Influenza Virus H3N2 Risk In India: देश में बीते दो-तीन महीनों से इन्फ्लूएंजा वायरस H3N2 के केसों में उछाल दर्ज किया था. अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में इस वायरस की वजह से दो मौत होने की पुष्टि की है. हालांकि मंत्रालय ने इस मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामले मार्च के आखिर तक कम होने की उम्मीद जताई है. इन मामलों की ट्रैकिंग की जा रही और संक्रमण और मौतों पर कड़ी नजर रखी जा रही है.


इसके साथ ये भी कहा है कि छोटे बच्चों, पहले से अन्य रोगों से पीड़ित बुजुर्ग व्यक्तियों को इस वायरस का अधिक खतरा है. इन्फ्लूएंजा वायरस के टाइप A के सबटाइप H3N2 के मामलों पर भी नजर रखी जा रही है. इस सबके बीच सुरक्षा ही बचाव की तर्ज पर इसके लक्षणों और फैलने के कारणों को जानकर एहतियात बरतना जरूरी हो चला है.


पहले ही आगाह कर चुके हैं चिकित्सक


इन्फ्लूएंजा वायरस H3N2 के तेजी से फैलने के बारे में डॉक्टर्स ने आगाह किया था. तब इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा था कि पिछले 2-3 महीनों में इन्फ्लूएंजा टाइप A के सबटाइप H3N2 के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस वायरस को लेकर कहा कि ये वायरस भीड़-भाड़ वाली जगहों में आसानी से लोगों को अपना शिकार बनाता है.


इतना ही नहीं देश में इन्फ्लूएंजा वायरस टाइप A के सबटाइप H3N2 के केसों में बढ़ोतरी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग पहले ही सतर्क हो गया था. इस हफ्ते की शुरुआत में सोमवार (6 March) को स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक ने केंद्रीय अस्पतालों के वरिष्ठ अधिकारियों और चिकित्सा के विशेषज्ञों के साथ बैठक की थी.


'कोविड वेरिएंट नहीं है'


आरएमएल अस्पताल के निदेशक डॉ. अजय शुक्ला के मुताबिक, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए इन्फ्लूएंजा वायरस H3N2 का संक्रमण गंभीर हो सकता है. उन्होंने कहा कि लोग मास्क का इस्तेमाल करते रहेंगे तो इससे काफी हद तक बचाव किया जा सकेगा. उन्होंने जानकारी दी थी कि इस वायरस के लिए वैक्सीनेशन शुरू करने का निर्णय लेने की बात चल रही है. डॉ. अजय शुक्ला ने कहा, " H3N2 संक्रमण की मौजूदगी है, लेकिन यह कोविड वेरिएंट नहीं है."


आरएमएल अस्पताल के एमडी (चेस्ट) डॉ. अमित सूरी ने बताया कि उनके पास रोजाना वायरल इंफेक्शन के 20-25 फीसदी है. इनमें कई मामले बुजुर्गों के हैं. माना जा रहा है कि कर्नाटक के हासन में 82 साल के हीरे गौड़ा देश में H3N2 से मरने वाले पहले शख्स हैं. 


अधिकारियों के मुताबिक, गौड़ा को 24 फरवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 1 मार्च को उनकी मौत हो गई. वह मधुमेह के मरीज थे और उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे. उधर दूसरी तरफ हरियाणा में 56 साल के एक शख्स फेफड़े के कैंसर के मरीज थे. बीते महीने जनवरी में उनका H3N2 का टेस्ट पॉजिटिव आया था. खबरों के मुताबिक उनका बुधवार (9 मार्च) को जींद के उनके घर में निधन हो गया.


H3N2 एक तरह का इन्फ्लूएंजा वायरस है


इन्फ्लूएंजा वायरस पर मेदांता के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन एंड रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन के अध्यक्ष और चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया के मुताबिक H3N2 एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है. ये हर साल इस मौसम में होता है. उन्होंने बताया कि ये इस तरह का वायरस है जो समय के साथ म्यूटेट होता है. इसे मेडिकल की भाषा में एंटीजेनिक ड्रिफ्ट कहते हैं. 


साल पहले एक महामारी-H1N1, वायरस का वर्तमान सर्कुलेटिंग स्ट्रेन H3N2 है, इसलिए यह एक सामान्य इन्फ्लूएंजा स्ट्रेन है. उनका कहना है कि इसलिए मौजूदा वक्त में हम इन्फ्लूएंजा के केसों में बढ़ोतरी देख रहे हैं. इसके मरीजों में  बुखार, गले में खराश खांसी, शरीर में दर्द और नाक बहने के मामले बढ़ रहे हैं. 


डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि ये कोविड (COVID) की तरह ही फैलता है. केवल उन लोगों को सावधान रहने की जरूरत है, जिन्हें अन्य तरह की बीमारियां (Associated Comorbidities) हैं. एहतियात के तौर पर मास्क पहनें, बार-बार हाथ धोएं, फिजिकल डिस्टेंसिंग रखें. इन्फ्लूएंजा के लिए भी  उच्च जोखिम वाले समूह और बुजुर्गों के लिए एक वैक्सीन है. 


देश में बढ़े मामले


देश में H3N2 वायरस के लगभग 90 मामले सामने आए हैं. वहीं H1N1 वायरस के 8 मामलों का भी पता चला है. पिछले कुछ महीनों  देश में फ्लू के मामले बढ़ रहे हैं. अधिकांश संक्रमण H3N2 वायरस के वजह से होते हैं, जिसे "हांगकांग फ्लू" के तौर पर भी जाना जाता है. यह वायरस देश में अन्य प्रकार के फ्लू के मुकाबले अस्पताल में भर्ती होने की वजह बनता है.


स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, "मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस की वजह से होने वाला सांस का एक तेज  संक्रमण है जो दुनिया के सभी हिस्सों में फैलता है, और विश्व स्तर पर कुछ महीनों के दौरान इसके मामलों में बढ़ोतरी देखी जाती है. भारत में हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा दो बार चरम पर होता है. एक जनवरी से मार्च तक और दूसरा  मानसून के बाद होता है. भारत में अब तक केवल H3N2 और H1N1 संक्रमण का पता चला है.


कोविड महामारी के दो साल बाद, बढ़ते फ्लू के मामलों ने लोगों में फिक्र बढ़ा दी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) के मुताबिक, मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस A, B, C और D चार तरह का होता है. इनमें A और B से मौसमी फ्लू होता है. इन्फ्लूएंजा A के दो प्रकार H3N2 और  H1N1 होते हैं.


इन्फ्लूएंजा टाइप B का कोई प्रकार नहीं होता, लेकिन लाइनेज होते हैं. इनमें C सबसे कमजोर और कम खतरे वाला माना जाता है. इसका D टाइप मवेशियों को शिकार बनाता है. आईसीएमआर के मुताबिक,  सर्विलांस डेटा बताता है कि 15 दिसंबर के बाद से H3N2 के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है. इन मामलों में  सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (SARI) वाले आधे से ज्यादा मरीज H3N2 के संक्रमण से ग्रस्त रहे. 


क्या हैं लक्षण वायरस के? 


इसके वायरस के लक्षणों में लगातार खांसी, बुखार, ठंड लगना, सांस फूलना और सांस में  घरघराहट शामिल हैं. मरीजों को उल्टी, गले में खराश, शरीर में दर्द और दस्त की शिकायत रहती है. ये लक्षण लगभग एक सप्ताह तक बने रह सकते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, वायरस अत्यधिक संक्रामक है और संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने और निकट संपर्क से फैलता है.


बरतें ये सावधानियां
डॉक्टरों ने नियमित रूप से हाथ धोने और मास्क लगाने सहित कोविड जैसी सावधानियों बरतने की सलाह दी है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) छींकने और खांसने के दौरान मुंह और नाक को ढकने, आंखों और नाक को छूने से बचने और बुखार और शरीर में दर्द के लिए पेरासिटामोल लेने को कहता है.


इसके साथ ही भीड़-भाड़ वाले इलाकों से परहेज करने, मास्क लगाने, खांसते और छींकते वक्त मुंह और नाक रुमाल से ढक कर रखने की भी सलाह दी गई है. पब्लिक प्लेस पर न थूकने के साथ ही हाथ मिलाने या किसी भी तरह के शारीरिक संपर्क से बचने को कहा गया है.


डॉक्टर की सलाह लिए बगैर एंटीबायोटिक के इस्तेमाल की भी मनाही की गई है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हाल ही में डॉक्टरों से आग्रह किया है कि संक्रमण बैक्टिरियल है या नहीं, इसकी पुष्टि करने से पहले मरीजों को एंटीबायोटिक न दें, क्योंकि वे एक प्रतिरोध विकसित कर सकते हैं.


इन्फ्लूएंजा के अधिकांश रोगी बगैर किसी मेडिकल केयर के सही हो जाते हैं, लेकिन कुछ ये गंभीर हो सकता है और उनकी जान भी जा सकती है. डब्ल्यूएचओ के निर्देशों के मुताबिक, जोखिम के दायरे में आने वाले लोगों के मौत होने के अधिक मामले आते हैं. पुरानी चिकित्सा समस्याओं के कारण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के अलावा बड़े वयस्कों और छोटे बच्चों जैसे उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए संक्रमण गंभीर हो सकता है.


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