(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Hanuman Jayanti 2023: सारंगपुर में 54 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा का अनावरण करेंगे अमित शाह, जानें क्या है मंदिर की मान्यता
Amit Shah Unveils Hanuman Statue: अहमदाबाद से करीब 150 किमी दूर सलंगपुर हनुमान मंदिर परिसर में यह प्रतिमा बनी है. ऐसी मान्यता है कि मंदिर में आने से लोगों को शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति मिलती है.
Amit Shah Unveils 54 Feet Hanuman Statue: देशभर में आज (6 अप्रैल) हनुमान जंयती का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस खास मौके पर गृह मंत्री अमित शाह गुजरात के सालंगपुर में 54 फीट ऊंची हनुमान की प्रतिमा का अनावरण करेंगे. इसके अलावा आज अमित शाह मंदिर में नए भोजनालय का उद्घाटन करेंगे, जो 7 एकड़ में बनाया गया है. साथ ही आज ही बीजेपी अपना 44वां स्थापना दिवस भी मना रही है.
अहमदाबाद से करीब 150 किमी दूर सलंगपुर हनुमान मंदिर परिसर में कष्टभंजन हनुमान जी की 54 फीट ऊंची प्रतिमा बनी है. जानकारी के अनुसार पंचधातु से बनी 30 हजार किलो वजन की इस प्रतिमा को 7 किमी की दूरी से देखा जा सकता है. इसके अलावा इस प्रतिमा की लागत 6 करोड़ रुपये है. कष्टभंजन हनुमान मंदिर की स्थापना विक्रम संवत 1905 में हुई थी. साथ ही इसका निर्माण सद्गुरु गोपालानंद स्वामी ने करवाया था. गुजरात के बोटाद जिले के सलंगपुर में बने कष्टभंजन हनुमान को यहां हनुमान दादा के नाम से पुकारा जाता है.
क्या है मंदिर की मान्यता?
इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां आने से लोगों को शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है कि बहुत पहले ऐसा समय था जब लोग शनिदेव का प्रकोप झेल रहे थे तब भक्तों ने हनुमान जी की आराधना की थी. जिसके बाद बजरंगबली ने लोगों को शनिदेव से मुक्त कराया था.
ऐसी मान्यता है कि लोगों पर हो रहे शनिदेव के प्रकोप की वजह से हनुमान जी को गुस्सा आ गया था, जिसके बाद वह शनिदेव से युद्ध के लिए निकले थे, लेकिन जब शनिदेव को इस बात का पता चला तो वह इसका उपाय सोचने लगे. बजरंगबली से बचने के लिए शनिदेव ने एक स्त्री का रूप धारण कर लिया क्योंकि वह जानते थे कि हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं तो वह स्त्री पर कभी हाथ नहीं उठाएंगे. हनुमानजी ने शनिदेव को पहचान लिया. जिसके बाद शनिदेव हनुमान जी के चरणों में गिरकर माफी मांगने लगे तब बजरंगबली ने उन्हें अपने पैरों के नीचे रख लिया. तभी से कष्टभंजन हनुमान मंदिर में शनि देव स्त्री के रूप में बजरंगबली के पेटों के नीचे विराजमान हैं और इसी रूप में उनकी पूजा की जाती है.
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