एक्सप्लोरर

हर्ष फायरिंग और यूपी-बिहार में जाती जानें, क्यों नहीं हो रहा है इस पर कंट्रोल?

शादियों और समारोहों में गोलियां चलाने पर पटना हाई कोर्ट ने रोक लगाया है. इसके बावजूद राज्य में इस साल अब तक शादियों और समारोहों में जश्न में हुई गोलीबारी में कम से कम 25 लोग मारे गए हैं.

बिहार के जमुई जिले के मिरचा गांव में 29 मई की रात सोनम की शादी होने वाली थी. सोनम एक मुखिया की बेटी थी, मुखिया पिता ने बेटी की शादी के लिए तमाम तरह की तैयारियां की थी. दुल्हन के लिबास में सोनम अपने सबसे खूबसूरत दिन के सपने देख रही थी, लेकिन नशे में धुत एक व्यक्ति ने गोली चलाई. गोली सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे बीए प्रथम वर्ष के छात्र को लगी और मौके पर ही उसकी मौत हो गई. गोली सोनम को भी लगी और उसकी भी मौत हो गई.  

विडंबना यह है कि सोनम अकेले बिहार में हर्ष फायरिंग का शिकार नहीं हुई. राज्य भर में शादी समारोहों में जश्न के दौरान गोलीबारी से इस साल अब तक बच्चों और महिलाओं सहित कम से कम 25 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हुए हैं. 

यूपी-बिहार में शादी समारोहों के दौरान हर्ष फायरिंग के बढ़ते चलन के बीच लोगों के मरने का सिलसिला जारी है. ऐसी ही एक घटना शुक्रवार देर रात भोजपुर जिले के संदेश थाना क्षेत्र के चेता टोला गांव में हुई. यहां पर एक शादी समारोह में डांस देखने के दौरान हर्ष फायरिंग में 27 वर्षीय युवक को गोली लग गई. हादसे के बाद आनन-फानन में घायल को मौके से सदर अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टर ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया. शव का पोस्टमार्टम सदर अस्पताल में कराया गया. 

मृतक दिनेश कुमार को फायरिंग के दौरान सीने में गोली लगी थी. यहां शादी समारोह में आए लोगों ने फायरिंग के आरोपी युवक को पकड़ लिया और उसकी जमकर पिटाई कर दी. घटना की सूचना मिलते ही संदेश थानाध्यक्ष अवधेश कुमार मौके पर पहुंचे और चंडी थाना क्षेत्र के रामपुर गांव निवासी आरोपी बबलू को हिरासत में ले लिया. पुलिस ने मौके से एक कियोस्क भी बरामद किया है. 

4 जून शुक्रवार को यूपी के मझगवां थाना क्षेत्र के नौरंगा गांव से भी हर्ष फायरिंग की घटना सामने आई. कुआं पूजन के दौरान हुई हर्ष फायरिंग में युवक और 6 वर्षीय पुत्र घायल हो गया. दोनों को निजी अस्पताल से मेडिकल कॉलेज झांसी रेफर कर दिया गया. 

हर्ष फायरिंग और यूपी-बिहार में जाती जानें, क्यों नहीं हो रहा है इस पर कंट्रोल?

हर्ष फायरिंग में लगे धारा 302

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की एक अदालत ने आदेश दिया कि हर्ष फायरिंग के हर मामले की जांच की जाए, भले ही पुलिस में मामला दर्ज किया गया हो या नहीं. न्यायमूर्ति एसके सक्सेना ने चेतावनी देते हुए कहा, "इस प्रवृत्ति को बढ़ाने पर रोक लगाई जानी चाहिए. न्यायमूर्ति एसके सक्सेना ने कहा था कि आज भी कुछ परिवार अपने यहां होने वाली शादियों में बिना हथियार के जश्न मनाते हैं. 

दूसरी तरफ भीड़ का बेकाबू होकर हथियारों का इस्तेमाल करने की घटनाओं ने बिहार पुलिस पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. अभी तक बिहार पुलिस ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. इससे भी बुरी बात यह है कि ये घटनाएं पटना हाई कोर्ट के उस आदेश के बावजूद हुई हैं, जिसमें जश्न के दौरान गोलीबारी को रोकने को कहा गया था.


हर्ष फायरिंग और यूपी-बिहार में जाती जानें, क्यों नहीं हो रहा है इस पर कंट्रोल?

पिछले साल 23 जून को पटना हाई कोर्ट ने ये बताया था कि बिहार के 38 जिलों में से कम से कम 25 जिलों में हर्ष फायरिंग की वजह से मौत या घायल होने के मामले सामने आए. राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में ऐसे 66 मामलों की एक लिस्ट भी पेश की. 

शस्त्र (संशोधन) अधिनियम 2019  इस तरह की गोलीबारी पर रोक लगाता है

शस्त्र (संशोधन) अधिनियम 2019 के मुताबिक इस तरह की किसी भी गोलीबारी पर रोक लगाई गई है. कानून सार्वजनिक समारोहों, धार्मिक स्थलों, शादियों या किसी भी फंक्शन में गोला-बारूद या आग्नेयास्त्रों के इस्तेमाल को पूरी तरह रोकता है. इस कानून के तहत ऐसा करने वालों को दो साल तक की कैद या एक लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ता है. 

फिर इस प्रथा पर रोक क्यों नहीं ?

प्रथा पर रोक लगाने के बाद भी हर्ष फायरिंग की घटनाओं का जारी रहना स्थानीय पुलिस पर सीधा सवाल करता है. स्थानीय पुलिस की लापरवाही की वजह से शादियों में बंदूक और गोलियां चलाई जाती है. पुलिस इस मामले पर उदासीनता का रवैया अपनाती है. शादियों में लोग गोली चला कर अपना रुतबा दिखाना चाहते हैं. 

बंदूक रखना शक्ति का प्रतीक माना जाता है. खासतौर से छोटे शहरों में जहां पर भारी पितृसत्तात्मक सोच हावी है, ऐसी सभी जगहों पर बड़ी जाति के लोग (पुरुष) खुलेआम गन लेकर घूमते हैं.

मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक बंदूक रखने की इच्छा पुरुषों में आत्मविश्वास की कमी से उपजी है. बंदूक रखकर पुरुष सशक्त महसूस करते हैं .उन्हें लगता है कि चीजें उनके अधिकार या नियंत्रण में हैं. 

बिहार पुलिस शादियों में गोलीबारियों को लेकर बेहद ही लापरवाही दिखाती है. डीजीपी राजविंदर सिंह भट्टी के नेतृत्व में इस दिशा में कोशिश भी की जा चुकी है, लेकिन इसके नतीजे निराश करने वाले ही मिले हैं. लोग लाइसेंसी गन का कानून होते हुए भी बिना लाइसेंस के गन रखते हैं, और धड़ल्ले से इस्तेमाल भी करते हैं.

बंदूकों के लिए लाइसेंस प्राप्त करना कितना आसान है?

भारत सरकार की आधिकारिक पुलिस वेबसाइट के मुताबिक हथियार लाइसेंस लेने के लिए वेबसाइट पर मौजूद एक आवेदन (फॉर्म ए) को भरना पड़ता है. इसे पांच रुपये की अदालत शुल्क मुहर के साथ जिला पुलिस कार्यालय में जमा करना होता है. फॉर्म के साथ राशन कार्ड की एक प्रति, आयकर रिटर्न के 3 साल के विवरण और दो चरित्र प्रमाण पत्र भी जमा करना होता है.

देश में स्पष्ट रूप से कड़े बंदूक स्वामित्व कानून हैं. सरकार तीन धाराओं के तहत लाइसेंस जारी करती है: फसल संरक्षण, आत्मरक्षा और खेल. हाल ही में पेश किए गए नए नियमों के अनुसार बंदूक खरीदते समय मालिक को बंदूक-प्रशिक्षण भी दिखाना पड़ता है. पूरी पूरी प्रक्रिया में कानूनी रूप से हफ्तों यहां तक कि महीने का वक्त लग जाता है. इसलिए कई लोगों ने अवैध रूप से बंदूक रख लेते हैं.

2014 में भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने के मुताबिक गोली लगने से 3,655 मौतें हुई थीं. इनमें से केवल 14 प्रतिशत मौतों के लिए लाइसेंसी बंदूकों को जिम्मेदार ठहराया गया था. एनसीआरबी के अनुसार, 2015 में 85 प्रतिशत बंदूक बिना लाइसेंस के थे, जिससे अपराध किया गया. 

तो क्या बंदूकें आसानी से बाजार में मिल जाती हैं?

2015 में इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 12 जिलों में 25,000 से ज्यादा बंदूकें मिली थी. ये सभी अवैध रूप से जब्त की गई बंदूकें थी. रिपोर्ट के मुताबिक 'दिल्ली के बाहरी इलाके में स्थित गाजियाबाद में गोली लगने से 2,716 मौतें ,जबकि मेरठ में 2,415 मौत के साथ दूसरे स्थान पर था. 2015 में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अवैध विनिर्माण इकाइयों के मामले में एटा में सबसे ज्यादा 18, गाजियाबाद में 17 और शामली में 16 इकाइयों का भंडाफोड़ किया गया.

जश्न, आतिशबाजी और अब गोलीबारी...

देश की राजधानी दिल्ली में एक न्यायाधीश ने साल 2015 में अपने दोस्त की शादी के दौरान राइफल से गोली चलाने वाले एक व्यक्ति को 25 महीने जेल की सजा सुनाते हुए कहा, 'बारात के दौरान बंदूकों और पिस्तौल से गोलीबारी करना एक तरह का फैशन बन गया है. न्यायाधीश मनोज जैन ने कहा, 'अब समय आ गया है कि सरकार हथियार लाइसेंस देने की प्रक्रिया को कड़ा करे. सरकार इन लाइसेंस का दुरुपयोग न करने को लेकर भी एक मजबूत तंत्र विकसित करे'


हर्ष फायरिंग और यूपी-बिहार में जाती जानें, क्यों नहीं हो रहा है इस पर कंट्रोल?

जश्न मनाने के दौरान गोलीबारी एक तरह से मर्दानगी और स्टेटस का प्रदर्शन है. आतिशबाजी भी का एक विकल्प है, और यह उत्तर भारत तक ही सीमित नहीं है. यह अफगानिस्तान और मध्य पूर्व, बाल्कन और अन्य जगहों के कुछ हिस्सों में भी आम है. आमतौर पर बंदूकें हवा में दागी जाती हैं. हवा में चलाई गई गोलियां किसी को भी लग जाती है. 

 

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Delhi Railway Station Stampede: एक दौर था, जब हादसा होते ही रेल मंत्री दे देते थे इस्तीफा! नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ पर क्या बोले इमरान प्रतापगढ़ी?
एक दौर था, जब हादसा होते ही रेल मंत्री दे देते थे इस्तीफा! नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ पर क्या बोले इमरान प्रतापगढ़ी?
'कुंभ में जाकर चुपके से डुबकी लगाई', सपा चीफ अखिलेश यादव पर जमकर बरसे योगी के मंत्री
'कुंभ में जाकर चुपके से डुबकी लगाई', सपा चीफ अखिलेश यादव पर जमकर बरसे योगी के मंत्री
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनी इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर छापे खूब नोट, अब ओटीटी पर यहां हो रहीं स्ट्रीम
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनीं ये हिट फिल्में, OTT पर देखें
SME IPO News: शेयर मार्केट के लिए खास है आने वाला सप्ताह, खुलने जा रह हैं 2 बड़े SME IPO
शेयर मार्केट के लिए खास है आने वाला सप्ताह, खुलने जा रह हैं 2 बड़े SME IPO
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

USA में Health Aid को लेकर क्यों हो रही है Problems? | Health LiveNew Delhi Railway Station Stampede: स्टेशन पर भगदड़ का कसूरवार कौन? कैसे मची भगदड़? | ABP NEWSNew Delhi Railway Station Stampede: फेल क्राउड मैनेजमेंट...प्लेटफॉर्म बदलने का अनाउंसमेंट? | ABP NEWSNew Delhi Railway Station Stampede: पिछले हादसों से क्यों सबक नहीं लेता रेल मंत्रालय? | Breaking | ABP NEWS

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Delhi Railway Station Stampede: एक दौर था, जब हादसा होते ही रेल मंत्री दे देते थे इस्तीफा! नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ पर क्या बोले इमरान प्रतापगढ़ी?
एक दौर था, जब हादसा होते ही रेल मंत्री दे देते थे इस्तीफा! नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ पर क्या बोले इमरान प्रतापगढ़ी?
'कुंभ में जाकर चुपके से डुबकी लगाई', सपा चीफ अखिलेश यादव पर जमकर बरसे योगी के मंत्री
'कुंभ में जाकर चुपके से डुबकी लगाई', सपा चीफ अखिलेश यादव पर जमकर बरसे योगी के मंत्री
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनी इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर छापे खूब नोट, अब ओटीटी पर यहां हो रहीं स्ट्रीम
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनीं ये हिट फिल्में, OTT पर देखें
SME IPO News: शेयर मार्केट के लिए खास है आने वाला सप्ताह, खुलने जा रह हैं 2 बड़े SME IPO
शेयर मार्केट के लिए खास है आने वाला सप्ताह, खुलने जा रह हैं 2 बड़े SME IPO
बीता हफ्ता मुहब्बत वाला, इश्क के दुश्मनों वाले दिन आए रे भइया...खुद देख लें पूरी लिस्ट
बीता हफ्ता मुहब्बत वाला, इश्क के दुश्मनों वाले दिन आए रे भइया...खुद देख लें लिस्ट
IPL 2025 LSG Schedule: 24 मार्च को दिल्ली कैपिटल्स से लखनऊ सुपर जायंट्स का पहला मैच, जानें LSG का फुल शेड्यूल
24 मार्च को दिल्ली कैपिटल्स से लखनऊ सुपर जायंट्स का पहला मैच, जानें LSG का फुल शेड्यूल
Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर क्यों करते हैं पंचक्रोशी परिक्रमा? श्रीराम ने की थी शुरूआत
महाशिवरात्रि पर क्यों करते हैं पंचक्रोशी परिक्रमा? श्रीराम ने की थी शुरूआत
कोई हिंदू लड़की अगर मुस्लिम से शादी कर ले तो क्या होगा, पिता की प्रॉपर्टी में मिलेगा हिस्सा?
कोई हिंदू लड़की अगर मुस्लिम से शादी कर ले तो क्या होगा, पिता की प्रॉपर्टी में मिलेगा हिस्सा?
Embed widget

We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking "Allow All Cookies", you agree to our use of cookies.