हरियाणाः किसानों ने नए कृषि कानूनों की जलाई प्रतियां, विधायकों-नेताओं के आवास का किया घेराव
सयुंक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज किसानों ने जींद व उचाना में प्रदर्शन किया साथ ही विधायक व सांसद के आवास का घेराव भी किया. उन्होंने तीन नए कृषि कानूनों की प्रतियां फूंक आक्रोश जताया.
हरियाणाः सयुंक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर शनिवार को किसानों ने जींद व उचाना में प्रदर्शन के दौरान विधायक व सांसद के आवास का घेराव किया. साथ ही और तीन नए कृषि कानूनों की प्रतियां फूंक आक्रोश जताया.
पुलिस के सुरक्षा इंतजामों के बीच किसानों ने जींद के बीजेपी विधायक डॉक्टर कृष्ण मिड्ढा व उचाना में संयुक्त बीजेपी सांसद बृजेंद्र सिंह के आवास पर प्रदर्शन किया. जींद में विधायक के आवास पर प्रदर्शन से पूर्व किसान जयंती देवी मंदिर पार्क में एकत्रित हुए और सभा की.
एक साल के अंदर ये अध्यादेश कानून का रूप ले चुके हैं- किसान नेता
इस दौरान किसान नेताओं ने कहा कि पिछले साल पांच जून 2020 को केंद्र की मोदी सरकार ने कृषि अध्यादेश लागू किए थे. उन्होंने कहा कि एक साल के अंदर ये अध्यादेश कानून का रूप ले चुके हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के छह माह हो चुके हैं और 470 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं पर केंद्र सरकार कृषि कानूनों को रद्द करने की किसानों की मांगों को हल करने की बजाय आंदोलन को तोडऩे की साजिशें रच रही है. वहीं, उचाना में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसान बीजेपी सांसद बृजेंद्र सिंह के आवास पर पहुंचे. यहां पर आवास के पास धरना देने के बाद तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां फूंकी.
किसानों का आंदोलन 2024 तक जारी रहेगा- राकेश टिकैत
आपको बता दें, इससे पहले अनाज मंड़ी में जुटी भीड़ को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि उनका प्रदर्शन तबतक जारी रहेगा जबतक कृषि कानून वापस नहीं हो जाते और कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी वाला कानून लागू नहीं हो जाता. उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार को इन काले कानूनों को वापस लेना ही होगा. चाहे वह वर्ष 2022 में ले या 2023 में. वर्ष 2024 में ये कानून वापस हो जाएंगे, यह निश्चित है.’’
टिकैत ने जोर देकर कहा कि किसानों का आंदोलन 2024 तक जारी रहेगा. संयुक्त किसान मोर्चा नेता योगेंद्र यादव ने कृषि कानूनों को कथित रूप से पिछले दरवाजे से लाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की.
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