पाटीदार आंदोलन का नेतृत्व, गुजरात चुनाव में कांग्रेस का समर्थन और अब BJP के साथ, जानें कैसा रहा Hardik Patel का सियासी सफर
Hardik Patel's Political Journey: हार्दिक ऐसे समय BJP में शामिल हो रहे हैं, जब इस साल के आखिर में गुजरात विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. बीजेपी पिछले दो दशक से ज्यादा वक्त से राज्य में सत्ता में हैं.
कांग्रेस के पूर्व नेता और कभी बीजेपी के धुर आलोचक रहे हार्दिक पटेल (Hardik Patel) आज बीजेपी (BJP) में शामिल होंगे. पटेल ऐसे समय में पार्टी में शामिल हो रहे हैं, जब इस साल के आखिर में गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Elections) होने वाले हैं. बीजेपी पिछले दो दशक से ज्यादा वक्त से राज्य में सत्ता में हैं. कांग्रेस (Congress) से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व की कड़ी आलोचना की थी जबकि फैसले करने की बीजेपी की क्षमता और कार्यशैली की तारीफ की थी. हार्दिक पटेल 2019 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे और बाद में उन्हें राज्य इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. गुजरात में अगले कुछ ही महीनों में चुनाव होने वाले हैं. जानें कैसा रहा हार्दिक का सियासी सफर.
पाटीदार आंदोलन से चर्चा में आए थे हार्दिक
28 साल के हार्दिक पटेल 2015 में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में पाटीदार समुदाय के सदस्यों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर किए गए आंदोलन के दौरान चर्चा में आए थे. उन्होंने इस आंदोलन का नेतृत्व किया था. आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में एक पुलिसकर्मी सहित 10 लोग मारे गए थे और सार्वजनिक संपत्तियों और वाहनों को काफी नुकसान पहुंचा था. इसके बाद पटेल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 (ए), 121 (ए) और 120 (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया था और वह 2016 से जमानत पर हैं. बीजेपी सरकार ने भी हाल ही में 2015 के आरक्षण आंदोलन के संबंध में हार्दिक पटेल और अन्य के खिलाफ दर्ज कई मामलों को वापस लेने के लिए कदम उठाए हैं.
पटेल नवनिर्माण सेना बनाई
कुर्मी, पार्टीदार और गुर्जर समुदाय को ओबीसी में शामिल करना और उन्हें सरकारी नौकरियां दिलाने के मकसद से हार्दिक पटेल ने 9 सितंबर 2015 को पटेल नवनिर्माण सेना का गठन किया था. इसी साल 18 अक्टूबर को हार्दिक पटेल पर राष्ट्रीय झंडे के अपमान का आरोप लगा और केस दर्ज होने के बाद उन्हें कुछ दिनों के लिए जेल की हवा खानी पड़ी.
गुजरात चुनाव में कांग्रेस को सपोर्ट
हार्दिक पटेल ने कांग्रेस ज्वाइन करने से पहले साल 2017 में कांग्रेस को सपोर्ट किया था. इस विधानसभा चुनाव में हार्दिक पटेल के अलावा कांग्रेस अल्पेश ठकोर और जिग्नेश मेवानी की मदद से पूरे उत्साह के साथ मैदान में उतरी थी. हालांकि ठकोर बाद में बीजेपी में शामिल हो गए, लेकिन उपचुनाव में हार गए.
कांग्रेस में शामिल
हार्दिक पटेल मार्च 2019 में अहमदाबाद में कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक के दौरान तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए थे.
दंगों के दाग, लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाए
मेहसाणा दंगा मामले में जुलाई 2018 में एक सत्र अदालत ने हार्दिक पटेल को दोषी साबित किया था. इसके बाद हार्दिक ने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और वह चुनाव नहीं लड़ सके. बाद में हार्दिक ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन वहां से भी उनको कोई राहत नहीं मिली.
गुजरात कांग्रेस के वर्किंग प्रेसिडेंट
जुलाई 2020 में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुजरात में पार्टी को एक बड़ी मजबूती देते हुए हार्दिक पटेल को राज्य इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था. तब पटेल ने कहा था, "गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में मुझे एक चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है. इससे यह भी स्पष्ट होता है कि पार्टी साधारण पृष्ठभूमि के लोगों को बढ़ावा देती है और 2022 में कांग्रेस दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में आएगी."
कांग्रेस से इस्तीफा दिया
गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए राज्य कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने 5 मई को पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा की. हार्दिक पटेल ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस को गुजरात में कोई दिलचस्पी नहीं है, वह सिर्फ नीतियों और कार्यक्रमों का विरोध कर रही है. पार्टी ऐसा विकल्प नहीं बन रही है, जिसकी लोग तलाश कर रहे हैं. पार्टी राष्ट्रहित में और समाज के लिए कार्य करने में विफल रही.
पाटीदार आंदोलन के सदस्यों ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए
भावनगर से कभी हार्दिक पटेल के सहयोगी रहे भावेश सोमानी ने कहा था कि उन्होंने तत्कालीन केंद्रीय राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया पर हार्दिक पटेल के निर्देश पर 'चप्पल' फेंकी थी. सोमानी ने हार्दिक पटेल पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगाए. उन्होंने कहा कि हार्दिक ने 2017 में गरियाधर विधानसभा क्षेत्र के चुनाव के लिए टिकट देने के लिए 23 लाख रुपये की रिश्वत ली थी. सोमानी ने कहा, "10 लाख रुपये उनके पिता भरतभाई को उनके अहमदाबाद के फ्लैट में दिए गए और बाकी का भुगतान अंगदिया सर्विसेज के माध्यम से दो किस्तों में किया गया."
हार्दिक पर कितने मुकदमे दर्ज?
- अहमदाबाद और सूरत में देशद्रोह के दो मुकदमे दर्ज
- 2015 में रैली में हुई हिंसा के बाद राजद्रोह का केस
- 2015 में हुई अहमदाबाद से गिरफ्तारी