Survey On Harassment: हालिया सर्वे में पता चला है कि 37 प्रतिशत नागरिकों को फ्लाइट, ट्रेन और बसों सहित अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट में हाथापाई, उत्पीड़न या दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है. लोकल सर्कल्स के इस सर्वे में पता चला है कि लगभग 69 प्रतिशत लोगों को लगता है कि जागरूकता अभियान, चालान और जुर्माने से इस उत्पीड़न को कम किया जा सकता है. वहीं, 56 प्रतिशत लोगों ने इस तरह की घटनाओं का सामना किए जाने से साफ इनकार किया है.
इसके अलावा 7 फीसदी लोगों ने कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी. जिन लोगों ने इस तरह के व्यवहार का अनुभव किया उनमें से 10 प्रतिशत ने स्वीकार किया कि उन्होंने पिछले तीन सालों में ऐसी घटनाओं को 4-6 बार देखा या अनुभव किया. सर्वे से पता चला कि 16 प्रतिशत ने 2-3 बार संकेत दिया और 11 प्रतिशत ने एक बार संकेत दिया.
सर्वे में कितनी महिलाएं और पुरुष शामिल
पब्लिक ट्रांसपोर्ट (फ्लाइट, ट्रेन, बस) में दुर्व्यवहार या अनियंत्रित व्यवहार कितना आम है, इसे समझने के लिए लोकल सर्कल्स ने एक राष्ट्रीय सर्वे किया. सर्वे में भारत के 321 जिलों में स्थित नागरिकों से 20,000 से ज्यादा प्रतिक्रियाएं मिली है. सर्वे में 66 प्रतिशत पुरुष थे, जबकि 34 प्रतिशत महिलाएं थीं. लोकल सर्कल्स के एक बयान में कहा गया है कि इस सर्वे में 47 प्रतिशत टियर 1 से, 34 प्रतिशत टियर 2 से और 19 प्रतिशत उत्तरदाता टियर 3, 4 और ग्रामीण जिलों से थे.
11 प्रतिशत को सुधार की कोई उम्मीद नहीं
कुल 69 प्रतिशत ने आशा व्यक्त की है कि इस तरह के कदम से स्थिति में सुधार हो सकता है. सर्वे के आंकड़ों से पता चलता है कि 46 प्रतिशत लोग इस कार्रवाई को लेकर काफी निश्चित हैं, जबकि 23 प्रतिशत को लगता है कि इसका कुछ न कुछ सकारात्मक प्रभाव जरूर होगा. वहीं, 11 प्रतिशत को कोई उम्मीद नहीं है कि "जागरूकता अभियानों और कड़ी सजा/जुर्माने से कुछ बदलाव हो सकता है, जबकि 16 प्रतिशत को लगता है कि इस तरह का कदम तभी काम करेगा जब सख्त सजा और जुर्माना लागू किया जाएगा और 4 प्रतिशत लोगों ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया.
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