Hanuman Chalisa Row: महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा को लेकर विवाद लगातार बढ़ रहा है. पहले ही इस मामले को लेकर निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. इसी बीच दोनों के वकील ने दूसरी एफआईआर रद्द करने को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन कोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिली. सरकारी काम में दखल देने को लेकर ये मामला दर्ज हुआ था. जानिए इस मामले को लेकर कोर्ट में क्या-क्या हुआ...


दोनों पक्षों ने रखी दलीलें
हाईकोर्ट में पेश हुए सरकारी वकील प्रदीप घरत और सांसद नवनीत राणा के वकील रिज़वान मर्चेंट ने अपना पक्ष रखा. दोनों के बीच इस केस को लेकर कोर्ट में खूब बहस हुई. कोर्ट ने कि, दूसरी FIR साफ़ बताती है कि दोनों पुलिस को उनके काम में सहयोग नहीं कर रहे थे. ये कानून का पालन करने वाले लोग हैं और इस वजह से उन्हें पुलिस को सहयोग करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि, इस तरह के किसी भी बयान या काम की वजह से लॉ एंड ऑर्डर पर असर पड़ सकता है. 


सांसद के वकील ने कहा - दो एफआईआर की जरूरत नहीं
वहीं सांसद के वकील रिज़वान मर्चेंट ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, दोनों को जब गिरफ़्तार किया गया था, उस समय एक महिला अधिकारी ने बताया कि उसे उसका काम करने नहीं दिया गया और ये दूसरी FIR रात 2 बजे दर्ज की गई. उन्होंने कहा कि, मेरा कहना है ये धारा पहली FIR में क्यों नहीं जोड़ी गई? उसके लिए दूसरी FIR दर्ज करने की क्या ज़रूरत है? अगर आपने पहली FIR में IPC की धारा 124 (a) को जोड़ा तो IPC की धारा 353 भी जोड़ सकते थे.


इस पर कोर्ट ने कहा कि, ये आपका मानना है लेकिन दोनों अलग मामले भी हो सकते हैं, शायद इस वजह से दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हों. इसके बाद रिजवान ने कहा कि, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अगर मुझे (नवनीत राणा) जमानत मिलती है तो मुझे दूसरे मामले में गिरफ़्तार किया जा सकता है. मैं ये नहीं कहता कि आप ये FIR रद्द कर दीजिए, मैं ये कह रहा हूं कि इस FIR को रद्द कर दीजिए और इसके सेक्शन को पहली FIR में जोड़ दीजिए. 


सरकारी वकील ने दिया ये तर्क
इसके बाद जब राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील प्रदीप घरत की बारी आई तो उन्होंने इन दोनों मामलों को अलग बताया. उन्होंने कहा कि, एक में तो हनुमान चालीसा पढ़ने के नाम पर दो समुदायों के बीच मनमुटाव लाना, लॉ एंड ऑर्डर को बिगाड़ना, दूसरा सरकारी कर्मचारी के काम बाधा निर्माण करना... ये पूरी तरह से अलग-अलग मामला है, और जांच का विषय है. जब पुलिस अधिकारी उनके ख़िलाफ़ करवाई करने गए थे तब नवनीत शोरगुल करने लगीं और पुलिस ने अपना परिचय दिया इसके बावजूद वो गाड़ी में नहीं बैठ रही थीं. इस वजह से ही हमने 353 की धारा लगाकर दूसरी FIR दर्ज की.


तमाम दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपियों की याचिका को खारिज कर दिया. हालांकि कोर्ट ने कहा कि इस दूसरे मामले में आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए 72 घंटे पहले नोटिस देना होगा. 


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