ज्ञानवापी का व्यासजी का तहखाना... क्या है इसका इतिहास, क्यों मुलायम सिंह यादव सरकार ने बंद करा दी थी यहां पूजा
व्यासजी के तहखाने में साल 1993 से पहले व्यास परिवार पूजा-अर्चना किया करता था. यह तहखाना ज्ञानवापी परिसर में दक्षिण की ओर स्थित है.
Gyanvapi Case: वाराणसी की जिला और सत्र कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी में स्थित व्यासजी के तहखाने में नियमित रूप से पूजा-पाठ शुरू हो गया है. जिस तरह 1993 से पहले तक किया जाता था. अब व्यास परिवार तहखाने में पूजा करेगा. 1993 से पहले सोमनाथ व्यास का परिवार यहां पूजा-अर्चना किया करता था.
यह तहखाना ज्ञानवापी में ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद है, जहां हिंदू धर्म से जुड़े चिन्ह जैसे स्वास्तिक, कमल और ओम की आकृतियां पाई गई हैं. पिछले साल 25 सितंबर को व्यास परिवार की तरफ से तहखाने में पूजा-अर्चना करने की अनुमति के लिए याचिका दाखिल की गई थी, जिसके बाद ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे में व्यासजी के तहखाने की भी जांच हुई. जांच में तहखाने के अंदर मंदिर के सबूत मिले और कोर्ट ने बुधवार को व्यासजी के तहखाने में पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी. जिला कोर्ट के जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश ने प्रशासन को व्यासजी के तहखाने में पूजा-अर्चना करने की व्यवस्था करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है. आइए जानते हैं व्यासजी का तहखाना क्या है, ज्ञानवापी में कहां स्थित है और 1993 में यहां पूजा-अर्चना क्यों बंद कर दी गई थी-
व्यासजी का तहखाना कहां है?
सन 1993 से पहले व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ करने वाले व्यास परिवार के पोते आशुतोष व्यास ने बताया कि ज्ञानवापी के अंदर 10 तहखाने मौजूद हैं. व्यासजी का तहखाना ज्ञानवापी में दक्षिण की ओर स्थित है. यहां मौजूद 10 तहखानों में से दो तहखानों को खोला गया है. कोर्ट में वाद दाखिल कर बताया गया कि व्यासजी का तहखाना ज्ञानवापी परिसर में नंदी भगवान के ठीक सामने है. यह तहखाना प्राचीन मंदिर के मुख्य पुजारी व्यास परिवार की मुख्य गद्दी है. यह वह स्थान है, जहां 400 साल से व्यास परिवार शैव परंपरा से पूजा-पाठ करता था. ब्रिटिश काल में भी मुकदमा जीतकर व्यास परिवार का तहखाने पर कब्जा बरकरार रहा.
व्यासजी के तहखाने में क्यों बंद हुई पूजा?
आशुतोष व्यास ने बताया कि 1993 से व्यासजी के तहखाने को बंद कर दिया गया और बैरिकेडिंग कर दी गई. उन्होंने कहा कि उस समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे. अयोध्या राम जन्मभूमि मामले को लेकर मुलायम सिंह यादव ने बैरिकेडिंग लगा दी कि यहां सांप्रदायिक माहौल ना बिगड़े और लड़ाई-झगड़े ना हों. पहले बांस-बल्ली लगाकार टेंपरेरी तौर पर बैरिकेडिंग की गई और बाद में पक्की तरह से बंद कर दिया गया. तभी से वहां पूजा करना बंद है.
आशुतोष व्यास ने कहा, 'पहले हमारे परिवार के लोग पूजा-पाठ और अर्चना किया करते थे. हम गए हैं अंदर. हर साल ही जाते हैं. वहां रामचरितमानस होता है ज्ञानवापी में. उसके पास ही बांस बलियां रखी होती हैं. अंदर बहुत अंधेरा रहता है.' उन्होंने यह भी बताया कि अंदर कई शिवलिंग हैं. शिवलिंग हैं, नंदी हैं, टूटे-फूटे नंदी होंगे और बताते हैं कि खंभों में कमल, स्वास्तिक और ओम की आकृतियां बनी हैं. आशुतोष व्यास का कहना है कि 1993 से पहले अंदर जलाभिषेक होता था और रुद्राभिषेक किया जाता था. आरती, पूजा, भजन सब होता था. तीन समय की पूजा होती थी. सुबह की पूजा के बाद मध्याह्न में भगवान को भोग लगता था और संध्या में पूजा एवं आरती होती थी.
व्यासजी में पूजा के लिए किसने दाखिल की थी याचिका?
25 सितंबर 2023 को शैलेंद्र ठाकुर पाठक ने वाद दाखिल कर व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ फिर से शुरू करने की अनुमित मांगी थी. शैलेंद्र ठाकुर पाठक व्यास परिवार से ही हैं. हिंदू पक्ष ने अनुरोध किया कि कोर्ट रिसीवर नियुक्त करे जो तहखाने में पुजारी द्वारा पूजा किया जाना नियंत्रित करे और उसका प्रबंध करे. यह भी दलील दी गई कि तहखाने में जो मूर्तियां मौजूद हैं उनकी नियमित रूप से पूजा किया जाना आवश्यक है. सर्वे में भी वहां हिंदू धर्म से जुड़े चिन्ह और मंदिर होने के सबूत मिले. इसके बाद कोर्ट ने 17 जनवरी, 2024 को एक आदेश पारित कर रिसीवर नियुक्त कर दिया, लेकिन पूजा-अर्चना के संबंध में कोई आदेश पारित नहीं किया. फिर 31 जनवरी को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने हिंदू पक्ष को व्यासजी के तहखाने में पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी.
कोर्ट के फैसले पर क्या बोला व्यास परिवार?
आशुतोष व्यास ने बताया कि कोर्ट के फैसले को वह अत्यधिक खुशी से देखते हैं और 400 सालों का इंतजार खत्म हुआ. उन्होंने कहा, 'यह हमारे पूर्वजों का बलिदान है, जो 400 सालों से लड़ते चले आ रहे थे. तहखाने में तो अधिकार था ही अपना. वहां साल 1993 के पहले पूजा-पाठ होती थी.'
31 जनवरी को फैसले में कोर्ट ने क्या कहा?
31 जनवरी को कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद व्यासजी के तहखाने में पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी. साथ ही कोर्ट ने प्रशासन को 1 हफ्ते का समय दिया, जिसमें तहखाने में पूजा करने की व्यवस्था करनी होगी. कोर्ट के फैसले के बाद प्रशासन की मीटिंग हुई और 11 घंटे बाद ही कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया गया और तहखाने में शयन आरती हुई. रात को ढाई बजे के आस-पास 31 साल बाद व्यासजी के तहखाने में दीप जलाया गया. उसके बाद 1 फरवरी से तीनों समय की नियमित पूजा शुरू कर दी गई.
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