चंडीगढ़: हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन को लेकर लोगों में जबरदस्त गुस्सा है. जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला पर सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का दबाव भी है. इस बीच विपक्षी पार्टी कांग्रेस आज सदन खट्टर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ रही है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या हरियाणा में खट्टर सरकार गिर जाएगी? हम यहां आपको बताते हैं इस वक्त विधानसभा में विधायकों का गणित क्या है.


हरियाणा विधानसभा में 90 सीटें हैं, हालांकि वर्तमान में विधानसभा में 88 सदस्य हैं. लेकिन गठबंधन सरकार के लिए बहुमत का आंकड़ा 45 ही है. इनमें से बीजेपी के पास अपने 40 विधायक हैं. जेजेपी के 10 और कांग्रेस के 30 सदस्य हैं. बीजेपी ने जेजेपी और कुछ निर्दलियों विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई है. सात निर्दलियों में से पांच सरकार को समर्थन दे रहे हैं. इसके अलावा एक सदस्य हरियाणा लोकहित पार्टी का है और वह भी सरकार के समर्थन में है.


किसान आंदोलन के चलते जेजेपी के दुष्यंत चौटाला पर लगातार दबाव बढ़ रहा है. अगर जेजेपी अपना समर्थन वापस भी ले लेती है तो भी राज्य में बीजेपी सरकार बनी रह सकती है. क्योंकि बीजेपी का दावा है कि उसके पास पांच और निर्दलीय का भी समर्थन है. हालांकि असल में कौन खट्टर सरकार के साथ और कौन नहीं. ये तो अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग के दौरान ही पता चलेगा.


JJP पर बीजेपी का साथ छोड़ने का दबाव
जननायक जनता पार्टी के विधायक देवेंद्र बबली ने राज्‍य के उपमुख्‍यमंत्री और जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला से पूरी पार्टी समेत खट्टर सरकार से अलग हो जाने की मांग की है. जेजेपी विधायक देवेंद्र बबली ने कहा, "अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरकार के पक्ष में वोट करना मेरी मजबूरी है. लेकिन हालात को देखते हुए खट्टर सरकार से अलग हो जाना चाहिए. इस समय हालात ऐसे हैं कि हम कहीं जा नहीं सकते, क्‍योंकि लोग हमें डंडों से मारेंगे."


वहीं अविश्वास प्रस्ताव के मद्देनजर हरियाणा में पक्ष और विपक्ष दोनों ने अपने-अपने सदस्यों को सदन में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है. हरियाणा सरकार के मंत्री और बीजेपी के मुख्य सचेतक कंवर पाल ने कहा, 'हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भारतीय जनता विधायक दल के सभी सदस्यों से 10 मार्च को सदन में लगातार उपस्थित रहने का अनुरोध किया जाता है.'


व्हिप जारी करते हुए उन्होंने कहा, 'नेतृत्व की अनुमति के बिना वह सदन से बाहर न जाएं. चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा होगी. सदस्यों से अनुरोध है कि वे मतविभाजन और मतदान के समय उपस्थित रहें.'


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