(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Gyanvapi Mosque Case: ज्ञानवापी मामले की आज देश की सबसे बड़ी अदालत में सुनवाई, मस्जिद कमेटी ने सर्वे के आदेश को दी है चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ज्ञानवापी मामले पर सुनवाई करते हुए कहा था कि मस्ज़िद में नमाज़ पढ़ने के लिए आने वालों की संख्या 20 तक सीमित रखने का निचली अदालत का आदेश सही नहीं है.
Gyanvapi Masjid Case: सुप्रीम कोर्ट ज्ञानवापी विवाद पर आज सुनवाई करेगा. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच की सुनवाई की सूची में मामला 19वें नंबर पर लगा है. यह बेंच दोपहर 1 बजे तक ही बैठने वाली है. इस हिसाब से मामला 12 बजे के आसपास सुना जा सकता है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कथित तौर पर मिले शिवलिंग को संरक्षित रखने का आदेश दिया था. कोर्ट ने यह भी कहा था कि मस्ज़िद में नमाज़ पढ़ने के लिए आने वालों की संख्या 20 तक सीमित रखने का निचली अदालत का आदेश सही नहीं है. सभी नमाज़ियों को वहां आने दिया जाए.
वाराणसी के अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की मैनेजमेंट कमिटी ने निचली अदालत से जारी मस्जिद परिसर के सर्वे के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. कमिटी ने कहा है कि सर्वे का आदेश 1991 के प्लेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट का उल्लंघन है, क्योंकि इस एक्ट के तहत यह तय किया गया है कि सभी धार्मिक स्थलों के स्थिति 15 अगस्त 1947 वाली बनाई रखी जाएगी. कमिटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को भी चुनौती दी है, जिसमें मस्जिद के सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का निचली अदालत का आदेश रद्द करने से मना कर दिया गया था.
13 मई को अंजुमन इंतजामिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. लेकिन 17 मई को जब मामला सुनवाई के लिए लगा, तब तक मस्जिद परिसर के सर्वे का काम पूरा हो चुका था. सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग जैसी रचना भी मिली, जिसके बाद निचली अदालत ने उस जगह को सील करने और मस्जिद में नमाजियों की संख्या 20 तक सीमित रखने का आदेश दे दिया. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और पी एस नरसिम्हा की बेंच के सामने यह मामला लगा तो याचिकाकर्ता पक्ष के वकील हुजैफा अहमदी ने निचली अदालत के सभी आदेशों को पर रोक लगाने की मांग की. उन्होंने यह भी कहा कि निचली अदालत में मुकदमे की सुनवाई होनी ही नहीं चाहिए थी क्योंकि यह 1991 के एक्ट के खिलाफ है.
सुप्रीम कोर्ट के जजों ने काफी देर तक हुजैफा अहमदी और यूपी सरकार के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की बातों को सुना. जजों ने कहा कि वह 19 मई को मामले की आगे सुनवाई करेंगे. लेकिन अगर परिसर में शिवलिंग मिला है, तो उसे संरक्षित रखना जरूरी है. इसलिए, वाराणसी के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को यह आदेश किया जा रहा है कि वह शिवलिंग को संरक्षित रखें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने नमाजियों की संख्या 20 तक सीमित रखने का जो आदेश दिया है, उसे बदला जा रहा है. वाराणसी के डीएम इस बात को भी सुनिश्चित करें कि नमाज के लिए आने वालों को कोई समस्या न हो. कोर्ट ने कहा है कि 19 मई को हिंदू पक्ष के वकीलों को भी सुनने के बाद मामले में आगे कोई आदेश दिया जाएगा.
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