Punjab Congress: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के नई पार्टी बनाने के एलान के बाद कांग्रेस नेताओं की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है. एक तरफ जहां पंजाब के उप-मुख्यमंत्री सुखजिंद सिंह रंधावा ने कैप्टन से इस कदम को कांग्रेस की पीठ में छुरी घोंपने वाला बताया तो वहीं दूसरी तरफ हरीश रावत ने कहा कि इससे पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ेगा.


समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, हरीश रावत ने कहा कि कैप्टन के जाने से कांग्रेस को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा बल्कि इससे कांग्रेस के विरोधी बंट जाएंगे. कांग्रेस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जिस तरह से चन्नी की सरकार ने काम करना शुरू किया है, उसका पंजाब और पूरे देश में अच्छा असर हुआ है और इसी आधार पर वोट निर्भर करेगा.






उन्होंने कहा कि अगर वह बीजेपी के साथ जाना चाहते हैं वे जा सकते हैं. रावत ने कहा कि अगर वे अपनी सेक्यूलरिज्म के प्रतिबद्धता पर कायम नहीं रह सकते हैं तो फिर उन्हें कौन रोक सकता है? हरीश रावत ने आगे कहा कि उन्हें 'सर्वधर्म संभव' का प्रतीक माना जाता था और लंबे समय तक कांग्रेस की परंपराओं से जुड़े रहे. अगर वे जाना चाहते हैं तो वे जा सकते हैं.


रावत ने पार्टी से कहा- पंजाब प्रभारी की जिम्मेदारी से करें मुक्त


कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने पार्टी नेतृत्व से आग्रह किया है कि उन्हें पंजाब प्रभारी की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए ताकि वह अपने गृह प्रदेश उत्तराखंड में कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव पर ध्यान केंद्रित कर सकें. समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बुधवार को सुबह हुई मुलाकात के दौरान रावत ने अपनी इच्छा से उन्हें अवगत कराया.


बाद में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं आज एक बड़ी ऊहापोह से उबर पाया हूं. एक तरफ जन्मभूमि के लिए मेरा कर्तव्य है और दूसरी तरफ कर्मभूमि पंजाब के लिए मेरी सेवाएं है. स्थितियां जटिल होती जा रही हैं, क्योंकि ज्यों-जयों चुनाव नजदीक आएंगे, दोनों जगह व्यक्ति को पूर्ण समय देना पड़ेगा.’’


उनके मुताबिक, ‘‘कल उत्तराखंड में बेमौसम बारिश ने जो कहर ढाया है, वह हृदयविदारक है. मैं कुछ स्थानों पर ही जा पाया, लेकिन पीड़ितों के आंसू पोंछने के लिए मैं सब जगह जाना चाहता था. .... मगर कर्तव्य पुकार, मुझसे कुछ और अपेक्षाएं लेकर खड़ी हुई. मैं जन्मभूमि के साथ न्याय करूं तभी कर्मभूमि के साथ भी न्याय कर पाऊंगा. मैं, पंजाब कांग्रेस और पंजाब के लोगों का बहुत आभारी हूं कि उन्होंने मुझे निरंतर आशीर्वाद और नैतिक समर्थन दिया. संतों, गुरुओं की भूमि, नानक देव जी और गुरु गोविंद सिंह जी की भूमि से मेरा गहरा भावनात्मक लगाव है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘मैंने निश्चय किया है कि नेतृत्व से प्रार्थना करूं कि अगले कुछ महीने मैं उत्तराखंड को पूर्ण रूप से समर्पित रह सकूं. इसलिए पंजाब में जो मेरा वर्तमान दायित्व है, उस दायित्व से मुझे मुक्त कर दिया जाए.’’ उल्लेखनीय है कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस में पिछले कई महीनों से चल रही उठापाठक के चलते रावत लगातार व्यस्त रहे हैं. उत्तराखंड में वह कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा माने जाते हैं. पंजाब और उत्तराखंड में अगले साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होने हैं.


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