हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: हरियाणा की राजनीति में महिलाओं को कोई बड़ी जगह नहीं मिल पाई है. हालांकि मुश्किल हालात के बावजूद किरण चौधरी राज्य में वो महिला चेहरा है जो अपनी खास जगह बनाए हुए है. विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में किरण चौधरी की पकड़ कमजोर हुई है, क्योंकि विधानसभा में उनके स्थान पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पार्टी ने नेता विपक्ष बना दिया है. दिल्ली से राजनीति में कदम रखने वाली किरण चौधरी हरियाणा में बंसीलाल की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं.
किरण चौधरी का जन्म जून 1955 में नई दिल्ली में हुआ था. किरण चौधरी की शादी हरियाणा के पूर्व सीएम बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह से हुई. हालांकि किरण चौधरी ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत दिल्ली से की. 1998 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में किरण चौधरी जीत दर्ज करने में कामयाब रहीं और उन्हें विधानसभा में डिप्टी स्पीकर चुना गया. 2005 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद सुरेंद्र सिंह का विमान हादसे में निधन हो गया. सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद कुछ वक्त बाद ही पूर्व सीएम बंसीलाल भी दुनिया में नहीं रहे.
मुश्किल हालात में हुई हरियाणा की राजनीति में एंट्री
इन दोनों के निधन के बाद बंसीलाल परिवार की पूरी राजनीतिक विरासत को किरण चौधरी ने संभाला. 2005 में ही किरण चौधरी सुरेंद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र तोशाम से एमएलए चुनी गई. किरण चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में मंत्री रहीं. हालांकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में किरण चौधरी के मंत्रालय कई बार बदले गए. 2014 में किरण चौधरी को विधानसभा में कांग्रेस का नेता बनाया गया.
लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले किरण चौधरी का कांग्रेस ने बड़ा झटके देते हुए उनके हाथों से नेता विपक्ष का पद लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को दे दिया. लोकसभा चुनाव में भी किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से हार का सामना करना पड़ा. श्रुति 2009 में इस सीट से सांसद चुनी गई थीं. 2019 के विधानसभा चुनाव में किरण चौधरी एक बार फिर बंसीलाल की विरासत बचाने के लिए मैदान में उतरेंगी.
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