आधुनिक इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण: दस लाख साल पुरानी चट्टानों के भीतर से बनी है ये सुरंग
गुड़गांव के सोहना इलाक़े में कम से कम दस लाख साल पुरानी चट्टानों के भीतर से बनाई गई 1 किलोमीटर लम्बी सुरंग आधुनिक इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण है.
नई दिल्ली: भारतीय रेल के खाते में एक और विश्व कीर्तिमान जुड़ गया है. शुक्रवार को हरियाणा के सोहना के पास अरावली हिल्स के भीतर से होकर गुज़रने वाली 1 किलोमीटर लम्बी रेल टनल में एक आख़री विस्फोट किया गया जिसके साथ ही ये टनल दोनों ओर से खुल गई. ये टनल विश्व की पहली ऐसी टनल है जिसमें मालगाड़ियों के लिए दोहरी इलेक्ट्रिफ़ाइड रेल लाईन बिछाई जा रही है. इस टनल में डबल डेकर माल गाड़ियां 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल दौड़ेंगी. ये टनल वेस्टर्न डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर का हिस्सा है.
दस लाख साल पुरानी चट्टानों के भीतर से बनी है
डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर के जीएम ऑपरेशंस वेद प्रकाश ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि गुड़गांव के सोहना इलाक़े में कम से कम दस लाख साल पुरानी चट्टानों के भीतर से बनाई गई 1 किलोमीटर लम्बी सुरंग आधुनिक इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण है. ये सुरंग इतनी चौड़ी है कि इसमें दो मालगाड़ी एक साथ 100 किलोमीटर की रफ़्तार से दौड़ सकती हैं. ये सुरंग इतनी ऊंची है कि ऊपर ओवरहेड इलेक्ट्रिक इक्यूपमेंट लगे होने के बावजूद इसमें डबल डेकर फ़्रेट ट्रेन रेक चल सकेंगे.
क्या है डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर
अभी देश में माल गाड़ियां भी उन्हीं पटरियों पर चलाई जाती हैं जिन पर यात्री गाड़ियां चलती हैं. इससे रेल पटरियों के नेटवर्क पर लोड ज़्यादा पड़ता है, कंजेशन के कारण यात्री ट्रेनें लेट होती हैं. इसीलिए अब सिर्फ़ माल गाड़ियों के लिए अलग से डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर बनाया जा रहा है. इसके लिए डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन की स्थापना की गई है जो भारतीय रेलवे का ही एक अभिन्न अंग है.
कहां से कहां तक बनेगा
देश में दो डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर बन रहे हैं. दोनों को नोएडा के दादरी में लिंक किया जाएगा. एक का नाम है वेस्टर्न डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर जो नोएडा के दादरी से गुड़गांव और गुजरात होते हुए मुंबई तक जाएगा. दूसरे का नाम है ईस्टर्न डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर जो पंजाब के लुधियाना से दादरी होते हुए कोलकाता तक जाएगा.
कब तक बनकर तैयार होगा
डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर एमडी अनुराग सचान ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि ईस्टर्न और वेस्टर्न दोनों डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर जून 2022 पूरे हो जाएंगे. फ़िलहाल दोनों रेल कॉरिडोर के सभी हिस्सों में एक साथ काम चल रहा है. दोनों के कुछ हिस्से पूरी तरह बन कर तैयार हो चुके हैं जिनमें स्थानीय माल गाड़ियों को ट्रायल बेसिस पे चलाया जा रहा है. अब तक 1600 लोडेड माल गाड़ियों को इन पर चलाया जा चुका है. यानी इनके दो हिस्सों पर व्यवसाय शुरू हो चुका है.
आम यात्रियों को क्या लाभ होगा
डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर बन जाने से यात्री रेल लाइनों की सभी माल गाड़ियां डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर से चलने लगेंगी जिससे यात्री गाड़ियों के लिए क़रीब 50% पटरियां ख़ाली हो जाएंगी. इससे यात्री गाड़ियों की स्पीड को मौजूदा क़रीब 90 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड को 130-160 तक करना आसान हो जाएगा. इससे आने वाले समय में भारतीय रेल से वेटिंग लिस्ट का सिस्टम ख़त्म हो सकेगा और हर यात्री को टिकट लेते समय ही कन्फ़र्म टिकट मिल सकेगा.