H3N2 का अटैक! जानिए कितना खतरनाक है ये वायरस और इससे बचाव के उपाय
H3N2 Flu Attack In India: 1 हफ्ते से अधिक चलने वाले बुखार और खांसी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इन मामलों को इंफ्लूएंजा एच3एन2 से जोड़ा गया है. वायरस एक तरह के सब-वेरिएंट और फ्लू के कारण बनता है.
H3N2 Viral Attack In India: भारत में कोरोना के कहर के बाद एडिनोवायरस और इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियां फैल रही हैं. ये पुराने मौसमी फ्लू नहीं है बल्कि इंफ्लूएंजा सब-टाइप एच3एन2 वायरस हैं. हर दूसरे व्यक्ति को लंबे समय तक वायरल खांसी, सांस लेने में तकलीफ और बार-बार छींक आ रही है. खासकर उत्तर भारत के इलाके में इस फ्लू ने जनवरी, फरवरी और मार्च के महीने में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई.
न्यूज वेबसाइट इंडिया टुडे के मुताबिक, मैक्स हेल्थकेयर के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर और वरिष्ठ डॉक्टर संदीप बुधिराजा ने कहा है कि इंफ्लूएंजा वायरस स्ट्रेन के लक्षण थोड़े अलग हैं. उन्होंने बताया, “बहुत से लोगों को लगातार खांसी की शिकायत आ रही है जो कई दिनों तक चलती रहती है. आम तौर पर हम उत्तर भारत में फरवरी और मार्च के महीने में फ्लू के केस नहीं देखते हैं लेकिन अब तक हम बहुत सारे मामलों को देख रहे हैं.”
एच3एन2 वायरस क्या है?
इनमें से ज्यादातर मामले एच3एन2 वायरस की वजह से हो रहे हैं. ये एक तरह का इंफ्लूएंजा ए वायरस है, जो बहुत गंभीर है लेकिन ये एच1एन2 यानि स्वाइन फ्लू जितना खतरनाक नहीं है जो महामारी फैला देता है. ये वायरस एक तरह का इंफ्लूएंजा वायरस है. ये एक श्वसन वायरल इंफेक्शन है जो हर साल बीमारियों का कारण बनता है. इस तरह के इंफ्लूएंजा ए वायरस के सबटाइप को साल 1968 के दौरान इंसानों में पाया गया था.
एच3एन2 वायरस के लक्षण
H3N2 वायरस के लक्षणों में खांसी, नाक बहना, गले में खराश, सिरदर्द, शरीर में दर्द, बुखार, ठंड लगना, थकान, दस्त और उल्टी शामिल हैं. इंफ्लूएंजा वायरस को 4 हिस्सों ए, बी, सी और डी में बांटा गया है. इन्फ्लूएंजा वायरस ए और बी फ्लू की मौसमी महामारी की वजह से मरीजों को होता है, इसमें अधिकतर मरीजों को सांस लेने में परेशानी होती है. यह समस्या लगभग हर साल मरीजों को होती है. कुछ इन्फ्लुएंजा ए सब-वैरिएंट जैसे- H1N1 (स्वाइन फ्लू वायरस) और H3N2 अधिक गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है.
वायरस से बचने के लिए सावधानियां
किसी भी तरह के वायरल संक्रमण को रोकने के लिए जो सावधानियां बरती जाती हैं, उनमें टीकाकरण करना शामिल है. अपने हाथों को साबुन या हैंडवॉश से नियमित रूप से साफ करें और सैनिटाइज भी करें. मास्क पहनने वाले या फिर बीमार व्यक्तियों के संपर्क में आने से बचें. अगर आपको छींक या खांसी आती है तो ऐसे में रूमाल का इस्तेमाल करें या फिर ऐसा करते वक्त अपने मुंह को कवर करके रखें.
एच3एच2 वायरस का इलाज क्या?
इसका इलाज काफी सरल है. ज्यादा से ज्यादा लिक्विड फॉर्म की चीजें खानी पीनी चाहिए जिससे कि खुद को हाइड्रेट रखा जा सके. बुखार, खांसी या सिरदर्द होने पर डॉक्टर की बताई हुई दवाइयों का नियमित सेवन करना चाहिए. इस बीच आईएमए ने एंटीबायोटिक दवाओं का बिना डॉक्टर सलाह के सेवन न करने की चेतावनी जारी की है. इसमें कहा गया है कि कई लोग इंफ्लूएंजा के कारण होने वाले बुखार और खांसी को कम करने के लिए खुद से एंटीबायोटिक्स ले रहे हैं, इससे मरीजों का स्वास्थ्य अधिक बिगड़ रहा है. इसलिए बिना किसी डॉक्टरी सलाह के एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन न करें.
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