नई दिल्ली: शरियत और शरिया कोर्ट पर देशभर में नये सिरे से बहस छिड़ी है. इस बीच पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा है कि लोग कानूनी व्यवस्था और सामाजिक प्रथाओं को लेकर भ्रमित हैं. उनका कहना है कि देश का कानून इस बात से इत्तेफाक रखता है कि समुदायों के लिए अपने नियम-कायदे हों. सभी समुदायों को पर्सनल लॉ को मानने का हक है.


हामिद अंसारी ने कहा, ''लोग कानूनी व्यवस्था के साथ सामाजिक प्रथाओं को लेकर भ्रमित हैं. हमारा कानून सभी समुदायों के नियम-कायदों का सम्मान करता है. प्रत्येक समुदाय के पास अपने नियम हो सकते हैं. भारत में पर्सनल लॉ में विवाह, तलाक और विरासत आता हैं. सभी समुदायों को पर्सनल लॉ मानने का अधिकार है.''





आपको बता दें कि हाल ही में ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने कहा था कि वह हर जिले में शरिया कोर्ट बनाने पर विचार कर रहा है. एआईएमपीएलबी के मुताबिक अगले 15 जुलाई को होने वाली महत्वपूर्ण बैठक में वकीलों, न्यायाधीशों और आम लोगों को शरिया कानून के फलसफे और तर्कों के बारे में बताने वाले कार्यक्रमों का सिलसिला और तेज करने पर विचार करेगा.


एआईएमपीएलबी का मकसद है कि अगर कोई शरिया मामला दूसरी अदालत में जाता है तो वकील और जज वहां पर जिरह-बहस के दौरान जहां तक हो सके, उसे शरिया दायरे में रखें.


एआईएमपीएलबी तीन तलाक कानून का भी विरोध कर रहा है. संगठन का कहना है कि अल्पसंख्यकों, खासतौर से मुस्लिमों और अन्य पिछड़ा वर्गो को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है. इस्लामिक शरिया के खास पक्षों को बदलने की भी कोशिशें की जा रही हैं. इन हालात में मुसलमान खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.


आपको बता दें कि एआईएमपीएलबी की इस मुहीम का कई संगठनों ने विरोध किया है. बीजेपी नेता सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने पिछले दिनों कहा था कि यह देश को विभाजित करने और अलगाव पैदा करने का एक तरीका है. भारत में सिर्फ एक अदालत और एक कानून है. संविधान सुरक्षाबल का मार्गदर्शन कर रहा है और इसके बाहर कुछ भी स्वीकार्य नहीं होगा.


कांग्रेस नेता थरूर बोले- BJP लोकसभा चुनाव जीती तो 'हिंदू पाकिस्तान' बन जाएगा भारत