(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
तिरुपति मंदिर से बड़े स्तर पर हो रही बालों की तस्करी, म्यांमार के रास्ते ले जाए जा रहे चीन
तिरुपति मंदिर में श्रृद्धालु अपने बालों का दान करते हैं. जिसके चलते यहां बड़ी मात्रा में बाल इकठ्ठा हो जाते हैं. भारत और मिजोरम के बीच 'पोरस' बॉर्डर होने के चलते तस्कर ड्रग्स, गोल्ड और बालों की स्मगलिंग करने की कोशिश करते हैं.
एलएसी पर चीन से चल रही तनातनी के बीच खबर है कि दक्षिण भारत के विश्व-प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर से बालों की तस्करी चीन के लिए हो रही है. बड़ी तादाद में इन बालों को उत्तर-पूर्व के राज्यों से म्यांमार के रास्ते चीन ले जाया जा रहा है. हाल ही में असम राइफल्स ने म्यांमार बॉर्डर के करीब मिजोरम में 1.80 करोड़ रुपये के बालों की एक बड़ी खेप पकड़ी थी.
असम राइफल्स के सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया कि तिरुपति मंदिर से गैर-कानूनी तरीके से बालों को चीन भेजा रहा है. चीन में इन बालों के विग बनाए जाते हैं. इन विग्स को दक्षिण-पूर्वी देशों में सप्लाई किया जाता है.
एक तस्कर गिरफ्तार पिछले महीने यानि फरवरी के महीने में असम राइफल्स ने कस्टम डिपार्टमेंट की मदद से मिजोरम के चम्पाई जिले से दो ट्रक भरकर बाल पकड़े थे. इन दोनों ट्रकों में करीब 120 बोरियां थी जिनमें बाल भरे थे. जांच में पता चला कि बालों की ये आंध्र प्रदेश के तिरुपति से मिजोरम पहुंचे थे. मिजोरम से इन बालों को स्मगलिंग करके चीन भेजा जाना था. असम राइफल्स ने इस छापेमारी में एक तस्कर को भी गिरफ्तार किया था.
आपको बता दें कि तिरुपति मंदिर में श्रृद्धालु अपने बालों का दान करते हैं. जिसके चलते यहां बड़ी मात्रा में बाल इकठ्ठा हो जाते हैं. असम राइफल्स की मिजोरम स्थित 46वीं बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) विपल्प त्रिपाठी ने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया कि भारत और मिजोरम के बीच 'पोरस' बॉर्डर होने के चलते तस्कर ड्रग्स, गोल्ड और बालों की स्मगलिंग करने की कोशिश करते हैं. लेकिन असम राइफल्स इस तरह की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
नारकोटिक्स ड्रग्स की स्मगलिंग दरअसल, म्यांमार से बड़ी तादाद में नारकोटिक्स ड्रग्स की स्मगलिंग भी मिजोरम और मणिपुर के रास्ते भारत में होती है. म्यांमार में जो मेटाफिन की एक टेबलेट मात्र 8-10 रुपये में मिलती है, वो मिजोरम में 80-90 रुपये मिलती है. लेकिन जब यही टेबलेट मुंबई और दिल्ली जैसे मैट्रोपोलटिन शहरों में पहुंचती है तो उसकी कीमत 2-3 हजार पहुंच जाती है.
उत्तर-पूर्व में मिजोरम उन राज्यों में से है जो ड्रग्स की लत से जूझ रहा है. असम राइफल्स भी स्थानीय युवकों को ड्रग्स की लत छुड़ाने के लिए एनजीओ की मदद से कई कार्यक्रम करती है. इसके अलावा युवक-युवतियों को मुख्यधारा में लाने के लिए सेना और पैरा-मिलिट्री फोर्स शामिल करने के लिए खास ट्रेनिंग देती है.
ये भी पढ़ें-