एक्सप्लोरर

ज्ञानवापी सर्वे: सम्राट अशोक का इतिहास खोजने वाले का नक्शा आ रहा है काम, जानिए कौन हैं जेम्स प्रिंसेप

ब्रिटिश आर्किटेक्ट जेम्स प्रिंसेप ने 19वीं शताब्दी में एक किताब लिखी थी जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी को मंदिर होने का दावा किया है. उन्होंने उस किताब में ज्ञानवापी को विश्वेश्वर मंदिर बताया है.

बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सर्वे का काम जारी है. इस जगह पर साल 1991 से ही मस्जिद को हटाकर मंदिर बनाने की कानूनी लड़ाई चल रही है. ज्ञानवापी पर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्षों के अपने दावे और तर्क हैं. 

इस बीच 21 जुलाई को बनारस के जिला जज ने हिन्दू पक्ष की याचिका पर भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) को सर्वे का आदेश दे दिया. अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार इस सर्वे को पूरा करने के लिए लगभग 200 साल पहले बनारस का सर्वे करने वाले ईस्ट इंडिया कंपनी के टकसाल के अधिकारी जेम्स प्रिंसेप के नक्शे का सहारा लिया जा रहा है.

दरअसल ब्रिटिश आर्किटेक्ट जेम्स प्रिंसेप ने 19वीं शताब्दी में एक किताब लिखी थी. नाम था 'बनारस इलस्ट्रेटेड'. इस पुस्तक में उन्होंने काशी से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी दी है. इस किताब में प्रिंसेप ने काशी का इतिहास से लेकर काशी की संस्कृति, काशी के घाट और ज्ञानवापी परिसर में मौजूद मंदिर के बारे में जानकारी दी है.

बनारस इलस्ट्रेटेड में जेम्स प्रिंसेप ने ज्ञानवापी को मंदिर होने का दावा किया है. उन्होंने उस किताब में ज्ञानवापी मस्जिद को विश्वेश्वर मंदिर बताया है. इस पुस्तक में विश्वेश्वर मंदिर का नक्शा भी प्रकाशित किया गया है. किताब में जेम्स प्रिंसेप ने जानकारी को सबूतों के साथ पेश करने के लिए लिथोग्राफी तकनीक का इस्तेमाल किया है.

कौन हैं जेम्स प्रिंसेप

जेम्स का जन्म 20 अगस्त 1799 में इंग्लैंड में हुआ था. वह एक अंग्रेजी स्कॉलर होने के साथ-साथ ईस्ट इण्डिया कंपनी के अधिकारी भी थे. उन्होंने 1838 ई. में पहली बार ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों को पढ़ने में सफलता प्राप्त की थी. 

सम्राट अशोक की कहानी दुनिया के सामने लाई 

हम सब बचपन से ही अशोक सम्राट के बहादुरी की कहानियां सुनते आए हैं. अशोक मौर्य सम्राट बिंदुसार के पुत्र थे और एक शक्तिशाली शासक थे जिन्होंने 2200 साल पहले भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्सों पर शासन किया था. राजा अशोक एशिया के बड़े हिस्से में बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए भी जाने जाते हैं. 

लेकिन क्या आपको पता है कि जेम्स प्रिंसेप ही वह व्यक्ति है जिन्होंने अशोक के शासनकाल की "खोज" की थी. वास्तुकला के प्रति उनका जुनून और ब्राह्मी लिपियों को समझने की कला के कारण ही आज हम अशोक सम्राट के बारे में जानते हैं.

दरअसल अशोक ने पत्थरों, स्तंभों और स्मारकों पर खुदे हुए शिलालेखों के माध्यम से अपने शासनकाल के बारे में बहुत सारी जानकारी छोड़ी थी. लेकिन, ये शिलालेख ज्यादातर ब्राह्मी लिपि में लिखे थे. ब्राह्मी लिपि एक प्राचीन लेखन प्रणाली थी जो कि 5वीं शताब्दी ई.पू. तक खत्म हो चुकी थी. इसलिए अशोक ने अपने बारे में जानकारी तो दी थी लेकिन उस लिपि में लिखे शब्दों कोई पढ़ नहीं पा रहा था. 

साल 1837-38 में एक अंग्रेज इंडोलॉजिस्ट जेम्स प्रिंसेप ने इन शिलालेखों को समझने का काम पूरा किया और अशोक को इतिहास में उसका उचित स्थान दिलाया. प्रिंसेप के बिना हम अशोक के जीवन के बारे में इतना कुछ कभी नहीं जान पाते. 

1819 में भारत आए थे प्रिंसेप 

कहा जाता है कि प्रिंसेप बचपन से ही वास्तुकार बनना चाहते थे, लेकिन गरीब परिवार का होने के कारण वह इसकी पढ़ाई नहीं कर सके. वह साल 1819 में भारत आये, उन्हें कलकत्ता में टकसाल (Calcutta Mint) नियुक्त किया गया. एक साल के भीतर ही यानी 26 नवंबर 1820 को उन्हें बनारस टकसाल अधिकारी नियुक्त किया गया. इस दौरान उन्होंने वाराणसी घूमना शुरू किया.

वास्तुकला के प्रति उनका पुराना जुनून भी वाराणसी भ्रमण के दौरान ही जागा. वाराणसी का टकसाल अधिकारी नियुक्त किए जाने के बाद प्रिंसेप ने इस प्राचीन नगरी को आधुनिक स्वरूप देने का खाका तैयार किया.

उन्होंने वहां सीवर सिस्टम विकसित करने के लिए मुगलों द्वारा बनवाई गई 24 किलोमीटर लंबी 'शाही सुरंग' को चुना. 1827 में प्रिंसेप ने लखौरी ईंट और बरी मसाला से इसे 'शाही नाला' का रूप दिया जो आज भी किसी धरोहर से कम नहीं है. प्रिंसेप के बनारस को आधुनिक स्वरूप देने के प्रयास के वहां के किसान भी काफी प्रसन्न हुए और वाराणसी के विकास के लिए जमीनें दे दीं. प्रिंसेप ने इस जमीन पर विश्वेश्वरगंज मंडी बसाई, जो आज भी पूर्वांचल की सबसे बड़ी किराना मंडी है.

उन्होंने वाराणसी में नई टकसाल को डिजाइन किया, एक चर्च का निर्माण किया और यहां तक कि औरंगजेब की लुप्त आलमगीर मस्जिद की मीनारों को भी रिस्टोर किया. उन्होंने इस शहर का नक्शा बनाया, इसकी जल निकासी प्रणाली को फिर से डिजाइन किया और कर्मनाशा नदी पर एक पुल बनाया. 

विश्वेश्वर मंदिर का नक्शा भी बनाया 

जेम्स ने अपनी किताब इलेस्ट्रेटेड बनारस में विश्वेश्वर मंदिर का भी नक्शा बनाया है जिसे अभी का ज्ञानवापी कहा जा रहा है. इस नक्शे में विश्वेश्वर मंदिर की विस्तार में जानकारी दी गई थी. नक्शे को हिसाब से ये 124 फिट का चौकोर मंदिर था और इसके चारों कोनों पर मंडप है. बीच में एक विशाल सा गर्भगृह है जिसे नक्शे में मंडपम कह कर संबोधित किया गया है. नक्शे के हिसाब ये मंदिर कुल 9 शिखर वाला रहा होगा.

फिलहाल एएसआई की टीम साक्ष्य जुटाने के लिए इसी नक्शे की मदद ले रही है. अगर उस नक्शे के अनुसार वाकई ज्ञानवापी से पहले यहां विश्वेश्वर मंदिर था तो सच्चाई जल्द ही सामने आ जाएगी. 

बनारस में बीते 10 साल 

जेम्स प्रिंसेप का जन्म भले ही इंग्लैंड में हुआ हो लेकिन 40 साल की उनकी जिंदगी का दस साल (1820-1830 तक) वाराणसी में ही बीता. वाराणसी के बाद वह कोलकाता गए और हैरिएट सोफिया से शादी की. साल 1839 में जब उनकी तबीयत खराब होने लगी तो उन्होंने इस्तीफा दिया और पूरे परिवार के साथ लंदन चले गए, जहां 22 अप्रैल 1840 में उनका निधन हो गया.

क्या है ज्ञानवापी विवाद 

कहा जाता है कि 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था. अब हिंदू पक्ष का दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1669 में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर उसपर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई थी.  

अब इस पूरे विवाद में हिंदू पक्ष की तीन मुख्य मांगें है. पहला पूरे ज्ञानवापी परिसर को काशी घोषित किया जाए. दूसरी मांग ये है कि ज्ञानवापी मस्जिद को ढहाकर परिसर में मुसलमानों के आने पर रोक लगाई जाए और तीसरी मांग ये है कि हिंदुओं को मंदिर का पुनर्निर्माण की अनुमति दी जाए. 

कब से हुई शुरुआत?

ज्ञानवापी को लेकर विवाद कोई नया नहीं. पहला मुकदमा 1991 में वाराणसी कोर्ट में दाखिल किया गया था. याचिका में दाखिल करने वाले का नाम सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय था. उन्होंने ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने की अनुमति मांगी गई थी. साल 1993 में विवादित ज्ञानवापी पर वर्शिप एक्ट केस के तहत स्टे लगा दिया गया और स्थिति जैसी है वैसे ही कायम रखने का आदेश दिया था. 

इसके बाद साल 2019 में एक बार फिर सर्वे की मांग को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. लेकिन इस बार इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिका पर रोक लगा दी. अगस्त 2021 में श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन की मांग करते 5 महिलाओं ने वाराणसी कोर्ट में याचिका डाली. जिसके बाद सिविल कोर्ट ने साल 2022 के अप्रैल में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने और उसकी वीडियोग्राफी के आदेश दे दिए.  

इस सर्वे का मुस्लिम पक्ष के विरोध किया लेकिन विरोध के बीच सुनवाई जारी रही और हाईकोर्ट ने मामले को लेकर सिविल कोर्ट के आदेश को आगे बढ़ाते हुए परिसर में सर्वे की अनुमति दे दी. 

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

उत्तर भारत में ठंड का कहर, प्रदूषण से दिल्ली-एनसीआर की सांसें हुईं भारी, AQI 490 के पार
उत्तर भारत में ठंड का कहर, प्रदूषण से दिल्ली-एनसीआर की सांसें हुईं भारी, AQI 490 के पार
यूपी से हरियाणा तक कोहरे का कहर, रेवाड़ी और ग्रेटर नोएडा में कम विजिबिलिटी की वजह से टकराए वाहन
यूपी से हरियाणा तक कोहरे का कहर, रेवाड़ी और ग्रेटर नोएडा में कम विजिबिलिटी की वजह से टकराए वाहन
अक्षय कुमार की भतीजी नाओमिका सरन हुईं स्पॉट, पैपराजी से की रिक्वेस्ट, बोलीं- अब बस हो गया जी
अक्षय कुमार की भतीजी नाओमिका सरन हुईं स्पॉट, पैपराजी से की रिक्वेस्ट, बोलीं- अब बस हो गया जी
वनडे क्रिकेट में भारत के सबसे बड़े रन मशीन कौन रहे, सचिन से कोहली तक दिग्गजों की ऐतिहासिक लिस्ट देखिए
वनडे क्रिकेट में भारत के सबसे बड़े रन मशीन कौन रहे, सचिन से कोहली तक दिग्गजों की ऐतिहासिक लिस्ट देखिए

वीडियोज

BJP New President: दिल्ली-NCR में प्रदूषण का कहर, लोगों का सांस लेना हुआ मुश्किल
IPO Alert: HRS Aluglaze ltd में Invest करने से पहले जानें GMP, Price Band| Paisa Live
Bank Auction में Property खरीदना Safe है या Risky? Title, Possession और Resale Guide | Paisa Live
UP Cough Syrup Case: कफ सिरप मामले में मुख्य आरोपी की कोठी पर ED की रेड | Breaking | ABP News
Delhi AIR Pollution: NCR में खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण, GRAP 4 लागू, इन चीजों पर रहेगा बैन |

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
उत्तर भारत में ठंड का कहर, प्रदूषण से दिल्ली-एनसीआर की सांसें हुईं भारी, AQI 490 के पार
उत्तर भारत में ठंड का कहर, प्रदूषण से दिल्ली-एनसीआर की सांसें हुईं भारी, AQI 490 के पार
यूपी से हरियाणा तक कोहरे का कहर, रेवाड़ी और ग्रेटर नोएडा में कम विजिबिलिटी की वजह से टकराए वाहन
यूपी से हरियाणा तक कोहरे का कहर, रेवाड़ी और ग्रेटर नोएडा में कम विजिबिलिटी की वजह से टकराए वाहन
अक्षय कुमार की भतीजी नाओमिका सरन हुईं स्पॉट, पैपराजी से की रिक्वेस्ट, बोलीं- अब बस हो गया जी
अक्षय कुमार की भतीजी नाओमिका सरन हुईं स्पॉट, पैपराजी से की रिक्वेस्ट, बोलीं- अब बस हो गया जी
वनडे क्रिकेट में भारत के सबसे बड़े रन मशीन कौन रहे, सचिन से कोहली तक दिग्गजों की ऐतिहासिक लिस्ट देखिए
वनडे क्रिकेट में भारत के सबसे बड़े रन मशीन कौन रहे, सचिन से कोहली तक दिग्गजों की ऐतिहासिक लिस्ट देखिए
'BJP के ऐतिहासिक प्रदर्शन को...', तिरुवनंतपुरम में फहराया भगवा तो शशि थरूर का आया पहला रिएक्शन, जानें क्या कहा?
'BJP के ऐतिहासिक प्रदर्शन को...', तिरुवनंतपुरम में फहराया भगवा तो शशि थरूर का आया पहला रिएक्शन, क्या कहा?
Smoking in Parliament: संसद में ई-सिगरेट पीने पर क्या टीएमसी सांसद की जा सकती है सांसदी, क्या है नियम?
संसद में ई-सिगरेट पीने पर क्या टीएमसी सांसद की जा सकती है सांसदी, क्या है नियम?
ओजोन गैस तो नहीं छोड़ रहा आपका एयर प्यूरीफायर, खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान
ओजोन गैस तो नहीं छोड़ रहा आपका एयर प्यूरीफायर, खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान
नासा में कैसे मिलती है नौकरी, कहां निकलती है इसकी वैकेंसी?
नासा में कैसे मिलती है नौकरी, कहां निकलती है इसकी वैकेंसी?
Embed widget