Supreme Court on Gyanvapi Mosque Survey: सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले शिवलिंग को संरक्षित रखने का आदेश दिया है. कोर्ट ने वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को यह आदेश दिया है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी सिविल कोर्ट के उस आदेश को बदल दिया है जिसमें मस्जिद परिसर में सिर्फ 20 नमाजियों को ही जाने की अनुमति दी गई थी. कोर्ट ने कहा है कि नमाज के लिए जाने वाले लोगों की संख्या फिलहाल सीमित न की जाए. पूरे मामले पर गुरुवार, 19 मई को आगे की सुनवाई होगी.


वाराणसी के अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की मैनेजमेंट कमिटी ने निचली अदालत से जारी मस्जिद परिसर के सर्वे के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. कमिटी ने कहा था कि सर्वे का आदेश 1991 के प्लेस ऑफ़ वरशिप एक्ट का उल्लंघन है, क्योंकि इस एक्ट के तहत यह तय किया गया है कि सभी धार्मिक स्थलों के स्थिति 15 अगस्त 1947 वाली बनाई रखी जाएगी. कमिटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को भी चुनौती दी है, जिसमें मस्जिद के सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का निचली अदालत का आदेश रद्द करने से मना कर दिया गया था.


13 मई को अंजुमन इंतजामिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. लेकिन 17 मई को जब मामला सुनवाई के लिए लगा, तब तक मस्जिद परिसर के सर्वे का काम पूरा हो चुका था. सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग जैसी रचना भी मिली, जिसके बाद निचली अदालत ने उस जगह को सील करने और मस्जिद में नमाजियों की संख्या 20 तक सीमित रखने का आदेश दे दिया. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और पी एस नरसिम्हा की बेंच के सामने यह मामला लगा तो याचिकाकर्ता पक्ष के वकील हुजैफा अहमदी ने निचली अदालत के सभी आदेशों को पर रोक लगाने की मांग की. उन्होंने यह भी कहा कि निचली अदालत में मुकदमे की सुनवाई होनी ही नहीं चाहिए थी क्योंकि यह 1991 के एक्ट के खिलाफ है.


सुप्रीम कोर्ट के जजों ने काफी देर तक हुजैफा अहमदी की बातों को सुना. जजों ने यह भी कहा कि मुकदमे के सुनवाई योग्य न होने की दलील याचिकाकर्ता दे रहे हैं, इसका आवेदन खुद याचिकाकर्ताओं ने निचली अदालत में दे रखा है. सुप्रीम कोर्ट निचली अदालत से कह सकता है कि आवेदन का जल्द निपटारा किया जाए. याचिकाकर्ता पक्ष इससे संतुष्ट नहीं हुआ. जजों ने यह भी कहा कि इस समय निचली अदालत के याचिकाकर्ता यानी हिंदू पक्ष के वकील कोर्ट में मौजूद नहीं है. उनकी बात सुनने के बाद ही आदेश दिया जा सकता है.


जजों ने कहा कि वह 19 मई को मामले की आगे सुनवाई करेंगे. लेकिन अगर परिसर में शिवलिंग मिला है, तो उसे संरक्षित रखना जरूरी है. इसलिए, वाराणसी के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को यह आदेश किया जा रहा है कि वह शिवलिंग को संरक्षित रखें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने नमाजियों की संख्या 20 तक सीमित रखने का जो आदेश दिया है, उसे बदला जा रहा है. वाराणसी के डीएम इस बात को भी सुनिश्चित करें कि नमाज के लिए आने वालों को कोई समस्या न हो.


मुस्लिम पक्ष के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि वजू खाने को सील करने का आदेश गलत है. बिना वजू के नमाज नहीं हो सकती. इस पर यूपी सरकार के लिए कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वजू खाने को सील रखने का आदेश बिल्कुल सही है. तुषार मेहता ने कानून व्यवस्था से जुड़ी आशंका जताते हुए कहा कि अगर वहां सभी लोगों को आने जाने दिया गया और अगर और किसी ने शिवलिंग पर पैर रख दिया या उसका अपमान किया, तो कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है.


दोनों की दलीलें सुनने के बाद जजों ने कहा हम सिर्फ इतना ही कर कह रहे हैं कि नमाजियों को उनके धार्मिक रीति रिवाज का पालन करने दिया जाए. वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट शिवलिंग का संरक्षण सुनिश्चित करें. इस तरह से न तो कोर्ट ने वजू पर रोक लगाई, न ही पुराने वजूखाने में ही वजू किए जाने को लेकर कोई स्पष्ट आदेश दिया. कोर्ट ने कहा है कि 19 मई को हिंदू पक्ष के वकीलों को भी सुनने के बाद मामले में आगे कोई आदेश दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत में चल रही कार्रवाई को भी रोकने से फिलहाल मना कर दिया है.


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