टोहाना: अपने साथी किसानों की रिहाई की मांग को लेकर शनिवार रात को हरियाणा के फतेहाबाद जिले स्थित टोहाना सदर पुलिस थाना के सामने बड़ी संख्या में किसान धरने पर बैठ गए. ये धरना प्रदर्शन किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी और संयुक्त किसान मोर्चा नेता योगेंद्र यादव के नेतृत्व में हुआ.
किसानों ने स्थानीय जेजेपी विधायक देवेंद्र बबली पर कथित रूप से दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने की मांग की. हालांकि, बाद में बबली ने किसानों के खिलाफ 'अनुचित शब्द' कहने के लिए खेद प्रकट किया. बबली ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप पोस्ट करके कहा कि वह उन लोगों को उन कृत्यों के लिए माफ करते हैं जिन्होंने एक जून को उनके साथ किया. उन्होंने कहा, 'मैंने कुछ शब्द कहे जो उचित नहीं थे. मैं जनप्रतिनिधि हूं, अत: मैं उन सभी शब्दों को वापस लेता हूं और उनके लिए खेद प्रकट करता हूं.'
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, 'विधायक ने कहा है कि वो किसानों के खिलाफ केस वापस ले लेगा, उसने माफी भी मांगी है. पुलिस क्यों नहीं छोड़ रही है और क्या केस लगाना चाहती है. आप हमको भी जेल भेज दो या उनको रिहा करो. किसान यहां से हारकर नहीं जाएगा, या तो जेल जाएगा या वे भी बाहर आएंगे.'
किसानों के दो मुद्दे
सदर पुलिस परिसर में मीडिया से बात करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि दो किसानों को रिहा करने का मामला अब तक नहीं सुलझा है. उन्होंने कहा, 'पुलिस प्रशासन और हमारे बीच हो रही बातचीत में गतिरोध बना हुआ है. हमने दो मुद्दे उठाए हैं, पहला यह कि हम चाहते हैं कि जिन्हें गिरफ्तार किया गया है उन्हें रिहा किया जाना चाहिए और अगर उन्हें रिहा नहीं किया जाता है तो हमें भी सलाखों के पीछे डाल दिया जाए. दूसरा मामला बबली के कथित दुर्व्यवहार का था जो उनके द्वारा किसानों से माफी मांगे जाने के साथ सुलझ गया है."
यादव ने कहा कि बबली ने दोनों किसानों (विकास और रवि आजाद) के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया है, लेकिन सरकार उनके खिलाफ दर्ज मामला वापस लेने को तैयार नहीं है. पुलिस प्रशासन ने हमसे कहा कि किसान इस मुद्दे पर बातचीत के लिए दो दिन बाद आ सकते हैं, लेकिन हम सुनने नहीं आए हैं बल्कि मुद्दे का समाधान करने आए हैं.
'किसानों का आंदोलन 2024 तक जारी रहेगा'
दरअसल, एक जून को जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के विधायक के खिलाफ किसानों के एक समूह ने प्रदर्शन किया था और उनके खिलाफ नारेबाजी करने के साथ-साथ काले झंडे दिखाए थे. बबली ने आरोप लगाया था कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उनकी एसयूवी कार के सामने के शीशे को तोड़ दिया. हालांकि, किसानों का आरोप है कि बबली ने सार्वजनिक रूप से किसानों के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और उन्हें धमकी दी.
इससे पहले अनाज मंड़ी में जुटी भीड़ को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि उनका प्रदर्शन तबतक जारी रहेगा जबतक कृषि कानून वापस नहीं हो जाते और कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी वाला कानून लागू नहीं हो जाता. उन्होंने कहा, 'भारत सरकार को इन काले कानूनों को वापस लेना ही होगा. चाहे वह 2022 में ले या 2023 में. साल 2024 में ये कानून वापस हो जाएंगे, यह निश्चित है.' टिकैत ने जोर देकर कहा कि किसानों का आंदोलन 2024 तक जारी रहेगा.
ये भी पढ़ें-