CJI DY Chandrachud: 'न्यायपालिका की संप्रभुता पर हमले की कोशिश...', एक 'खास ग्रुप' को लेकर चिंता, CJI को 600 वकीलों ने लिखी चिट्ठी
Lawyers Letter To CJI DY Chandrachud: वकीलों की तरफ से चिट्ठी ऐसे समय पर लिखी गई है, जब अगले महीने से लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग होने वाली है.
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Lawyers Letter To CJI: देश के 600 से ज्यादा वकीलों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को एक चिट्ठी लिखी है. इसमें कहा गया है कि न्यायपालिका पर एक 'खास ग्रुप' अपना प्रभाव डालने की कोशिश कर रहा है, जिसे लेकर वे बहुत ज्यादा चिंतित हैं. चिट्ठी लिखने वालों में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, पिंकी आनंद, मनन कुमार मिश्रा, हितेश जैन जैसे नामचीन वकील शामिल हैं. इसमें कहा गया कि न्यायपालिका की संप्रभुता और स्वायत्तता पर हमले की कोशिश की जा रही है.
वकीलों का दावा है कि ये 'खास ग्रुप' अदालत के जरिए सुनाए जाने वाले फैसलों को प्रभावित करने के लिए दबाव की रणनीति अपना रहा है. खासतौर पर इसका दबाव उन मामलों में ज्यादा देखने को मिल रहा है, जो राजनीतिक नेताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़े हुए केस हैं. वकीलों ने आगे कहा, "खास ग्रुप के जरिए की जा रहीं ये कार्रवाइयां लोकतांत्रिक ढांचे और न्यायिक प्रक्रियाओं में रखे जाने वाले भरोसे के लिए खतरा पैदा करती हैं." ये चिट्ठी ऐसे समय पर लिखी गई है, जब अगले महीने से लोकसभा चुनाव है.
न्यायपालिका के 'स्वर्ण युग' को लेकर झूठी बातों का हो रहा प्रचार
सीजेआई को लिखी चिट्ठी में वकीलों ने दावा किया है कि 'खास ग्रुप' न्यायपालिका के तथाकथित 'स्वर्ण युग' को लेकर झूठी बातें प्रचारित कर रहा है. उसके जरिए ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि वर्तमान में चल रही कार्यवाही को कमतर किया जा सके और अदालतों पर से जनता का विश्वास कम हो जाए. चिट्ठी में कहा गया है कि ये ग्रुप एक रणनीति के तहत काम कर रहा है, जिसमें से एक ये है कि वह अपने राजनीतिक एजेंडे के आधार पर कोर्ट के फैसलों की आलोचना या तारीफ करता है. इसे 'माई वे या हाइवे' दृष्टिकोण के तौर पर जाना जाता है.
अदालतों के फैसलों की मीडिया में आलोचना कर रहा ग्रुप
600 से ज्यादा वकीलों के जरिए लिखी गई चिट्ठी में कहा गया, "कुछ वकीलों के जरिए दिन में राजनेताओं का बचाव किया जा रहा है और फिर रात में मीडिया के जरिए जजों को प्रभावित करने की कोशिश हो रही है. ये बेहद ही परेशान करने वाला है." चिट्ठी में इस बात पर रोशनी डाली गई है कि 'खास ग्रुप' बेंच फिक्सिंग के सिद्धांत को बढ़ावा दे रहा है.
वकीलों का कहना है, "ये देखना बेहद अजीब है कि राजनेता किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं और फिर अदालत में उनका बचाव करते हैं. अगर अदालत का फैसला उनके मन-मुताबिक नहीं होता है तो वे तुरंत कोर्ट के अंदर और मीडिया के जरिए अदालत की आलोचना करते हैं."
सुप्रीम कोर्ट से कदम उठाने की हुई मांग
सीजेआई को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि चुनाव के समय में ग्रुप के जरिए सबसे ज्यादा रणनीतियां लगाई जा रही हैं. ऐसा ही 2018-2019 में भी देखने को मिला था. बार एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट से न्यायपालिका की अखंडता बनाए रखने के लिए इन हमलों के खिलाफ कदम उठाने की गुजारिश की है. चिट्ठी में न्यायपालिका के समर्थन में एकजुट रुख अपनाने का आह्वान किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह लोकतंत्र का एक मजबूत स्तंभ बना रहे.
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