पणजी : तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने बुधवार को कहा कि जवाहरलाल नेहरू अगर सेल्फ सेंट्रिक नहीं होते तो आज भारत और पाकिस्तान एक देश होता है. उन्होंने कहा कि नेहरू अनुभवी थे, लेकिन फिर भी भूल तो हो ही जाती है.


दलाई लामा ने पणजी से करीब 30 किलोमीटर दूर उत्तर गोवा के सांकेलिम गांव में गोवा प्रबंधन संस्थान में आयोजित परिचर्चा के दौरान एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि महात्मा गांधी प्रधानमंत्री का पद (मोहम्मद अली) जिन्ना को देना चाहते थे, लेकिन नेहरू ने मना कर दिया. वह आत्मकेंद्रित थे. उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री बनना चाहता हूं. अगर जिन्ना को प्रधानमंत्री उस समय बनाया गया होता तो भारत और पाकिस्तान संयुक्त होता.


14 वें दलाई लामा गोवा प्रबंधन संस्थान के 25 साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता थे. कार्यक्रम में 'आज के संदर्भ में भारत के प्राचीन ज्ञान की प्रासंगिकता' विषय पर वह लेक्चर दे रहे थे.


स्टूडेंट्स से बातचीत से पहले दलाई लामा ने भारत के पारंपरिक ज्ञान का शिक्षा के आधुनिक पहलुओं में विलय पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति में परंपरा और ज्ञान समाहित है. अहिंसा की यह धरती परंपरागत ज्ञान का केन्द्र है, जिसमें चिंतन, करुणा, धर्मनिरपेक्षता और कई अन्य बातें शामिल हैं. उन्होंने कहा कि भारत ने परंपरागत और आधुनिक शिक्षा को जोड़ कर चीजों को सीखा है.


इस मौके पर तिब्बती धर्म गुरु ने भारतीय मुस्लिमों को सहनशील बताया. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान और सीरिया के मुस्लिम भारतीयों से साथ - साथ रहने की कला सीख सकते हैं.


दलाई लामा ने 17 मार्च, 1959 की घटना जब वो तिब्बत से भारत आए थे को याद करते हुए कहा कि तब से आज 60 बरस में तिब्बत के लोगों ने बहुत पीड़ा, विनाश को देखा है. उन्होंने कहा कि लेकिन हम अपने मूल चीजों पर कायम हैं. उन्होंने यह भी कहा कि चीनी कम्यूनिष्ट की शक्ति उसकी सेनाओं से है, लेकिन हमारी शक्ति सत्य है. कुछ समय के लिए बंदूक की शक्ति निर्णायक हो सकती है पर लंबे समय में सत्य ही सबसे बड़ी शक्ति है.