राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी  के अध्यक्ष और सांसद हनुमान बेनीवाल ने संसद की तीनों समितियों से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को अपना इस्तीफा भेजा है. उन्होंने कहा है कि बाड़मेर में उनपर हुए हमले की अब तक कोई जांच नहीं की गई है. इसके अलावा बेनीवाल ने कृषि कानून का भी खुलकर विरोध किया है. उन्होंने कहा कि तीनों कानून किसान विरोधी हैं और इसे जल्द से जल्द वापस लिया जाना चाहिए.


बेनीवाल के मुताबिक उन्होंने संसद में कई मुद्दे उठाए जो लोगों के हित में थे, लेकिन उनपर कभी विचार नहीं किया गया. उन्होंने कहा "नए कृषि कानूनों से किसानों का कोई फायदा नहीं होने वाला है. किसानों के हित को देखते हुए मैंने किसान आंदोलन का समर्थन किया है. अब मैं तीनों समितियों के सदस्य पद से त्याग पत्र दे रहा हूं." इससे पहले आरएलपी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई थी. इस बैठक के बाद उन्होंने इस्तीफा देने की घोषणा की.


बेनीवाल ने इस विषय पर मीडिया से की बातचीत


बेनीवाल ने इस विषय पर मीडिया से भी बातचीत की. उन्होंने कहा कि वे 26 दिसंबर को लाखों किसानों के साथ दिल्ली जाएंगे. उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस कानून को जल्द से जल्द वापस नहीं लेती है तो हम अपना आंदोलन और तेज करेंगे. उन्होंने मीडिया को बताया कि वे 26 दिसंबर को एनडीए में बने रहने के बारे में भी फैसला लेंगे.


किसानों के आंदोलन का आज 25वां दिन


बता दें कि तीन नए किसान कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे किसानों के आंदोलन का आज 25वां दिन है. कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर डटे हुए हैं. किसानों का कहना है कि नया कृषि कानून उनके हित में नहीं है और सरकार को इसे जल्द से वापस लेना चाहिए. वहीं, सरकार इस कानून वापस लेने के लिए तैयार नहीं हो रही है.


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