरू हुई थी, जो हंगामे के कारण 7 मई को रुक गई थी. सर्वे करने पहुंचे कोर्ट कमिश्नर और वादी पक्ष का मुस्लिम पक्ष ने विरोध कर दिया था. 9 मई को मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट कमिश्नर की निष्पक्षता पर सवाल उठाए और उन्हें हटाने की मांग भी की. इसी को लेकर कोर्ट में तीन दिन बहस चली और फिर 12 मई को वाराणसी की एक अदालत ने कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्र को हटाने संबंधी अर्जी को नामंजूर कर दिया था. साथ ही विशाल सिंह को विशेष कोर्ट कमिश्नर और अजय प्रताप सिंह को सहायक कोर्ट कमिश्नर के तौर पर नियुक्त किया. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर भी वीडियोग्राफी कराई जाएगी. जिसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का काम शुरू हुआ.
सर्वे में शिवलिंग मिलने के किया था दावा
सर्वे के दौरान हिंदू पक्ष ने वुजूखाने में शिवलिंग (Shivling) मिलने के दावा किया था. फिर से मामले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा था. जिसके बाद वुजूखाना सील कर दिया गया था. इस केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे सेशन कोर्ट से वाराणसी जिला कोर्ट को भेज दिया था. साथ ही कोर्ट ने कहा था कि 8 हफ्तों तक सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश लागू रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को 8 हफ्ते का अंतरिम आदेश जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जहां ‘शिवलिंग’ मिलने की बात कही गई है, उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें. साथ ही मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की इजाजत दी थी. जिसके बाद से इस मामले की सुनवाई वाराणसी की जिला अदालत (Varanasi Court) में चल रही है.
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