Gyanvapi Masjid: 'लगी न मिर्ची... अब आस्था याद आ रही', ज्ञानवापी ASI सर्वे को लेकर ऐसा क्यों बोले स्वामी प्रसाद मौर्या
Swami Prasad Maurya on Gyanvapi Survey: स्वामी प्रसाद मौर्या ने ट्वीट में कहा कि बद्रीनाथ मंदिर बौद्ध मठ था और बाद में यह ब्रदीनाथ मंदिर बन गया.
Gyanvapi Masjid: समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अब आस्था याद आ रही है, क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है. स्वामी प्रसाद मौर्या ने दावा किया कि ज्यादातर हिंदू मंदिर बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं. बद्रीनाथ मंदिर को लेकर भी उन्होंने ऐसा ही दावा किया है.
इस संबंध में स्वामी प्रसाद मौर्या ने एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ मंदिर बौद्ध मठ था और बाद में यह ब्रदीनाथ मंदिर बन गया.
किया ये ट्वीट
ट्वीट कर उन्होंने लिखा, "आखिर मिर्ची लगी न, अब आस्था याद आ रही है। क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है? इसलिए तो हमने कहा था किसी की आस्था पर चोट न पहुंचे इसलिए 15 अगस्त 1947 के दिन जिस भी धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, उसे यथास्थिति मानकर किसी भी विवाद से बचा जा सकता है. अन्यथा ऐतिहासिक सच स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए. 8वीं शताब्दी तक बद्रीनाथ बौद्ध मठ था उसके बाद यह बद्रीनाथ धाम हिन्दू तीर्थ स्थल बनाया गया, यही सच है."
पहले भी कही थी ये बात
इससे पहले भी उन्होंने एक इंटरव्यू में यह बात कही थी. उन्होंने कहा, "अगर एएसआई सर्वे हो ही रहा है तो वो सिर्फ ज्ञानवापी का ही नहीं होना चाहिए बल्कि जितने भी हिन्दू धार्मिक स्थल हैं, पहले उनकी भी जांच होनी चाहिए, क्योंकि जितने भी हिन्दू धार्मिक स्थल हैं उनसे से अधिकांश मंदिर पहले बौद्ध मठ थे, उन्हें तोड़कर हिन्दू तीर्थ स्थल बनाए गए हैं. मौर्य ने कहा कि अगर गड़े मुर्दे उखाड़ने की कोशिश की जाएगी तो बात बहुत दूर तक जाएगी. हम ऐसा नहीं चाहते हैं. यही वजह है कि भाई-चारा बना रहे, आपसी सौहार्थ बना रहे इसलिए 15 अगस्त 1947 तक जो स्थिति थी उसे ही माना जाए."