Haldwani Railway Encroachment: रेलवे अतिक्रमण को लेकर बुधवार (4 जनवरी) को हल्द्वानी (Haldwani) पहुंचे समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के प्रतिनिधिमंडल में शामिल पार्टी के प्रदेश प्रमुख महासचिव शोएब अहमद ने बताया कि जिस तरह से हल्द्वानी में रेलवे का प्रकरण चल रहा है, उसको देखते हुए हमने पीड़ितों से मुलाकात की. दल में सांसद डॉक्टर एसटी हसन, 5 विधायकों के अलावा प्रदेश प्रभारी व स्थानीय नेता मौजूद रहे. सामाजवादी पार्टी की टीम ने स्थानीय लोगों से बात कर राष्ट्रीय नेतृत्व को रिपोर्ट भी दी.


हल्द्वानी के बनभुलपूरा (Banbhoolpura) में रेलवे की जमीनों से हटाए जाने वाले अतिक्रमण (Encroachment) को लेकर अब सियासत तेज हो गई है. एक तरफ जहां इस मामले को लेकर, समाजवादी पार्टी के नेताओं का डेलिगेशन हल्द्वानी गया है, वहीं राजधानी देहरादून में भी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस मामले को लेकर मौन व्रत रखा.


लेकिन इस पर पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मामला न्यायालय के अधीन है. ऐसे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी. सीएम ने कहा कि हम न्याय और संविधान को मानने वाले लोग हैं. सुप्रीम कोर्ट से जो भी फैसला आएगा सरकार उसी के आधार पर आगे बढ़ेगी. इसके साथ ही सीएम ने समाजवादी पार्टी के डेलिगेशन और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के मौन व्रत पर भी कहा कि सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए.


पूर्व सीएम ने रखा 1 घंटे का  मौन उपवास


हल्द्वानी के बनभूलपुरा (Banbhoolpura) में अवैध अतिक्रमण को हटाने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने, बुधवार (4 जनवरी) को अपने आवास पर 1 घंटे का मौन उपवास रखा, जिसमें लोगों के प्रति संवेदना जताई. राज्य सरकार से रावत ने अपील की कि सरकार मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए इस पूरे मामले में विचार करे. 5 जनवरी को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. हल्द्वानी के अतिक्रमण मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से एबीपी के संवाददाता विनोद कुमार ने बातचीत की. 


नैनीताल कोर्ट ने दिया अतिक्रमणकारियों को हटाने का निर्देश


बता दें कि रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण हटाने का मामला 2016 में शुरू हुआ था. संबंधित मामले में हाईकोर्ट ने अतिक्रमण खाली करने के लिए कहा था. रेलवे के जमीन पर बसे लोगों ने कहा कि उनके तथ्यों को नहीं सुना गया. इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट में चला गया. नैनीताल हाईकोर्ट ने दिसंबर के आखिरी सप्ताह में  रेलवे की भूमि पर बसे लोगों को एक नोटिस दिया. कोर्ट ने 1 सप्ताह का नोटिस देकर रेलवे की भूमि से अतिक्रमणकारियों को हटाने के निर्देश दे दिए.  


कोर्ट के निर्देश के बाद रेलवे और स्थानीय प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने का कार्रवाई शुरू कर दिया था. इसके बाद अतिक्रमण की जद में आए लोगों ने आंदोलन शुरू कर दिया. स्थानीय लोगों ने इस ठंड में हजारों बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को बेघर न करने की सरकार से मांग की. दरअसल, इस अतिक्रमण में 4365 घरों को तोड़े जाने है. इसमें हजारों की संख्या में लोग प्रभावित होंगे. 


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