ऐसे हुआ हरियाणा कांग्रेस का फैसला, भूपेंद्र हुड्डा की एक मांग हुई पूरी, एक रही अधूरी
हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधायक दल के नेता के साथ चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. इस तरह उनकी एक मांग तो कांग्रेस प्रबंधन ने पूरी कर दी लेकिन प्रदेश अध्यक्ष की कमान कुमारी शैलजा के हाथ में दे दी है.
नई दिल्लीः कांग्रेस ने आख़िरकार हरियाणा का फैसला कर ही दिया. पूर्व मंत्री, कुमारी शैलजा को हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा को विधायक दल के नेता के साथ इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी की जिम्मेदारी भी दी गयी है. दरअसल ये पूरी कहानी शुरू होती है लोकसभा चुनाव से पहले जब गुलाम नबी आज़ाद ने भूपेन्द्र हुड्डा और दीपेन्द्र हुड्डा दोनों को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा था, इसके पीछे तर्क ये था कि हुड्डा परिवार के दोनों सदस्य जीत जाएंगे और प्रभारी गुलाम नबी आज़ाद उन्हें विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की कमान सौंप देंगे लेकिन नतीजे इच्छा के मुताबिक़ नही आए और हुड्डा परिवार के दोनों सदस्य चुनाव हार गए.
लोकसभा चुनाव की हार की समीक्षा बैठक में भी गुलाम नबी आज़ाद ने राहुल गांधी के सामने रिपोर्ट रखी थी जिसमें यह बताया गया था कि हरियाणा इस वक़्त जाट-गैर जाट मे बंटा हुआ है तो ऐसे मे हमें किसी जाट नेता को कमान देनी चाहिए. यानी गुलाम नबी आज़ाद का इशारा भूपेन्द्र हुड्डा की तरफ़ था लेकिन राहुल गांधी उस पर राज़ी नही हुए. लेकिन राहुल गांधी के अध्यक्ष रहते भूपेन्द्र हुड्डा ने 4 अगस्त को रोहतक मे कार्यकर्ता मीटिंग रखी जिसमें ये फ़ैसला किया गया कि 18 अगस्त को रोहतक में ही परिवर्तन रैली होगी जिसमें पार्टी छोड़ने पर भी बात हो सकती है.
और हुआ भी वैसा ही, भूपेन्द्र हुड्डा ने रैली में कहा, कांग्रेस पार्टी रास्ता भटक गयी है और पार्टी अब पहले जैसी नहीं रही लेकिन इन सब के बीच में 10 अगस्त को कांग्रेस का कार्यभार सोनिया गांधी ने संभाल लिया था और भूपेन्द्र हुड्डा की कांग्रेस से उम्मीद भी बढ़ गयी. अब हुड्डा की उम्मीद पर पार्टी खरी उतरी है और उन्हें विधायक दल का नेता बना दिया गया जिसके कि भूपेन्द्र हुड्डा टिकट बंटवारे का हिस्सा हो सकें. हालांकि कांग्रेस आलाकमान ने अध्यक्ष बनाने वाली मांग भूपेन्द्र हुड्डा की नहीं मानी.
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