Maharashtra Politcs: महाराष्ट्र में चल रहा हनुमान चालीसा विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा. भले ही नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा जेल में हों, लेकिन इस विवाद में जुबानी जंग जारी है और अभी आरोप-प्रत्यारोप का दौरा शिवसेना और बीजेपी के बीच चल रहा है. मंगलवार को जहां बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने शिवसेना पर जमकर हमला किया तो बुधवार को शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय के जरिए बीजेपी और बीजेपी के नेता किरीट सोमैय्या पर खूब निशाना साधा. शिवसेना ने किरीट को बीजेपी की नचनिया तक कह दिया.  


देवेंद्र फडणवीस पर हमला


इस संपादकीय में शिवसेना ने सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र पडणवीस पर हमला बोला. इसमें कहा गया है कि फडणवीस सहित पूरी महाराष्ट्र भाजपा जिस मानसिक संक्रमण अवस्था से गुजर रही है उसे देखते हुए उनसे दूसरी उम्मीद नहीं की जा सकती. फडणवीस कह रहे हैं कि जेल में राणा को सादा पानी इसलिए नहीं दिया क्योंकि वह पिछड़ी जाती से आती हैं. ऐसा ओछा बयान देना फडणवीस को शोभा नहीं देता. फडणवीस उन्हें दलित बोलने से पहले ये भी देखें कि वह दलित कब से हो गईं. उनका जाति प्रमाण-पत्र जाली मिला है.


किरीट सोमैय्या की ठोढ़ी से निकला टोमैटो सॉस


शिवसेना ने फडणवीस के बाद इस लेख में किरीट सोमैय्या पर कहा कि, वह भाजपा के एक नचनिया हैं, लेकिन उस नचनिया के सूत्रधार खुद फडणवीस हैं यह अब स्पष्ट हो गया है. कॉलम में लिखा गया है कि, सोमैया को पत्थर मारा, जिसके कारण उनकी गाड़ी का शीशा टूटा. शीशे का एक टुकड़ा उनकी ठोढ़ी पर लगा और इससे खून नहीं बहा, बल्कि टोमैटो सॉस बाहर आया. इसे चमत्कार ही कहा जाना चाहिए कि भाजपा की धमनियों में सच्चाई, हिंदुत्व का खून नहीं टोमैटो सॉस है. सोमैया के गालों से टोमैटो सॉस टपकने से क्या राज्य की कानून-व्यवस्था बिगड़ गई है?  सोमैया ने ‘आईएनएस विक्रांत बचाओ’ के नाम पर पैसे जुटाए और उसका गबन किया. उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है. ये फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. इसके अलावा पीएमसी बैंक घोटाले में भी सोमैया की भूमिका संदिग्ध है. इस नचनिया ने खुद के गाल पर टोमैटो सॉस पोता और शिवसैनिकों द्वारा हमला किए जाने का हो-हल्ला मचाया.


पूरी बीजेपी की सोच संक्रमित


इस संपादकीय में शिवसेना ने देवेंद्र फडणवीस द्वारा केंद्रीय गृहसचिव को इस संबंध में लिखे एक पत्र पर भी सवाल उठाया है. इसमें कहा गया है कि इस परर आश्चर्य लगने जैसा कुछ भी नहीं है. फडणवीस सहित पूरी महाराष्ट्र भाजपा जिस मानसिक संक्रमण अवस्था से गुजर रही है उसे देखते हुए उनसे दूसरी उम्मीद नहीं की जा सकती है. वर्ष 2019 में सत्ता गंवाने के बाद से फडणवीस जैसे लोगों को यह राज्य अपना नहीं लगता. महाराष्ट्र का नमक उन्हें बेस्वाद लगने लगा है.


दादा कोंडके जिंदा होते तो बनाते फिल्म


आगे बीजेपी पर व्यंग्य करते हुए कॉलम में लिखा गया है कि महाराष्ट्र पर कठोर कार्रवाई करने और राष्ट्रपति शासन की मांग बीजेपी कर रही है. इसे सुनकर हंसी आती है, यदि दादा कोंडके इस समय जिंदा होते तो वे इस फर्जी कारण मीमांसा पर दूसरी ‘सोंगाड्या’ फिल्म बना देते. महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा का पाठ करना है तो अपने घर पर करो, किसने रोका है? लेकिन दूसरों के घर में जाकर पढ़ने का अट्टाहास क्यों? ऐसा सवाल मुंबई हाईकोर्ट ने भी पूछा है। फिर भी राणा दंपति पर की गई कार्रवाई को लेकर बीजेपी हल्ला मचा रही है. ये सब देखकर दादा कोंडके को ‘पांडु’गीरी पर ‘भाजपा का हवलदार’ एक और फिल्म बनानी पड़ती.


फणवीस महंगाई पर करें संघर्ष तो हम भी साथ


देवेंद्र फडणवीस कहते हैं, ‘इसके आगे हम संवाद नहीं, संघर्ष करेंगे. कार्यकर्ताओं लड़ने के लिए तैयार हो जाओ.’  यह भी अच्छी बात है लेकिन किन मुद्दों पर वे लड़ने जा रहे हैं? देश में महंगाई कहर बरपा रही है. सब्जियां, अनाज, पेट्रोल-डीजल सभी महंगे हो गए हैं. फिर भी वित्त मंत्री सीतारमण कहती हैं, ‘छी छी! कहां है महंगाई?’ फडणवीस इस बेबाक वित्त मंत्री के खिलाफ संघर्ष करनेवाले होंगे तो अच्छी बात है. महंगाई, बेरोजगारी, चीनी सैनिकों की घुसपैठ जैसे कई ज्वलंत मुद्दे हैं और उसके विरोध में खड़ा होना चाहिए. फडणवीस इसके विरोध में लड़ने को तैयार होंगे तो बताएं. शिवसेना भी उनके साथ आएगी.


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