गुजरात चुनाव: हार्दिक पटेल को लग सकता है जोर का झटका!
एबीपी न्यूज - सीएसडीएस के एग्जिट पोल में बीजेपी को अब तक की सबसे ज्यादा यानि 117 सीटें जबकि कांग्रेस को 64 सीटें मिलने का अनुमान है.
नई दिल्ली: एग्जिट पोल के आंकड़े सामने आने के बाद गुजरात की राजनीति ने एक नया मोड़ ले लिया है. आंकड़ों से बीजेपी जहां खुश है तो कांग्रेस आंकड़ों से इतर चौंकाने वाले नतीजों का दावा कर रही है. इन सब के बीच गुजरात के चुनाव के अहम फैक्टर रहे हार्दिक पटेल पर सभी की नजर है.
एग्जिट पोल में लग रहा है कि चुनावी मैदान में मोदी की धुआंधार पारी के सामने हार्दिक का दांव धरा का धरा रह गया. हार्दिक देखते रह गए और उनके कदमों के नीचे से जमीन खिसक गई.
एबीपी न्यूज - सीएसडीएस के एग्जिट पोल में बीजेपी को अब तक की सबसे ज्यादा यानि 117 सीटें जबकि कांग्रेस को 64 सीटें मिलने का अनुमान है. और अन्य के खाते में एक सीट जाती नजर आ रही है. हार्दिक पटेल अभी एग्जिट पोल के नतीजे को मानने को तैयार नहीं है.
गुजरात में पाटीदारों की कुल पन्द्रह फीसदी आबादी है. गुजरात में पाटीदार बहुल 72 सीट हैं. लेउआ पटेल सौराष्ट्र और मध्य गुजरात में 40 सीटों पर असर रखते हैं. मध्य गुजरात की 40 सीटों का अनुमान कहता है कि बीजेपी को 24, कांग्रेस को 16 सीटें मिल सकती हैं. कड़वा पटेल सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात में 32 सीटों पर असर रखते हैं.
एबीपी न्यूज़-सीएसडीएस के एग्जिट पोल में उत्तर गुजरात में बीजेपी को 35 सीटें, कांग्रेस को 18 मिल सकतीं हैं. सौराष्ट्र में जहां कड़वा और लेउआ पटेल दोनों मौजूद हैं. यहां भी बीजेपी को 34, कांग्रेस को 19 मिलती नजर आ रही हैं. यानी बीजेपी को पूरे गुजरात में समर्थन मिला है.
एग्जिट पोल के नतीजे बता रहे हैं कि पाटीदार बहुल इलाकों में भी बीजेपी जीत रही है. इसका मतलब कि पाटीदार बहुल इलाकों में भी बीजेपी को बड़े पैमाने पर वोट मिला है. एग्जिट पोल के नतीजे अगर असली नतीजों में बदलते हैं तो मतलब है कि बीजेपी के पास पाटीदारों को आरक्षण देने के खिलाफ जनादेश है यानी हार्दिक के आंदोलन पर सख्ती दिखाई जा सकती है.
राजनीतिक रूप से सबसे बड़ी बात 15 फीसदी पाटीदारों के मुकाबले बीजेपी को 40 फीसदी ओबीसी में बड़ी हिस्सेदारी मिली है जो उसे और मजबूत बनाएगी. कांग्रेस ने चुनाव से पहले ही हार्दिक के पर कतर दिए थे.
हार्दिक के सिर्फ 6 खास लोगों को टिकट मिला. हार्दिक किनारे हुए तो कई साथी हार्दिक को छोड़कर बीजेपी के खेमे में चले गए. साफ है कि हार्दिक की आवाज विधानसभा में पहुंचने के आसार कम हैं.