लश्कर के आतंकी बनेंगे चुनावी एजेंट, पाकिस्तान में चुनाव के बाद बढ़ सकती है घुसपैठ: रिपोर्ट
चौकिये नहीं पाकिस्तान की आईएसआई और लश्कर ने भारत विरोधी नीति में कोई बदलाव नहीं किया है, बल्कि पाकिस्तान में चुनाव होने तक पाकिस्तान की सेना और आईएसआई ने भारत से सीधे न उलझने की रणनीति अपनाई है.
नई दिल्ली: पाकिस्तान से सीमा पार से घुसपैठ में हाल के दिनों में अचानक कमी आई है. आतंकियों के घुसपैठ करने के लिए पाकिस्तान की तरफ से होने वाली कवर फायरिंग और शेलिंग में भी कमी के साथ सीमा पर बने आतंकी लॉन्च पैड से लश्कर के आतंकियों की संख्या में भी बड़ी कमी आई है. चौकिये नहीं पाकिस्तान की आईएसआई और लश्कर ने भारत विरोधी नीति में कोई बदलाव नहीं किया है. बल्कि पाकिस्तान में चुनाव होने तक पाकिस्तान की सेना और आईएसआई ने भारत से सीधे न उलझने की रणनीति अपनाई है.
दूसरी तरफ सियासी मैदान में कूदे लश्कर सरगना हाफिज़ सईद भी फिलहाल कश्मीर घाटी में ताक़त दिखाने के बजाय अपने बेटे और दामाद को सांसद बनाने में जुटा है. हाफिज़ ने अपने उम्मीदवार अल्लाह-हु-अकबर पार्टी की टिकट पर उतारे हैं, जिसमें उसका बेटा ताल्हा सईद और दामाद भी शामिल हैं. इस पार्टी को जमात-उद-दावा का फ्रंट माना जा रहा है जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का समर्थन हासिल है.
खुफिया सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ को बताया है कि पाकिस्तान में चुनाव प्रचार के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा की आशंका है. रिपोर्ट के मुताबिक़ चुनाव के दौरान जिन 6 नेताओं को तालिबान निशाना बना सकता है, उसमें हाफ़िज़ सईद का बेटा ताल्हा सईद भी है जो पाकिस्तान के सरगोधा से नेशनल असेम्बली संख्या 91 से चुनाव लड़ रहा है.
खतरे को देखते हुए पाकिस्तान चुनाव आयोग के निर्देश पर पाकिस्तान सरकार ने इमरान खान और ताल्हा सईद सहित उन सभी उम्मीदवारों की सुरक्षा के लिए कमांडो तैनात किए हैं जो तालिबान के निशाने पर हैं. खुफिया सूत्रों के मुताबिक़ सरकारी सुरक्षा पर हाफिज़ सईद को भरोसा नहीं है इसलिये उसने लश्कर के ट्रैंड लड़ाकों को अपने बेटे ताल्हा और अपने दामाद की सुरक्षा में लगाया है.
इतना ही नहीं खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव में गड़बड़ी की आशंका के बाद हाफिज़ ने पार्टी के संगठन के लिए राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बजाय कश्मीर में घुसपैठ के लिए तैयार आतंकियों को चुनाव प्रचार में लगाने का फैसला किया है. लश्कर ने फिलहाल वापस बुलाये गए आतंकियों को चुनाव प्रचार के काम में लगाने के आलावा, अपने संगठन के इलेक्शन ऑफिस की सुरक्षा में भी लगाया है. यानि लश्कर के आतंकी हाफिज़ के बेटे के पोलिंग एजेंट बनेंगे.
एक खुफिया अधिकारी ने कहा कि जब आतंक के आका हाफिज़ सईद का वारिस चुनाव लड़कर नेता बनना चाहता है तो ये स्वाभाविक है कि लश्कर के आतंकी अपने आका के निर्देश पर चुनाव एजेंट बनेंगे. यही वज़ह है कि लश्कर के ये आतंकी फिलहाल कश्मीर में जेहाद के बजाय पाकिस्तान में हाफिज़ की राजनैतिक ताक़त बढ़ाने में लगे हैं. पाकिस्तान के चुनाव में हाफिज़ सईद के बेटे और दामाद चुनाव लड़ रहे हैं. हाफीज़ ज्यादा से ज्यादा सीट जीतकर सत्ता में भागीदारी चाहता है. इसके लिए उसने ने पूरी ताकत झोंक दी है.
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक़ सीमा पर लॉन्च पैड और लश्कर के आतंकी ट्रेनिंग कैम्प में घुसपैठ के लिए तक़रीबन 850 के करीब आतंकी थे. लेकिन अब लॉन्च पैड पर मात्र 150 लश्कर के आतंकी हैं. बचा हुआ जत्था भी फ़िलहाल घुसपैठ के बजाय लश्कर सरगना के अगले आदेश का इंतज़ार कर रहा है. सीमा पर बने लॉन्च पैड पर लश्कर के 150 आतंकियों के साथ जैश और हिजबुल के तक़रीबन 200 आतंकी सहित 350 आतंकी अब भी मौज़ूद हैं.
हाफिज़ ने खुद रविवार को मुज़फराबाद में नए ट्रेंड आतंकियों को अपने ट्रेनिंग कैम्प से बुलाया था और उन्हें चुनावी जिम्मेदारी सौंपी थी. उसने यहां भी भारत के खिलाफ ज़हर उगल था. लेकिन पेशावर की चुनावी रैली में धमाके के बाद सीमापार से आतंकियों के घुसपैठ को कवर फायर देने के बजाय पाकिस्तानी सेना की प्राथमिकता है 25 जुलाई को होने वाले पाकिस्तान नेशनल असेम्बली के लिए आम चुनाव की सुरक्षा.
इसके लिए सेना ने एलओसी से 7000 जवानों को वापस बुलाकर चुनाव के सुरक्षा ड्यूटी पर लगाया है, जबकि अंतराष्ट्रीय सीमा से रेंजर्स के 12,000 जवान और अफसरों को वापस बुलाकर चुनाव की सुरक्षा ड्यूटी में लगाया है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक़ पाकिस्तान सेना की बदली रणनीति की वज़ह से सीमापार से होने होने वाली फायरिंग में अचानक बेहद कमी आई है. जनवरी 2018 से 15 जून तक युद्धविराम उल्लंघन की छोटी बड़ी 1,100 घटना हुई थी लेकिन पिछले 20 दिनों में महज 10 बार सीमा पर से फायरिंग हुई है.
शांतिपूर्ण चुनाव कराने में पाकिस्तान की सेना ने अपनी ताकत झोंक दी है. और इसके लिए एलओसी और अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर से सेना और रेंजर्स के बटालियन को वापस बुलाकर चुनाव ड्यूटी में लगाया है ताकि तालिबान के आतंकी हिंसा न फैला सके.
पाकिस्तानी सेना एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा से सुरक्षा बलों को वापस बुलाने की दूसरी बड़ी वज़ह ये है कि भारत की तरफ से जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान की सेना को होने वाले बड़े नुकसान से बचना है, क्योंकि ये भी चुनावी मुद्दा बन सकता है जिसका खामियाजा सेना के समर्थन से चुनाव लड़ रहे लश्कर और इमरान खान की पार्टी को उठाना पड़ सकता है.
लेकिन खुफिया महकमे की आईएसआई की गतिविधियों पर लगातार नज़र है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान में चुनाव ख़त्म होते ही पाकिस्तान की तरफ से होने वाले आतंकी घुसपैठ की घटनाओं में तेज़ी आएगी. साथ ही कवर फायर देने के लिए पाकिस्तान से युद्धविराम उल्लंघन की घटनाओं में इज़ाफ़ा होगा. लेकिन भारत की सेना और बीएसएफ को जवाबी कार्रवाई के लिए चौकस रहने के निर्देश हैं.