H3N2 इन्फ्लूएंजा: क्या इस वायरस पर एंटीबॉयोटिक्स का असर होता है, जानिए ऐसे ही 10 सवालों के जवाब
दिल्ली में भी हाल ही में H3N2 मामलों में वृद्धि देखी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आईसीयू में भर्ती होने वालों में ज्यादातर लोगों की उम्र 75 साल या उससे ज्यादा है.'
भारत को अभी कुछ महीने पहले ही कोरोना के बढ़ते संक्रमण से राहत मिली थी कि अब एक बार फिर पूरे देश में H3N2 नाम के एक वायरस ने तेजी से पांव पसारना शुरू कर दिया है. इस वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों में खांसी की शिकायत होना काफी आम लक्षण माना गया है. इसके अलावा ऐसे मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है.
एच3एन2 वर्तमान में बिहार, यूपी समेत कई राज्यों के लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. हाल ही में बिहार में इस संक्रमण का पहला मामला सामने आया था. वहीं यूपी में H3N2 का खतरा बढ़ गया है. इस राज्य में बुखार और खांसी-जुकाम की परेशानी से जूझने वाले लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा हैं.
ऐसे में इस वायरस को लेकर लोगों के मन में कई सवाल आ रहे हैं, जैसे आखिर ये वायरस क्या है. इसके हो जाने की पहचान क्या है, ये कोरोना वायरस से अलग कैसे है. क्या इस वायरस पर एंटीबॉयोटिक्स का असर होता है? इस खबर में हम ऐसे ही 10 सबसे जरूरी सवालों के जवाब लेकर आए है.
1. पहले जानते हैं कि इस वायरस ने अब तक कितने लोगों की जान ली है?
पीएसआरआई इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन डॉ. जीसी खिलनानी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा, 'रिपोर्टों के अनुसार, H3N2 वायरस के संक्रमण के कारण कुल सात लोगों की मौत हो गई है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी हाल ही में H3N2 मामलों में वृद्धि देखी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आईसीयू में भर्ती होने वालों में ज्यादातर उन लोगों में वृद्धि देखी गई जिन्हें पहले से कोई बीमारी है और जिनकी उम्र 75 साल या उससे ज्यादा है.'
2. क्या इस वायरस पर एंटीबायोटिक का कोई असर पड़ता है?
अहमदाबाद के अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर चेस्ट एंड क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट, डॉ. मनोज सिंह ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि एंटीबायोटिक्स केवल बैक्टीरियल इंफेक्शन के मामले में प्रभावी होते हैं और यह एच3एन2 के खिलाफ पूरी तरह से अप्रभावी है.
इसी सवाल के जवाब में गुरुग्राम मैक्स हॉस्पिटल के सीनियर डायरेक्टर और एचओडी इंटरनल मेडिसिन और मेडिकल डायरेक्टर , डॉ. राजीव डांग ने कहा, 'कोई भी एंटीबायोटिक्स वायरस के कारण होने वाली बीमारी से लड़ने में मदद नहीं करता है. एंटीबायोटिक्स का असर इंसानी शरीर पर बैक्टीरिया के संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है ना कि वायरस के संक्रमण पर.
3. खुद से किसी भी एंटीबायोटिक्स लेने से पहले मरीज को क्या ध्यान रखने की जरूरत है?
वहीं एबीपी न्यूज से बात करते हुए डॉ एसके छाबड़ा ने कहा कि बहुत सारे लोगों को लगता है कि जब भी आपको बुखार हो एंटीबायोटिक लेने से ठीक हो जाएगा. ऐसे में मरीज इंटरनेट से दवा देखते हैं और खरीद लेते हैं. लेकिन ऐसा करने से बचना चाहिए.
मरीज को बिना डॉक्टर से सलाह लिए किसी भी एंटीबायोटिक्स को अपने आप शुरू करने से बचना चाहिए. कोरोना वायरस के संक्रमण के वक्त ज्यादातर लोगों ने डॉक्टर से कंसल्ट किए बिना ही एज़िथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन, एंटीबायोटिक लेना शुरू कर दिया था. मरीजों को बिना डॉक्टर से पूछे एंटीबायोटिक नहीं लेना चाहिए.
4. डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक्स लेने के क्या साइड इफेक्ट्स हैं?
अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर चेस्ट एंड क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट, डॉ. मनोज सिंह ने टीओआई को बताया कि बिना किसी एक्सपर्ट के एंटीबायोटिक लेना इंसानी शरीर को नुकसान पहुंचाता है और स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस पर सहमत हैं. ज्यादा एंटीबायोटिक के इस्तेमाल के साथ शरीर में कई रोगी एंटी-एंटीबायोटिक बन गए हैं. जो किसी घातक बीमारी में भी बदल सकती है.
बिना डॉक्टर के परामर्श के एंटीबायोटिक लेने का आम साइड इफेक्ट जो है, वो है अंडरडोज यानी दवा का सेवन कम करना. यानी दवा जितनी खानी है उससे कम दवाई को खाना. इसकी वजह से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस हो जाता है, जिसकी वजह से दवा का असर नहीं होता है. इस तरह लोगों को आराम भी नहीं होता है और इंफेक्शन भी तेजी से फैलने लगता है, क्योंकि कम दवा लेने की वजह से इंफेक्शन का सही से इलाज भी नहीं हो पाता है.
5. क्या एच3एन2 कोरोना का ही कोई वेरिएंट है?
डॉक्टर एसके छाबड़ा ने एबीपी से बात करते हुए कहा कि ये सवाल काफी कॉमन है. लोगों को लग रहा है कि इंफ्लूएंजा कोरोना का कोई वेरिएंट है जो लोगों को बीमार कर रहा है. इसके पीछे एक कारण ये भी है कि इंफ्लूएंजा में भी लोगों को कोरोना जैसी दिक्कतें ही हो रही हैं. लेकिन ये दोनों ही वायरस अलग हैं. हालांकि बुखार, खांसी और सांस में दिक्कत जैसे परेशानियां कोरोना और इंफ्लूएंजा दोनों में होती हैं.
कोविड में सांस लेने में होती थी लेकिन इसका कारण एच3एन2 से अलग है. कोरोना संक्रमण सांस की नली के निचले हिस्से, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट पर प्रभाव डालता है जबकि H3N2 ऊपरी रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को असर पहुंचता है.
6. एच3एन2 के लक्षण क्या हैं?
H3N2 के शुरुआती लक्षण में जुकाम, बुखार, अकड़न होती है. इसके अलावा किसी व्यक्ति को उल्टी हो रही हो, शौच के वक्त खून आ रहा हो और शरीर में दर्द के साथ अगर सांस लेने में भी दिक्कत है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. इस तरह की परेशानी में ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहना चाहिए. अगर मरीज का ऑक्सीजन लेवल लगातार गिर रहा है तो ये H3N2 हो सकता है.
7. किस उम्र के लोगों को ज्यादा खतरा?
डॉक्टर छाबड़ा ने कहा कि H2N3 वायरस किसी भी उम्र के लोगों को संक्रमित कर सकता है लेकिन सबसे ज्यादा बच्चों और बूढ़ों को इससे ज्यादा खतरा है. आईएमए का कहना है कि कमजोर इम्यूनिटी होने के कारण बच्चों और बुजुर्गों में इसका संक्रमण तेजी से फैसला है. ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी है घर के बच्चे या बुजुर्ग के बीमार होने पर इनके ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल का ध्यान रखते रहना. ये अगर 95 प्रतिशत से कम हो जाए तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए.
8. क्या H3N2 वायरस को फैलने से कैसे रोका जा सकता है?
H3N2 वायरस के बड़े पैमाने पर प्रसार को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि खुद का गंदगी से बचाए रखें. स्वास्थ्य विशेषज्ञ गंदे हाथों से चेहरे, नाक और मुंह को नहीं छूने की सलाह देते रहे हैं. इसलिए हाथों को नियमित रूप से साफ करते रहना चाहिए. इसके अलावा संक्रमित लोगों और यहां तक कि जिसमें संक्रमण के लक्षण नजर आ रहे हैं, उनके संपर्क में आने से भी बचना चाहिए.
सबसे जरूरी जिस बात का ख्याल रखा जाना चाहिए वह यह कि जो लोग संक्रमित हैं, और उन्हें पता है कि वह वायरस के चपेट में आ गए हैं उन्हें बाहर जाने से बचना चाहिए. मास्क पहनना, जो कोविड महामारी के दौरान बहुत महत्वपूर्ण था, H3N2 से बचाने में भी मदद कर सकता है क्योंकि मास्क का इस्तेमाल करने से वायरस के शरीर में प्रवेश करने की संभावना को कम हो जाती है. समय पर दवा लेने से संक्रमित लोगों से स्वस्थ व्यक्तियों में वायरस के प्रसार को भी कम किया जा सकता है.
9. इस वायरस से संक्रमित होने वालों के लिए क्या दवा ली जानी चाहिए?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आईएमए ने अपनी गाइडलाइन में इस वायरस के बारे कहा है कि इस इंफेक्शन में एंटीबायोटिक दवाएं नहीं ली जानी चाहिए. IMA ने कहा है कि अगर मरीज में बुखार सर्दी जुकाम के सामान्य लक्षण हो रहे हैं तो उसे पेरासिटामोल दिया जा सकता है. फिर भी परेशानी बनी रहे तो डॉक्टर की सलाह ली जानी चाहिए.
10. क्या एक बार हो जाने के बाद दोबारा हो सकता है एच3एन2?
एच3एन2 वायरस में म्यूटेशन हो सकता है. आसान भाषा में समझे तो अगर कोई व्यक्ति एक बार में संक्रमित होकर ठीक हो जाता है तो इसका मतलब ये नहीं कि खतरा खत्म हो गया है. एक बार जिसे ये हो चुका वो इंसान दोबारा भी इसकी चपेट में आ सकता है.
दिल्ली कितनी तैयार?
कोरोना महामारी ने देश सहित पूरी दुनिया को शारीरिक और मानसिक रूप से गहरा चोट पहुंचाया है और यही वजह है कि अब किसी भी वायरस और बीमारी की दस्तक से लोग खौफ में आ जाते हैं. बीते महीनों से भारत के लोगों को संक्रमित करने वाले वायरस एच3एन2 की दस्तक ने लोगों को फिर से चिंता में डाल दिया है. कई राज्यों में इससे संक्रमित मरीज लगातार बढ़ रहे हैं.
वहीं दिल्ली में भी बीते दिनों की रिपोर्ट के अनुसार एच3एन2 वायरस से संबंधित लगभग 150 प्रतिशत मरीजों के अस्पतालों में आने की संख्या में इजाफा देखने को मिला है. एलएनजेपी अस्पताल प्रशासन ने भी जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली में बढ़ते मरीजों को देखते हुए अस्पतालों में बेड को रिजर्व किया गया है.
वहीं लोगों से अपील की गई है कि वह आईसीएमआर के गाइडलाइन को पूरी तरह पालन करें. एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने एबीपी लाइव से बातचीत में बताया कि राजधानी में बढ़ते संक्रमित मरीजों को देखते हुए एलएनजेपी अस्पताल में 20 बेड को रिजर्व किया गया है.
वहीं लोगों को आईसीएमआर के गाइडलाइन को पूरी तरह पालन करने की भी हिदायत दी गई है. संक्रमित मरीजों को 20 अलग-अलग बेड वाले आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा. साथ ही वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए 15 चिकित्सकों की स्पेशल टीम को भी गठित किया गया है, जो बढ़ते संक्रमण पर विशेष निगरानी रखेंगे.