Happy New Year 2019 : 1 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं नया साल, जानिए वजह
Happy New Year 2019: साल 2018 खत्म हो गया है. पूरी दुनिया में लोग नए साल का स्वागत कर रहे है. 1 जनवरी की रात से ही जश्न शुरू हो गया है.
Happy New Year 2019: साल 2018 खत्म हो गया है. पूरी दुनिया में लोग नए साल का स्वागत कर रहे है. 1 जनवरी की रात से ही जश्न शुरू हो गया है. ऐसे में एक सवाल आप सबके जेहन में भी आता होगा कि आखिर नया साल 1 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है. आइए आज आपको इसी सवाल का जवाब देते हैं.
दरअसल 1 जनवरी को नया साल मनाने के पीछे कई कारण और मान्यताएं है. ऐसा माना जाता है कि जनवरी महीने का नाम रोमन के देवता 'जानूस' के नाम पर रखा गया था. मान्यताओं के अनुसार जानूस दो मुख वाले देवता थे जिसमे एक मुख आगे की ओर वहीं दूसरा पीछे की ओर था. कहा जाता है कि दो मुख होने की वजह से जानूस को बीते हुए कल और आने वाले कल के बारे में पता रहता था. इसलिए देवता जानूस के नाम पर जनवरी को साल का पहला दिन माना गया और 1 जनवरी को साल की शुरुआत मानी गई.
इसके अलावा एक और कारण की बात करें तो माना जाता है कि 45 ईसा पूर्व में रोम के बादशाह जुलियर सीजर ने जुलियन कैलंडर बनवाया था तब से लेकर आज तक दुनिया के ज्यादातर देशों में 1 जनवरी को ही साल का पहला दिन माना जाता है. हालांकि बाद में इस कैलंडर में कई गलतियों की बात कही गई और इसके बाद ग्रिगोरियन कैलेंडर आ गया.
जूलियन कैलेंडर के बाद आया ग्रिगोरियन कैलेंडर
1 जनवरी से शुरू होने वाले कैलेंडर को ग्रिगोरियन कैलेंडर के नाम से जाना जाता है, जिसकी शुरूआत 15 अक्टूबर 1582 में हुई. इस कैलेंडर की शुरूआत ईसाईयों ने क्रिसमस की तारीख निश्चित करने के लिए की. क्योंकि ग्रिगोरियन कैलेंडर से पहले 10 महीनों वाला रूस का जूलियन कैलेंडर प्रचलन में था. लेकिन इस कैलेंडर में कई गलतियां होने की वजह से हर साल क्रिसमस की तारीख कभी भी एक दिन में नहीं आया करती थी.
धार्मिक कैलेंडर के अनुसार
हिंदू धर्म में नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना गया है और हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान ब्रहमा ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी इसलिए उस दिन से नया साल मनाया जाता है. लेकिन इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम महीने की 1 तारीख को नया साल हिजरी से शुरू होता है. पंजाब में नया साल बैशाखी के दिन मनाया जाता है. पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में भी बैशाखी के आस-पास ही नया साल मनाया जाता है. महाराष्ट्र में मार्च-अप्रैल के महीने आने वाली गुड़ी पड़वा के दिन नया साल मनाया जाता है. गुजराती में नया साल दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है.