नई दिल्ली: नई उम्मीदों के साथ नए साल 2019 का आगाज हो चुका है. यह पूरा साल सियासी तौर पर काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है. न सिर्फ लोकसभा चुनाव बल्कि इस साल हरियाणा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा चुनाव होंगे. ये चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के अलावा क्षेत्रीय पार्टियों के लिए काफी अहम है.
केंद्र में बीजेपी पूर्ण बहुमत से सत्तारूढ़ है. विधानसभा चुनावों की बात करें तो आठ राज्यों में से चार हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी सत्ता में है. तीन राज्यों ओडिशा, आंध्र प्रदेश और सिक्किम में क्षेत्रीय पार्टी का कब्जा है और जम्मू-कश्मीर में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है. कांग्रेस एक भी राज्य में सत्ता में नहीं है. इस लिहाज से ये चुनाव और अहम हो जाते हैं. कांग्रेस 2018 के अंत में तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी को शिकस्त देकर उत्साहित है. गठबंधन के कंधों पर सवार कांग्रेस को एक बार फिर वापसी की उम्मीद है.
पांच साल पहले 2014 की बात करें तो कांग्रेस केंद्र के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा और अरुणाचल प्रदेश में सत्ता में थी. झारखंड में जेएमएम को कांग्रेस ने समर्थन दिया था. लेकिन मोदी लहर में कांग्रेस एक के बाद चुनावों में अपनी सियासी जमीन खोती गई. 2014 से पहले बीजेपी आठ राज्यों में से एक में भी सत्ता नहीं थी. ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजेडी), जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस और सिक्किम में SDF का कब्जा था. अब देखना दिलचस्प होगा कि एक बार फिर 2014 की तरह सियासी मानचित्र बदलता है या बरकरार रहता है.
हरियाणा
सूबे में पिछले पांच सालों से बीजेपी का कब्जा है और मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री हैं. इससे पहले पांच सालों तक कांग्रेस सत्ता में थी. 2014 के चुनाव में बीजेपी ने कुल 90 सीटों में से 47, कांग्रेस ने 17, आईएनएलडी ने 19, सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं अन्य के खाते में सात सीटें गई.
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महाराष्ट्र
सियासी तौर पर बड़े राज्य महाराष्ट्र में फिलहाल बीजेपी का कब्जा है और देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री हैं. इस चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी वापसी के लिए आतुर है. दोनों पार्टियों ने चुनाव पूर्व गठबंधन का एलान किया है. वहीं शिवसेना पहले ही बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी है. बीजेपी का दावा है कि शिवसेना गठबंधन में शामिल होगी. 2014 के चुनाव की बात करें तो कुल 288 सीटों में से बीजेपी 121, शिवसेना 66 पर जीती थी. दोनों दल गठबंधन कर सत्ता में है. इस चुनाव में कांग्रेस 42, एनसीपी 41 सीटें जीती. बांकी की सीटों पर अन्य दलों ने कब्जा जमाया.
झारखंड
2014 के चुनाव में बीजेपी ने 82 सीटों में से 43 सीटों पर परचम लहराया था. वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा को 19 और कांग्रेस को 9 सीटें मिली थीं. 2019 चुनाव को लेकर कांग्रेस ने झारखंड मुक्ति मोर्चा से गठबंधन किया है. कांग्रेस की बाबूलाल मरांडी (झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष) के साथ भी नजदीकी बढ़ी है. हाल के उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है.
आंध्र प्रदेश
यहां कुल 175 सीटों में से चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी 102 सीटें जीती थी. जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस 66 सीटों पर जीती. बीजेपी के खाते में चार सीटें गई थी. 2014 के चुनाव में टीडीपी और बीजेपी साथ थी. लेकिन आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने के मुद्दे पर दोनों पार्टियां अलग हो गई. नायडू लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने में जुटे हैं.
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जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है. स्थानीय पार्टियां विधानसभा चुनाव कराने की मांग कर रही है. सूबे में इसी साल चुनाव हो सकते हैं. यहां कुल 89 (2 नॉमिनेटेड) सीटें है. 2014 के चुनाव में महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी ने 28 सीटें और बीजेपी ने 25 सीटें जीतकर सरकार बनाई. लेकिन नवंबर में बीजेपी ने कई मुद्दों पर असहमति की वजह से पीडीपी से नाता तोड़ लिया. जिसके बाद विधानसभा भंग कर दी गई. 2014 में कांग्रेस ने 12 और नेशनल कांफ्रेंस ने 15 सीटों पर जीत दर्ज की थी. अन्य के खाते में बांकी की सीटें गई. संभावना है कि आगामी लोकसभा और विधानसभा में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस साथ चुनाव लड़ेगी.
ओडिशा
सूबे में कुल 147 सीटें है और नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजेडी 117 सीटें जीतकर सत्ता में है. यहां कांग्रेस के खाते में 16 और बीजेपी के खाते में 9 सीटें है. ओडिशा में कांग्रेस का जनाधार लगातार कमजोर हो रहा है. बीजेडी को बीजेपी कड़ी टक्कर देती दिख रही है.
सिक्किम
सिक्किम में बीजेपी और कांग्रेस दोनों 2014 के चुनाव में खाता खोलने में नाकाम रही थी. यहां की कुल 32 सीटों में से 22 पर सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) का कब्जा है. वहीं एसकेएम के खाते में 10 सीटें है. यहां पवन चामलिंग पिछले करीब 25 सालों से मुख्यमंत्री है.
अरुणाचल प्रदेश
2014 के चुनाव के बाद यहां खूब सियासी उठापटक देखे गए. यहां की कुल 60 सीटों में से 42 पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था. बीजेपी ने पहली बार 11 सीटें जीती थी. पीपीए ने 5 और अन्य ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन बाद में कांग्रेस के बागी गुट ने बीजेपी से मिलकर सरकार बना ली. इसके बाद मामला कोर्ट में गया लेकिन कांग्रेस को कोई खास सफलता नहीं मिली.
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