Maha Kumbh 2025: महाकुंभ की सबसे सुंदर साध्वी हर्षा रिछारिया, ग्लैमरस फोटोज पर ट्रोल हुईं तो बोलीं- 'दिक्कत क्या है, मैं अब भी...'
Sadhvi Harsha: महाकुंभ 2025 में साध्वी हर्षा रिछारिया ने संगम में स्नान किया और सोशल मीडिया पर हो रही ट्रोलिंग का जवाब देते हुए अपने अतीत और भक्ति के रास्ते पर चलने के फैसले को स्पष्ट किया.
Prayagraj Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 में पूरे देश और दुनिया से लाखों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे हैं. इस दौरान निरंजनी अखाड़े की साध्वी हर्षा रिछारिया ने भी स्नान किया और अपनी इस यात्रा के बारे में लोगों से शेयर किया. हर्षा जी का कहना था कि गंगा-संगम में स्नान करना एक अत्यधिक महत्वपूर्ण अनुभव है जो हर हिंदुस्तानी के लिए खास महत्व रखता है. उन्होंने कहा "ये स्नान हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है और मुझे इस अवसर का लाभ मिलने पर गर्व महसूस हो रहा है."
हाल ही में साध्वी हर्षा रिछारिया को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया था खासतौर पर उनकी पुरानी तस्वीरों को लेकर. ट्रोलर्स ने उनकी पहले की लाइफस्टाइल पर सवाल उठाए, लेकिन हर्षा ने इस पर स्पष्ट किया कि उनका अतीत उनका हिस्सा था और उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि वे हमेशा से साध्वी रही हैं. वो अभी भी साध्वी नहीं हैं. उन्होंने कहा "मैं पहले भी एक एंटरटेनर थी, लेकिन अब मैंने अपने जीवन के इस नए रास्ते को चुना है और मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगता."
हर्षा ने पुरानी तस्वीरें डिलीट न करने का किया खुलासा
हर्षा ने आगे बताया कि भक्ति और ग्लैमर में कोई विरोधाभास नहीं है. उन्होंने अपनी पुरानी तस्वीरों के बारे में भी स्पष्ट किया कि अगर वह चाहती तो उन्हें डिलीट कर सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उनका कहना है कि "यह मेरी यात्रा है और मैं युवाओं को बताना चाहती हूं कि किसी भी मार्ग से आप भगवान की ओर बढ़ सकते हैं."
उन्होंने बताया कि वे परम पूज्य गुरुदेव से डेढ़ साल पहले मिली थीं, जिन्होंने उन्हें बताया कि भक्ति के साथ-साथ अपने काम को भी संभाला जा सकता है, लेकिन साध्वी बनने के बाद उन्होंने खुद से फैसला लिया कि वे अपने पेशेवर जीवन को छोड़कर पूरी तरह से भक्ति में लीन रहेंगी. उनका मानना है कि इस फैसले से वह पूरी तरह खुश हैं और उनका मार्गदर्शन उन्हें संतुष्टि देता है.
सनातन धर्म पर क्या बोल गई साध्वी?
साध्वी ने महाकुंभ 2025 को एक दिव्य अवसर के रूप में देखा और कहा कि इस आयोजन का हिस्सा बनना किसी भी साधक के लिए बहुत गर्व की बात है. उन्होंने सनातन धर्म की महिमा का जिक्र करते हुए कहा "हमें अपनी संस्कृति और धर्म से जुड़ा रहना बहुत जरूरी है. सनातन धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है और इससे जुड़ना हमारी आत्मा को शांति देता है."
महाकुंभ में किन्नर अखाड़े की भी भागीदारी थी. उनके महामंडलेश्वर ने बताया कि वे जूना अखाड़े से जुड़े हुए हैं और अब महाकुंभ में अमृत स्नान के लिए जा रहे हैं. उनका मानना है कि किन्नर समाज को समाज में सम्मान मिलना चाहिए और ये उन्हें इस यात्रा के दौरान महसूस हुआ है. महाकुंभ में किन्नर समाज की उपस्थिति को एक ऐतिहासिक पल माना जा रहा है जो उनके संघर्ष और समर्पण की कहानी है.