हरियाणा: प्रदर्शनकारी गेस्ट टीचर्स ने ली शपथ, बीजेपी को वोट नहीं देंगे, पार्टी के नेताओं का बहिष्कार करेंगे
हरियाणा में करीब 14 हजार अतिथि शिक्षक हैं, जो करीब 14 सालों से ड्यूटी कर रहे हैं. अतिथि शिक्षक प्रदीप बतान का कहना है कि उन्हें नियमित शिक्षकों के मुकाबले महज एक-तिहाई वेतन मिलता है.
हरियाणा: चुनावी राज्य हरियाणा में बीजेपी 90 में से 75 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रही है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अपने काम और पीएम मोदी के नाम पर चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं. लेकिन राज्य में धरनारत अतिथि शिक्षक और कम्प्यूटर शिक्षक बीजेपी के रंग में भंग डाल सकते हैं. दरअसल हरियाणा के करनाल में पिछले करीब 20 दिनों से राज्य के अतिथि शिक्षक खुद को नियमित किए जाने और समान काम के लिए समान वेतन दिए जाने की मांग लेकर धरने पर बैठे हुए हैं. कभी जिला स्तर पर स्थानीय विधायकों का पुतला जलाते हैं, जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करते हैं तो कभी सीएम के गृह जिले करनाल में पूरे राज्य के अतिथि शिक्षक एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर धरना देते हैं.
करनाल में बीते 3 हफ़्तों से गेस्ट टीचर्स अपनी मांग पूरी कराने के लिए धरने पर हैं, जबकि एक शिक्षक तो आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं. धरने पर बैठे शिक्षक सालों से अपनी मांग लेकर गुहार लगा रहे हैं. इस दौरान सरकारें बदल गईं, लेकिन इन अतिथि शिक्षकों के हालात नहीं बदले.
साल 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अतिथि शिक्षकों को नियमित करने और समान काम के लिए समान वेतन देने का वादा अपने चुनावी घोषणा पत्र में किया था. लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी अतिथि शिक्षकों को अब तक नियमित नहीं किया गया और न ही अब तक समान काम के लिए समान वेतन दिया गया.
हरियाणा में हैं करीब 14 हज़ार अतिथि शिक्षक हरियाणा में करीब 14 हजार अतिथि शिक्षक हैं, जो करीब 14 सालों से ड्यूटी कर रहे हैं. अतिथि शिक्षक प्रदीप बतान का कहना है कि उन्हें नियमित शिक्षकों के मुकाबले महज एक-तिहाई वेतन मिलता है. उन्होंने कहा, “वेतन के अलावा हमें दूसरी कोई भी सुविधा नहीं मिलती. सरकार जनता के बीच झूठ फैला रही है कि उन्होंने हमारी मांगें पूरी कर ली हैं. इनके परिवार में 7-8 सदस्य हैं, बच्चे बड़े हो गए हैं. उनकी पढ़ाई और शादी का खर्चा ज्यादा है. मां-बाप बूढ़े हो चुके हैं. उनकी दवाई का खर्चा 26000 की सैलरी में उठा पाना नामुमकिन है.”
बीजेपी का यही वादा अब उसके लिए गले की हड्डी बन चुका है. प्रदर्शनरत अतिथि शिक्षक बीजेपी को अब उसका चुनावी वादा याद दिला रहे हैं. शहीद की विधवा मैना यादव जो खुद को नियमित किए जाने के लिए दो-दो बार मुंडन करा चुकी हैं, दिल्ली तक जाकर न जाने कितनी बार प्रदर्शन कर चुकी हैं.
मैना यादव ने सीएम खट्टर पर आरोप लगाया कि बार-बार आश्वासन और वादा करने के बाद भी आज तक अतिथि शिक्षकों के लिए सीएम ने कुछ नहीं किया. उल्टा प्रेस के माध्यम से वो झूठ फैलाते हैं कि उन्होंने हमारी मांगे पूरी कर दी हैं. अब हमने फैसला किया है कि बीजेपी के नेताओं को गांव में नहीं घुसने देंगे और उन्हें चप्पलों की माला पहनाएंगे और सिर्फ अपने परिवार ही नहीं बल्कि दूर-दूर के रिश्तेदारों को भी बीजेपी को वोट न देने के लिए कहेंगे.
अतिथि शिक्षक कम सैलरी से हैं परेशान अतिथि शिक्षक पारस शर्मा कहते हैं कि सैलरी में काम नहीं चल पाता, ब्याज पर उधार लेना पड़ता है. 30 हजार की सैलरी में शहर में रहना, बच्चों को पढ़ाना और दूसरे खर्चे पूरे नहीं हो पाते, जिससे हमेशा तनाव में रहते हैं. तनाव में रहने के बावजूद स्कूलों में सबसे ज्यादा काम हम अतिथि शिक्षक ही करते हैं, जब भी कोई काम आता है तो कहा जाता है कि ये अतिथि शिक्षक को दे दो. हम सारे काम करते हैं, लेकिन उसके बाद भी हमें नियमित शिक्षकों के मुकाबले आधे से भी कम सैलरी मिलती है.
गेस्ट टीचर रेखा शर्मा की बीते दिनों ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी, सरकार की तरफ से उन्हें कोई भी मेडिकल सुविधा नहीं मिली. डॉक्टर ने 3 महीने बेड रेस्ट लेने के लिए कहा था, लेकिन उन्हें 17वें दिन ही ड्यूटी पर आना पड़ा, क्योंकि सरकार ने उन्हें छुट्टी नहीं दी. रेखा शर्मा अपना दर्द बयान करते हुए कहा, “15 दिन की छुट्टी भी बिना सैलरी के मिली थी, ऐसी परिस्थिति में घर चलाना नामुमकिन हो जाता है, सैलरी तो इतनी है कि गुज़ारा करना भारी पड़ जाता है. सर्जरी के लिए 12 लाख रुपए कर्ज लेना पड़ा है. हमारे लिए इतने पैसे कम नहीं होते. हमारा शोषण हो रहा है. मोदी जी विदेश नीति लाने की बात करते हैं, लेकिन यहां तो प्रदेश भीख मांग रहा है. बेटी बचाने की बात करते हैं. मैं भी तो किसी की बेटी हूं.”
इंद्री के सरकारी स्कूल में अतिथि शिक्षक के रूप में सेवाएं दे रहीं नीलम का कहना है कि उन्हें 26 हजार रुपए सैलरी मिलती है, जबकि उन्हें हर दिन यमुना नगर से अप-डाउन करना पड़ता है. इतनी सैलरी में घर चलाना मुश्किल हो जाता है. बच्चों के स्कूल, ट्यूशन की फीस और किताबों का खर्च उठाना मुश्किल हो जाता है. सरकार ने हमसे वादा किया था, लेकिन अभी तक वादा नहीं पूरा किया गया. हमारा शोषण किया जा रहा है. पिछले साल सीएम ने कहा था कि जब तक हमें नियमित नहीं कर दिया जाता तब तक हमें समान काम के लिए समान वेतन दिया जाएगा, लेकिन अभी तक वो वादा पूरा नहीं हुआ.”
19 दिनों से आमरण अनशन पर हैं राजकुमार 19 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे अतिथि शिक्षक राजकुमार ने कहा, “शिक्षा इतनी महंगी हो चुकी है कि बच्चों को पढ़ा नहीं पा रहे हैं. जब पढ़ा नहीं पाएंगे तो उनकी शादी कैसे करेंगे. उनके रहने की व्यवस्था कैसे करेंगे. सीएम हमें सिर्फ एक जगह से दूसरी जगह दौड़ाते हैं और हमारा जीना हराम कर दिया है. हम 150 किलोमीटर दूर जाकर नौकरी करते हैं. सैलरी का आधा हिस्सा तो आने-जाने में खर्च हो जाता है. परिवार में 11 सदस्य हैं और कमाने वाला मैं अकेला, इतने में गुज़ारा नहीं हो पाता. जब तक हमारी मांग पूरी नहीं हो जाती मैं आखिरी सांस तक लड़ाई जारी रखूंगा.”
इसी साल फरवरी में सरकार की तरफ से अतिथि शिक्षकों को 58 साल तक सेवा में रहने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन शिक्षकों का कहना है कि आज तक उसका नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया. जबकि सीएम मनोहर लाल खट्टर चुनावी मौसम में जनता के बीच भ्रम फैला रहे हैं कि उन्होंने हमें नियमित कर दिया है.
जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान शिक्षक दिवस के मौके पर सीएम ने ट्वीट करके अतिथि शिक्षकों को नियमित किए जाने की बधाई भी दी थी, लेकिन अब तक उसका कोई आदेश नहीं जारी किया है. यही वजह है कि अतिथि शिक्षक अब चुनाव में बीजेपी का बहिष्कार करने की धमकी दे रहे हैं. दूसरी तरफ पंचकूला में करीब 2 हजार कम्प्यूटर शिक्षक भी खुद को विभाग के अंतर्गत शामिल किए जाने की मांग पूरी करने को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. शिक्षकों की मांग पूरी नहीं हो रही और प्रदर्शनकरियो पर लाठीचार्ज और बल प्रयोग किया जा रहा है, जो निश्चित तौर पर आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है.