सुषमा स्वराज से मिलकर भावुक हुए हामिद अंसारी, मां ने कहा- मेरा भारत महान, मेरी मैडम महान
हामिद अंसारी ने पाकिस्तान की जेल से छह साल बाद छूटने के बाद वाघा-अटारी सीमा पार की और भारत की सरजमीं को चूमा. अंसारी ने अपने माता-पिता को गले लगाया जो उसकी अगवानी करने सीमा क्षेत्र में पहुंचे थे.
नई दिल्ली: पाकिस्तान की जेल में छह साल तक बिताने के बाद भारत लौटे हामिद निहाल अंसारी ने आज नई दिल्ली में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की. अंसारी अपनी मां के साथ सुषमा से मिलने पहुंचा था. मुलाकात के दौरान दोनों काफी भावुक थे. अंसारी की मां फौजिया अंसारी ने बेटे के भारत लौटेने की खुशी में सुषमा स्वराज के लिए नारे तक गढ़े. आंखों में खुशी के आंसू लिए फौजिया ने कहा, ''मेरा भारत महान, मेरी मैडम महान, सब मैडम ने ही किया है. मैंने तो मात्र इतने मिठाई लाए हैं, मैं अगर 50 किलो भी लेकर आती तो यह कम था.''
#WATCH Indian National Hamid Ansari who came to India after being released from a Pakistan jail yesterday, meets External Affairs Minister Sushma Swaraj in Delhi. His mother tells EAM "Mera Bharat mahaan, meri madam mahaan, sab madam ne hi kiya hai." pic.twitter.com/FQEzz99Ohm
— ANI (@ANI) December 19, 2018
दरअसल, फौजिया अपने बेटे के मुंबई से गायब होने के बाद से ही तलाश में जुटी थी. छह साल में कई बार बीमार पड़ी, दर-दर की ठोकरें खाई, नेमतें रखी तब जाकर उसका बेटा भारत लौटा. अंसारी के भारत वापस लाने में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का खास योगदान रहा है.
कल 33 वर्षीय अंसारी ने पाकिस्तान की जेल से छूटने के बाद वाघा-अटारी सीमा पार की और भारत की सरजमीं को चूमा. अंसारी ने अपने माता-पिता को गले लगाया जो उसकी अगवानी करने सीमा क्षेत्र में पहुंचे थे.
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने उसे अवैध तरीके से देश में घुसने पर छह साल पहले हिरासत में ले लिया था. वह कथित तौर पर एक लड़की से मिलने वहां गया था, जिससे उसकी दोस्ती ऑनलाइन हुई थी. अंसारी 2012 में अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान गया था.
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मुंबई निवासी अंसारी को पेशावर की केंद्रीय जेल में रखा गया. उसकी तीन साल की जेल की सजा 15 दिसंबर को समाप्त हुई लेकिन वह कागजी कार्रवाई पूरी नहीं होने की वजह से तब भारत नहीं आ पाया. पेशावर हाई कोर्ट ने गुरुवार को पाकिस्तान सरकार को अंसारी को भारत भेजने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए एक माह की मोहलत दी थी.
मुंबई से अंसारी के परिवार के साथ वाघा तक गये वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता जतिन देसाई ने कहा, ‘‘उस समय बड़ा भावनात्मक नजारा था जब हमने हामिद को शाम करीब 5:30 बजे सीमा पार करते और घुटनों के बल भारतीय सरजमीं को चूमते देखा.’’