Muslim Women Making Tiranga in Malerkotla: भारत आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ का जश्न मना रहा है. सरकार स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) को खास बनाने के लिए 'हर घर तिरंगा' (Har Ghar Tiranga) अभियान चला रही है. तिरंगा बनाने से लेकर खरीदने के लिए लोगों के बीच काफी उत्साह देखा जा रहा है. 'हर घर तिरंगा' अभियान में पंजाब का शहर मलेरकोटला अहम योगदान दे रहा है. आमतौर पर हिंदू-मुस्लिम और सिख सांप्रदायिक झगड़े को लेकर खबरें चर्चा में रहती हैं, लेकिन इस बार पंजाब (Punjab) के मलेरकोटला (Malerkotla) की रहने वाली मुस्लिम महिलाएं तिरंगा बनाकर अपनी अनूठी पहचान बना रही हैं.


पंजाब के मलेरकोटला की कई तंग गलियों में आजकल हर कोई व्यस्त नजर आ रहा है. जो महिलाएं अक्सर घर में दूसरा काम करती दिखाई देती थीं, खाना बनाती नजर आती थीं, आज उनके हाथों में देश का तिरंगा है.


मुस्लिम महिलाएं बना रहीं तिरंगा


मलेरकोटला में सबसे ज्यादा आबादी मुस्लिम समुदाय के लोगों की है. यहां की ज्यादातर मुस्लिम महिलाएं देश का तिरंगा झंडा बना रही हैं. महिलाओं अपने छोटे-छोटे घरों में, छत पर या फिर जहां भी उन्हें जगह मिल रही है, वो तिरंगा बनाने के काम में जुटी हुई हैं. देश की आन बान और शान का प्रतीक तिरंगा झंडा बनाने का काम तेजी से जारी है. तिरंगा बनाने का काम स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियां भी कर रही हैं तो वहीं, बुजुर्ग महिलाएं भी इस काम में लगी हैं. 


तिरंगा बनाकर खुश हैं महिलाएं


देश के हर घर की छतों पर तिरंगा फहराने में योगदान के लिए मलेरकोटला में झंडा बनाने का काम हो रहा है तो वहीं, इन महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है, जिससे वो काफी खुश नजर आ रही हैं. इन महिलाओं के घर से सिलाई किया हुआ देश का तिरंगा झंडा पता नहीं किस कोने में किस की छत के ऊपर लहराएगा. क्या पता उसे कोई मंत्री लहराए, कोई सिख अपने घर के ऊपर लहराए या किसी हिंदू के घर में लहराएगा. किसी गरीब की झोपड़ी पर लहराएगा, लेकिन उन्हें बहुत खुशी हो रही है कि वह देश के 'हर घर तिरंगा' मुहिम में अपना योगदान दे रही हैं.


देशभक्ति के साथ रोजगार भी


मलेरकोटला से लाखों की तादाद में तिरंगा झंडा बनकर देश के कोने कोने में जा रहा है. मलेरकोटला में 50 बड़े होलसेलर हैं जो मिलिट्री का सामान बनाने का काम करते हैं, जिनमें उनके कंधों पर लगने वाले वेजेस स्टार होते हैं और झंडे भी बनते हैं. एक-एक दुकानदार के पास लाखों में आर्डर हैं, जो उनसे पूरा नहीं हो रहा. झंडे के बीच में बनने वाला अशोक चक्र, जिसे मशीन पर तैयार किया जाता है. जिसके बाद झंडा सिलाई करने के लिए घरों में बैठी महिलाओं को दे दिया जाता है. इन महिलाओं को झंडे की साइज के आधार पर सिलाई का पैसा मिलता है. 15 से लेकर 40 तक 1 झंडे की कीमत इन महिलाओं को दी जाती है, इसलिए हर घर में महिलाएं झंडा बनाने में व्यस्त हैं. 


तिरंगा बनाने के लिए बड़ा ऑर्डर


मलेरकोटला के इबाद अली राणा का कहना है कि वह सेना के लिए झंडे और बैच बनाने का काम करते हैं और इस बार उन्हें मलेरकोटला में बड़ी संख्या में तिरंगे झंडे के ऑर्डर मिल रहे हैं. इबाद का कहना है कि उनके पास ढाई लाख झंडों का ऑर्डर है और उन्होंने करीब एक लाख झंडे की आपूर्ति की है और अब आगे के ऑर्डर तैयार किए जा रहे हैं. उनका कहना है कि वे मुंबई, पुणे और दिल्ली को झंडे की सप्लाई कर रहे हैं. झंडा तैयार करने के लिए पहले इसे घर में महिलाओं द्वारा तैयार किया जाता है और उसके बाद मशीन पर उसके सफेद हिस्से के ऊपर अशोक चक्र बनता है. 


300 से लेकर 1200 रुपये तक का झंडा


इबाद अली राणा ने बताया कि इस काम में मलेरकोटला की करीब पंद्रह सौ से दो हजार महिलाएं पिछले एक महीने से काम कर रही हैं और उनकी अच्छी कमाई हो रही है. हमारे पास पहले जो सिर्फ 500 से लेकर 1000 झंडे का ही आर्डर होता था, अब लाखों में है. हमारे पास 300 रुपये से लेकर 1200 रुपये तक का झंडा है. अली राणा ने आगे कहा कि उन्हें बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि मलेरकोटला द्वारा बनाया गया झंडा इस बार पूरे देश में सरकारी भवनों और लोगों के घरों पर लहराएगा.


तिरंगा बनाकर हो रहा है गर्व


'हर घर तिरंगा' अभियान (Har Ghar Tiranga Abhiyan) के तहत जोर शोर से तिरंगा (Tiranga) बनाया जा रहा है. शहनाज ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पहले वो अपने घर में सिलाई और कढ़ाई का काम करते थे, लेकिन इस बार बड़ी संख्या में तिरंगा झंडा तैयार करने का ऑर्डर मिला. हम सुबह से शाम तक लगभग 150 से 200 पीस झंडा तैयार करते हैं, जिसके लिए हमें अलग-अलग रेट मिलते हैं. उन्होंने कहा कि हमें बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि हम अपने देश का झंडा तैयार कर रहे हैं. शुक्रिया का कहना है कि मलेरकोटला (Malerkotla) में ऐसा काम पहले कभी नहीं हुआ और उन्हें देश का तिरंगा बनाने में काफी गर्व है. उन्हें लगता है कि आने वाले वक्त में हिंदू-मुसलमानों के बीच दूरियां कम होंगी.


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