'वे भी इंसान हैं... जब दशकों से सामने सब हो रहा था तो सरकार क्या कर रही थी?' हल्द्वानी से अतिक्रमण हटाने की रेलवे की मांग पर बोला सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे, उत्तराखंड और केंद्र सरकार से 4 सप्ताह में अधिग्रहण के लिए ज़मीन और उससे प्रभावित होने वाले परिवारों की पहचान के लिए कहा.
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (24 जुलाई, 2024) को उत्तराखंड के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करने वाले 50,000 से अधिक लोगों के पुनर्वास के लिए केंद्र और रेलवे के साथ बैठक करें.
केंद्र ने याचिका दायर कर पिछले साल 5 जनवरी के आदेश को रद्द करने का आग्रह किया है. सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी में उस 29 एकड़ भूमि से अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी, जिस पर रेलवे ने दावा जताया है. जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुइंया की बेंच सुनवाई कर रही थी. बेंच ने कहा कि राज्य सरकार को यह योजना बतानी होगी कि इन लोगों का कैसे और कहां पुनर्वास किया जाएगा.
बेंच ने कहा, 'सबसे बड़ी बात यह है कि ये परिवार दशकों से इस जमीन पर रह रहे हैं. वे भी इंसान हैं और अदालतें निर्दयी नहीं हो सकतीं. अदालतों को संतुलन बनाए रखने और राज्य को इस संबंध में कुछ करने की जरूरत है.' रेलवे की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि ट्रैक और रेलवे स्टेशन के विस्तार के लिए तुरंत जमीन की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे, उत्तराखंड और केंद्र सरकार से 4 सप्ताह में अधिग्रहण के लिए जमीन और उससे प्रभावित होने वाले परिवारों की पहचान के लिए कहा. कोर्ट ने प्रभावितों के पुनर्वास की योजना बनाने को भी कहा. कोर्ट अगली सुनवाई 11 सितंबर को करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे से पूछा, 'आपने कोई नोटिस जारी किया था? आप पीआईएल के पीछे क्यों पड़े हैं? अगर वहां अतिक्रमणकारी हैं तो रेलवे को उन्हें नोटिस भेजना चाहिए था? आप कितने लोगों को वहां से हटाना चाहते हैं?' इस पर एएसजी भाटी ने जवाब दिया, '1,200 झोपड़ी.'
कोर्ट ने आगे कहा, अगर वे अतिक्रमणकारी हैं भी तो इंसान भी तो हैं न. वे दशकों से वहां रह रहे हैं. ये सब पक्के मकान हैं. कोर्ट निर्दयी नहीं हो सकती, लेकिन वह अतिक्रमण जैसी चीजों को बढ़ावा भी नहीं देगी. जब राज्य सरकार के सामने सब हो रहा था तो आपको कुछ करना चाहिए था न.' कोर्ट ने आगे कहा कि ये लोग आजादी से भी पहले से वहां रह रहे हैं तो इतने सालों से सरकार क्या कर रही थी.
कोर्ट ने बिना किसी देरी के राज्य सरकार को बुनियादी ढांचा विकसित करने और रेलवे लाइन को स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक जमीन की पहचान करने का निर्देश दिया. उसने अतिक्रमण हटाने के कारण प्रभावित होने वाले परिवारों की पहचान करने का भी निर्देश दिया. रेलवे की ओर से एएसजी भाटी ने कोर्ट से इलाका खाली कराने के लिए लगी रोक को हटाए जाने का अनुरोध करते हुए कहा कि जगह की दिक्कत के चलते रेलवे अपने कई प्रोजेक्ट्स को पूरा नहीं कर पा रहा है. उन्होंने इस बात पर भी जोर डाला कि हल्द्वानी पहाड़ों का प्रवेश द्वारा है और कुमांऊ क्षेत्र से पहले आखिरी स्टेशन है.
रेलवे के अनुसार इस जमीन पर 4,365 लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है जबकि इस पर रहे लोग हल्द्वानी में प्रदर्शन कर रहे हैं और उनका कहना है कि इस जमीन पर उनका मालिकाना हक है. इस विवादित जमीन पर 4,000 से अधिक परिवारों के करीब 50,000 लोग रह रहे हैं जिनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं.
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