अभिनेता अनु कपूर की फिल्म हमारे बारह की रिलीज पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (13 जून, 2024) को रोक लगा दी है. शुक्रवार को फिल्म की स्क्रीनिंग होनी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक हाईकोर्ट मामले का निपटारा नहीं कर देता है, तब तक फिल्म की रिलीज पर रोक रहेगी. फिल्म को लेकर आरोप लगे हैं कि यह इस्लामिक आस्था और शादीशुदा मुस्लिम महिलाओं के प्रति अपमानजनक है. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
फिल्म का टीजर 7 जून को रिलीज हुआ था. सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच ने कहा कि उन्होंने आज सुबह यूट्यूब पर फिल्म का टीजर देखा है और उन्हें लगता है कि यह आपत्तिजनक है. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता ने आदेश देते हुए कहा कि जब तक हाईकोर्ट में यह मामला चल रहा है, फिल्म की स्क्रीनिंग नहीं हो सकती है. जस्टिस विक्रम नाथ ने हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि टीजर आपत्तिजनक है और उच्च न्यायालय इसकी स्क्रीनिंग पर रोक का आदेश दे चुका है, जो जारी रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट में क्या बोले दोनों पक्ष के वकील?
हाईकोर्ट ने एक कमेटी गठित कर इसका रिव्यू करने का निर्देश दिया है. हालांकि, कमेटी की तरफ से अभी कोई रिपोर्ट सब्मिट नहीं की गई है और उन्होंने इसके लिए समय मांगा है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों की तरफ से पेश वकीलों नें अपनी-अपनी दलीलें दीं. याचिकाकर्ता के वकील फौजिया शकील ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने सीबीएफसी कमेटी बनाने का निर्देश देकर गलती की क्योंकि वह इच्छुक पार्टी है. जस्टिस मेहता ने भी एडवोकेट फौजिया शकील की बात का समर्थन किया.
दूसरे पक्ष की तरफ से पेश वकील मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि फिल्ममेकर के पास फिल्म रिलीज करने का अधिकार है क्योंकि सीबीएफसी की तरफ से उन्हें सर्टिफिकेट मिल चुका है और हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार आपत्तिजनक सीन भी हटा दिए गए हैं. एडवोकेट मनीष श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता की आपत्ति फिल्म की टीजर पर है, जो कि सभी पब्लिक प्लेटफॉर्म से हटा दिया गया है. उन्होंने कोर्ट से हाईकोर्ट के एक हफ्ते में मामले का निपटारा करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया. इस पर बेंच ने कहा कि वह हाईकोर्ट से आग्रह कर सकते हैं, उन्हें सुपरवाइज नहीं कर सकते.
'हमारे बारह' पर याचिकाकर्ता का क्या है आरोप?
मामले में याचिकाकर्ता अजहर बाशा तंबोली ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के खिलाफ रिट याचिका दाखिल करके हमारे बारह को दिए गए सर्टिफिकेशन को रद्द करने और रिलीज पर रोक लगाने की मांग की थी. याचिकाकर्ता का आरोप है कि फिल्म का टीजर सिनेमेटोग्राफ एक्ट, 1952 का उल्लंघन करता है. उन्होंने कहा कि इस्लामिक मान्यताओं और शादी शुदा मुस्लिम महिलाओं का अपमान करता है. अगर फिल्म को रिलीज किया गया तो यह संविधान के आर्टिकल 19(2) और आर्टिकल 25 का उल्लंघन होगा.
याचिकाकर्ता का कहना है कि टीजर में कुरान की आयत-223 को मिसरीड किया गया और दिखाया गया कि मुस्लिम महिलाओं को समाज में कोई व्यक्तिगत अधिकार प्राप्त नहीं है. याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि फिल्म की रिलीज से पहले इसमें सुधार निर्देश दिए गए थे, लेकिन ट्रेलर में सीबीएफसी के सर्टिफिकेशन का कोई डिस्क्लेमर नहीं है.
14 जून को रिलीज होनी थी फिल्म
सीबीएफसी ने याचिकाकर्ता के आरोपों पर कहा कि सभी प्रक्रियाओं के बाद सर्टिफिकेशन जारी किया गया. यूट्यूब और बुक माई शो पर मौजूद ट्रेलर सर्टिफाइड नहीं हैं. हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पहले 14 जून को फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी और एक तीन सदस्यीय कमेटी से फिल्म को देखकर रिव्यू देने को कहा. हालांकि, कमेटी रिव्यू नहीं दे सकी और थोड़ा वक्त मांगा है. इस वजह से फिल्म की रिलीज पर रोक अभी भी जारी है. कोर्ट ने फिल्म निर्माताओं से आपत्तिजनक डायलॉग हटाने को भी कहा है.
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