नई दिल्ली: दिव्यांग अधिकारों के लिए काम करने वाले कुछ एनजीओ ने केंद्रीय बजट में दिव्यांग लोगों की कथित उपेक्षा पर 'निराशा' प्रकट की है. गैर सरकारी संगठन 'नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ द डिसेबल्ड' ने एक बयान में कहा कि वह दिव्यांग व्यक्ति सशक्तिकरण विभाग के लिए आवंटन में कटौती पर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराता है.


नेशनल सेंटर फॉर प्रोमोशन ऑफ इम्पलॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपल (एनसीपीईडीपी) के कार्यकारी निदेशक अरमान अली ने कहा कि बजट दस्तावेज में कहा गया कि यह छह स्तंभों पर आधारित है. उनमें से एक आकांक्षी भारत का समावेशी विकास भी है लेकिन एक बार फिर दिव्यांग लोगों की 'उपेक्षा' हुई है.


अली ने कहा कि दिव्यांग व्यक्ति सशक्तिकरण विभाग के लिए आवंटन को 1,325.39 करोड़ रुपये से घटाकर 1,171.76 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इस तरह 150 करोड़ रुपये की कटौती की गयी है. आवंटन में करीब 12 फीसदी की कटौती से विभाग द्वारा चलायी जाने वाली योजनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.


बुजुर्गों के लिए आईटीआर भरने से छूट के फैसले का स्वागत
हालांकि, नागरिक संस्था दादी दादा फाउंडेशन (डीडीएफ) ने 75 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरने से छूट प्रदान किए जाने का स्वागत किया है. संगठन के निदेशक मुनि शंकर पांडेय ने कहा कि इस कदम से बुजुर्ग लोगों को आयकर रिटर्न भरने के दौरान होने वाली परेशानी से निजात मिलेगी. यह संगठन देश में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए काम करता है.


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के अपने बजट भाषण में कहा कि देश की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में हम 75 वर्ष और इससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए कर-अनुपालन का बोझ कम करेंगे. उन्होंने कहा, 'जिन वरिष्ठ नागरिकों के पास केवल पेंशन और ब्याज से होने वाली आय है, उनके लिए आयकर रिटर्न जमा करने से छूट देने का प्रस्ताव है. भुगतान करने वाला बैंक उनकी आय पर आवश्यक कर कटौती करेगा.'


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