H3N2 Influenza: बढ़ रहे H3N2 इन्फ्लूएंजा के मामले, स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया अलर्ट, हाई रिस्क ग्रुप पर फोकस
H3N2 Influenza Cases: स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बढ़ते खतरे को देखते हुए निगरानी बढ़ा दी गई है. लोगों को एहतियात बरतने के लिए कहा गया है. इनमें मुख्य रूप से हाई रिस्क ग्रुप शामिल हैं.
H3N2 Influenza Cases Rising: हरियाणा के यमुनानगर में मंगलवार (15 मार्च) को H3N2 इन्फ्लूएंजा वेरिएंट (H3N2 Influenza Variant) के पांच संदिग्ध केस सामने आए हैं. इसको लेकर अब स्वास्थ्य विभाग (Health Department) अलर्ट हो गया है. मंगलवार को सभी जिलों को क्षेत्र में वायरस सबटाइप H3N2 और H1N1 के कारण होने वाले मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए हाई रिस्क ग्रुप पर फोकस करने का निर्देश दिया है.
इसके साथ ही राज्य भर में सभी सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है कि पर्याप्त वेंटिलेटर और प्रशिक्षित कर्मचारी उपलब्ध हों. इसके साथ ही पीपीई किट, एन95 मास्क और रिएजेंट किट के साथ ओसेल्टामिविर और कफ सिरप जैसी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए. हाई रिस्क ग्रुप में बुजुर्ग, मोटापे से ग्रस्त लोग और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, डायबिटीज, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, क्रोनिक रीनल और लिवर डिजीज के मरीज और गर्भवती महिलाएं शामिल हैं.
इन बातों का खास ध्यान रखने के निर्देश
निर्देश में जागरूकता गतिविधियों को बढ़ाने के लिए भी कहा गया है. इसमें खांसी या छींक आने पर अपने मुंह और नाक को टिश्यू से ढकना, सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से बचना, भीड़-भाड़ में फेस मास्क का लगाना, बार-बार हाथ धोना शामिल हैं. सभी लोगों से लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द टेस्ट कराने की अपील की गई है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी वीरेंद्र यादव ने कहा कि बुखार और इन्फ्लूएंजा के लक्षण होने पर लोगों को बाहर निकलने से बचना चाहिए, जिसमें लगातार खांसी, सिरदर्द, गले में खराश, नाक बहना और सांस लेने में तकलीफ शामिल है.
बढ़ाई गई अस्पतालों में निगरानी
वीरेंद्र यादव ने कहा कि हमने पहले ही सरकारी सुविधाओं में आइसोलेशन और फ्लू कॉर्नर स्थापित कर लिए हैं और निगरानी बढ़ा दी गई है. डॉक्टरों ने सुझाव दिया कि संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए मरीज मास्क पहनें. पिछले कुछ हफ्तों में सरकारी अस्पतालों ने इन्फ्लूएंजा के मामलों की संख्या में 30 प्रतिशत और निजी अस्पतालों में 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. मौसम के ठंडे से गर्म तापमान में तेजी से बदलाव को इसका कारण बताया जा रहा है.
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