कश्मीर में हरमुख गंगबल की यात्रा शुरू,सोमवार को 30 यात्रियों का जत्था हुआ रवाना
हरमुख को कश्मीरी पंडित-कश्मीर के कैलाश के नाम से जानते हैं और अपने पुरखों के पिंडदान और श्राद्ध के लिए यहां आते हैं.
श्रीनगरः कोरोना संक्रमण के बीच कश्मीर के कैलाश कहे जाने वाले हरमुख-गंगबल की 2020 की यात्रा शुरू हो गयी. मध्य कश्मीर के गंदेरबल में 16832 फीट की ऊंचाई पर बने भगवान शिव के वास माने जाने वाली हरमुख पहाड़ी पर बनी प्राकृतिक झील तक की 36 किलोमीटर की यात्रा तीन दिन में पूरी हो जाएगी.
लेकिन इस बार कोरोना प्रोटोकॉल के चलते यात्रा में शामिल होने वाले भक्तों की संख्या कम कर दी गयी है. कोरोना संक्रमण के चलते इस साल सभी धार्मिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गयी थी और वार्षिक अमरनाथ यात्रा भी नहीं हो सकी थी. लेकिन अभी अनलॉक के चलते दिए गए एसओपी के बाद यात्रा शुरू हो सकी है.
सोमवार को हुई औपचारिक शुरुआत हरमुख यात्रा का संचालन करने वाले हरमुख गंगे ट्रस्ट के अनुसार यात्रा की शुरुआत में सोमवार सुबह नारारंग स्थित मंदिर में पूजा हुई जिस के साथ ही यात्रा की औपचारिक शुरुआत हो गई. पूजा में पवित्र छड़ी मुबारक की पूजा हुई. नारारंग मंदिर का 8वीं शताब्ली में राजा ललितादित्य मुख्तापिदा के राज में निर्माण किया गया था.
यात्रा में 30 यात्रियों का एक जत्था इस बार यात्रा में 30 यात्रियों का एक जत्था है जिसके साथ सुरक्षा के लिए सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों की टीम भी रखी गयी है जब कि जिला प्रशासन ने भी स्वास्थ्य और अन्य सुविधाएं भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाई हैं. यात्रा में शामिल लोग अगले तीन दिन तक पैदल यात्रा कर 14 हज़ार 500 फीट ऊंचाई पर हिमालय की हरमुख पहाड़ी श्रृंखला में बनी हरमुख गंगा पर शिव आराधना करेंगे.
कश्मीर का कैलाश है हरमुख हरमुख को कश्मीरी पंडित-कश्मीर के कैलाश के नाम से जानते हैं और अपने पुरखों के पिंडदान और श्राद्ध के लिए यहां आते हैं. इस साल यह पूजा 26 अगस्त को गंगा अष्टमी के दिन होगी.
2009 से दोबारा शुरू हुई थी यात्रा कई दशकों तक बंद रहने के बाद एक कश्मीरी पंडित संगठन एपीएमसीसी ने जून 2009 में यह यात्रा दोबारा शुरू की थी और तब से लगातार हर साल यात्रा के लिए नियत्रित संख्या में तीर्थ यात्री यहां पूजा के लिए आते हैं.
कश्मीरी पंडितो के लिए यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जिस तरह बाकी देश में लोग काशी में गंगा पर जाकर अपने मृत परिजनों का श्राद्ध और पिंडदान करते हैं वैसे ही कश्मीरी पंडित हरमुख गंगे में यह पूजा करते आये है.