Haryana Election Results: भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगा कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है, इस जीत का श्रेय मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)के पुरजोर प्रयासों को जा रहा है क्योंकि यह जीत पार्टी के लिए एक चेंजिंग फेज के बाद आया है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पांच लोकसभा सीटें हार गई और पार्टी को वोटरों के समर्थन में भी गिरावट का सामना करना पड़ा. वहीं, 2020-2021 के किसान आंदोलन के दौरान भाजपा की लोकप्रियता में गिरावट आई, जिससे जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं में नाराजगी बढ़ गई.


दरअसल,अगस्त में आरएसएस के एक इंटरनल सर्वे से पता चला कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार अपनी जमीन खो रही थी, जिससे नेतृत्व और रणनीति में बदलाव की मांग की गई. भाजपा ने ग्रामीण वोटरों के साथ विश्वास को फिर से बनाने और अपनी जमीनी ताकत को एक्टिव करने के लिए आरएसएस से सहायता मांगी.


बीजेपी ने मांगी आरएसएस से मदद


29 जुलाई को नई दिल्ली में एक बड़ी बैठक में आरएसएस के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार, हरियाणा भाजपा प्रमुख मोहनलाल बारडोली और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सहित कई प्रमुख हस्तियों ने एक साथ बैठकर चर्चा की. चर्चा जमीनी स्तर पर पार्टी की भागीदारी को फिर से बढ़ाने पर केंद्रित थी. उम्मीदवार चयन, ग्रामीण मतदाताओं के साथ संबंध सुधारने, लाभार्थी योजनाओं को बढ़ावा देने, पार्टी वर्कर और उम्मीदवारों के बीच समन्वय स्थापित करने के बारे में बड़े निर्णय लिए गए.


फिर आरएसएस ने शुरू किया अपना मिशन


सितंबर की शुरुआत में,आरएसएस ने ग्रामीण मतदाता संपर्क कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें प्रत्येक जिले में कम से कम 150 स्वयंसेवकों को तैनात किया गया. इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों के साथ संबंधों को मजबूत करना और भाजपा सरकार के खिलाफ बढ़ती सत्ता विरोधी भावना को कमजोर करना था. वहीं, संपर्क कार्यक्रम में लोकल पार्टी वर्कर और नेताओं को एक्टिव करने, नेगेटिव पर्सेप्शन्स को भाजपा के लिए पॉजिटिव परसेप्शन में बदलने पर जोर दिया गया.


आरएसएस ने सत्ता विरोधी लहर को कैसे किया दूर?


इस चुनाव में आरएसएस का मैनेजमेंट प्लान काम कर गया. दरअसल, आरएसएस द्वारा स्वयंसेवकों को चौपालों के माध्यम से डिवीजन वर्कर और स्थानीय पंचायत स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया गया ताकि वोटरों तक पहुंचा जा सके. 1 से 9 सितंबर के बीच, आरएसएस ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में लगभग 90 बैठकें और पार्टी कार्यकर्ताओं और ग्रामीण मतदाताओं के साथ लगभग 200 बैठकें कीं, जिसका उद्देश्य पार्टी की एकता और रणनीति को मजबूत करना था.


आरएसएस के बड़े अधिकारियों ने इस बात को माना की जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच नराजगी के कीरण पिछले चुनावों में भाजपा के प्रदर्शन खराब रहे. आरएसएस  की पहलों ने न केवल पार्टी को एकजुट करने में मदद की, बल्कि जाटों और दलितों के बीच ध्रुवीकरण को भी कम किया,जो वोटरों का समर्थन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है. अब हरियाणा में भाजपा ने 48 सीटें जीतकर ऐतिहासिक तीसरी बार सत्ता हासिल की है, जिसमें आरएसएस ने भाजपा के लोकल सपोर्ट को फिर से अपने पाले में लाने के लिए अहम भूमिका निभाई है.


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