Mohan Bhagwat on Gyanvapi: ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जारी बहस के बीच RSS प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के बयान पर सियासी उबाल आना शुरू हो गया. चक्रपाणि महाराज (Chakrapani Maharaj) से लेकर ओवैसी (Owaisi) तक ने उनके बायन पर प्रतिक्रिया दी है. अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चक्रपाणि महाराज ने कहा है कि राम मंदिर (Ram Mandir) में मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) और संघ (RSS) को कोई योगदान नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि मोहन भागवत जी को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए. संघ प्रमुख मोहन भागवत को अपना बयान वापस लेना चाहिए. मौलाना मदनी विदेशी अक्रांताओं के साथ हैं. क्या मोहन भागवत भी विदेशी अक्रांताओं के साथ हैं. 


वहीं भागवत के बयान पर ओवैसी ने कहा है कि ज्ञानवापी पर भागवत के भड़काऊ भाषण को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बाबरी के लिए एक आंदोलन "ऐतिहासिक कारणों से" जरूरी था. दूसरे शब्दों में आरएसएस ने सुप्रीम कोर्ट का सम्मान नहीं किया और मस्जिद के विध्वंस में भाग लिया. क्या इसका मतलब यह है कि वे ज्ञानवापी पर भी कुछ ऐसा ही करेंगे?


पार्टी वर्कर्स के लिए नसीहत


वहीं दूसरी भागवत के बयान पर कांग्रेस सांसद विवेक तनख़ा ने कहा है कि भागवत जी का जो बयान है, उन्होंने अपने पार्टी के वर्कर्स के लिए दिया है. वो जानते हैं कि ये प्रॉब्लम उनके पार्टी वर्कर्स की है, भारत की जनता की नहीं है. भारत की जनता सब कुछ अच्छे से समझती है और पहचानती है. वो अपनी पार्टी के वर्कर्स समझाएं कि आज देश की अखंडता और एकता ज्यादा महत्वपूर्ण है. बार-बार देश को दूसरे मुद्दों पर डायवर्ट करना देश के लिए हानिकारक है. आज फूड प्राइस, फ्यूल प्राइस, बेरोजगारी, यूथ डेवलपमेंट, एससी-एसटी, ओबीसी का उत्थान ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दे हैं.


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क्या बोले मोहन भागवत


ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जारी बहस के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat ) ने गुरुवार को कहा कि ज्ञानवापी का एक इतिहास है जिसे हम बदल नहीं सकते. हमें रोज एक मस्जिद में शिवलिंग को क्यों देखना है? झगड़ा क्यों बढ़ाना. भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा, ''ज्ञानवापी (Gyanvapi) का मुद्दा है. वो इतिहास हमने नहीं बनाया है. न आज के अपने आप को हिंदू कहलाने वालों ने बनाया, न आज के मुसलमानों ने बनाया. उस समय घटा. इस्लाम बाहर से आया, आक्रामकों के हाथों आया. उस आक्रमण में भारत की स्वतंत्रता चाहने वाले व्यक्तियों का मनोबल तोड़ने के लिए देवस्थान तोड़े गए, हजारों हैं. ये मामले उठते हैं.''


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