50 हजार लोगों का फिलहाल बच गया घर, हल्द्वानी अतिक्रमण मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में क्या कुछ हुआ?
Haldwani Land Encroachment Case: हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने को लेकर रेलवे और याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में क्या दलील दी.
Supreme Court On Haldwani Land Encroachment Case: उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के अभियान पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 78 एकड़ जमीन पर रेलवे के दावे को सही मानते हुए अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 50 हज़ार लोगों को अचानक नहीं हटाया जा सकता. पहले उनका पुनर्वास किया जाना चाहिए.
गफूर बस्ती इलाके में बसे लोगों का दावा है कि वह 50-75 साल से वहां पर रह रहे हैं. उनमें से कई लोगों ने नजूल की जमीन नीलामी में राज्य सरकार से ली है. कई लोग पट्टेदार हैं, कई लोग जमीन के मालिक भी हैं. वह हाउस टैक्स भरते हैं, उनके पास बिजली का कनेक्शन है. उस पूरे इलाके में लगभग 4500 घर हैं. वहां स्कूल हैं, मंदिर मस्जिद भी बने हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ताओं का यह भी दावा है कि जमीन रेलवे की है ही नहीं.
जजों ने क्या कहा?
मामला आज जस्टिस संजय किशन कौल और अभय एस ओका की बेंच के सामने लगा. जजों ने पहली सुनवाई में न तो याचिकाकर्ताओं के लिए पेश वकीलों कोलिन गोंजाल्विस और प्रशांत भूषण की बातों को विस्तार से सुना, न ही रेलवे को के दावे को सुना. जजों का यह कहना था कि सबसे पहले इस कार्रवाई पर रोक लगना जरूरी है, क्योंकि हज़ारों लोगों को अर्धसैनिक बलों का इस्तेमाल कर एक हफ्ते में हटाना सही नहीं कहा जा सकता है.
रेलवे ने क्या कहा?
रेलवे की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि हल्द्वानी उत्तराखंड का प्रवेश द्वार है. वहां रेलवे स्टेशन का विस्तार किया जाना है. वहां और भी विकास कार्य करने हैं, लेकिन अवैध कब्जे के चलते यह नहीं किया हो पा रहा है. इस पर जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा, "यह ठीक है कि रेलवे वहां विकास करना चाहता है, लेकिन लोगों को अचानक हटा देना सही नहीं है."
नोटिस जारी किया
कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार के पास पुनर्वास नीति है. उसके मुताबिक इन लोगों से बात की जानी चाहिए और उन्हें वैकल्पिक जगह देनी चाहिए. इसके बाद कोर्ट ने अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई पर रोक लगाते हुए सुनवाई 7 फरवरी के लिए टाल दी. सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे और उत्तराखंड सरकार को मामले पर नोटिस भी जारी किया है.
'रेलवे का दावा गलत'
भले ही सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्वास के बाद लोगों को हटाने की बात कही है, लेकिन एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए मामले के याचिकाकर्ता और गफूर बस्ती के दूसरे निवासियों ने कहा कि वह इसके लिए तैयार नहीं हैं. वह उस जगह से नहीं हटना चाहते क्योंकि जगह उनकी है. रेलवे का दावा ही गलत है. ऐसे में एक महीने बाद जब सुनवाई होगी तो दोनों ही पक्ष अपने-अपने दावे करेंगे, लेकिन फिलहाल हल्द्वानी में बुलडोजर पर रोक लग गई है.